मनीषा शर्मा। राजस्थान के बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत की लोकसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से हुई मुलाकात ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। इस तीन मिनट की बातचीत में उन्होंने आदिवासी समुदाय से जुड़े कई अहम मुद्दे उठाए, जिनमें 2020 के कांकरी डूंगरी दंगों के केस वापस लेने और भील प्रदेश के गठन जैसी मांगें शामिल थीं। राजकुमार रोत ने इस मुलाकात की जानकारी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा की, जिसके बाद चर्चा का दौर तेज हो गया।
2020 के कांकरी डूंगरी दंगे और केस वापसी की मांग
सांसद राजकुमार रोत ने 2020 में डूंगरपुर जिले के नेशनल हाईवे-48 पर हुए कांकरी डूंगरी दंगों का जिक्र किया। उन्होंने गृहमंत्री से आग्रह किया कि इन मामलों को केंद्र सरकार से वापस लिया जाए। रोत ने बताया कि राज्य सरकार के अधीन मामलों में पहले ही राहत मिल चुकी है, लेकिन नेशनल हाईवे से जुड़े मामले अब भी केंद्र के पास लंबित हैं। इन मामलों के लंबित रहने से स्थानीय आदिवासी समुदाय में असंतोष है। सांसद ने इस बातचीत के दौरान झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में जमीन अधिग्रहण के मामलों का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय के लोगों को बेवजह परेशान किया जा रहा है और उनके खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा बलों का दुरुपयोग हो रहा है।
आदिवासी रेजीमेंट की स्थापना की मांग
अमित शाह के साथ हुई बातचीत में सांसद राजकुमार रोत ने जाट और सिख रेजीमेंट की तर्ज पर आदिवासी रेजीमेंट गठित करने की मांग रखी। उन्होंने कहा कि देश के आदिवासी समुदाय ने स्वतंत्रता संग्राम से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा में हमेशा महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसलिए उनके लिए एक अलग रेजीमेंट की आवश्यकता है। इस पर गृहमंत्री ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और इस पर विचार करने का आश्वासन दिया।
भील प्रदेश की मांग दोहराई
इस मुलाकात में राजकुमार रोत ने भील प्रदेश के गठन की मांग फिर से उठाई। यह मुद्दा उनके राजनीतिक एजेंडे का प्रमुख हिस्सा रहा है। सांसद ने कहा कि आदिवासी समुदाय के लोगों को उनकी सांस्कृतिक पहचान और अधिकारों को संरक्षित करने के लिए भील प्रदेश का गठन बेहद आवश्यक है। गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत के बाद संसद में शपथ ग्रहण के दौरान भी राजकुमार रोत ने भील प्रदेश की मांग की थी। यही नहीं, राजस्थान उपचुनाव में जीत हासिल करने वाले विधायक अनिल कटारा ने भी अपनी शपथ के दौरान इस मांग को दोहराया था।
तीन मिनट की मुलाकात पर राजनीतिक चर्चा
हालांकि सांसद और गृहमंत्री के बीच मुलाकात महज तीन मिनट की थी, लेकिन इसके राजनीतिक मायने काफी गहरे माने जा रहे हैं। इस मुलाकात के बाद से प्रदेश में राजनीतिक तापमान बढ़ गया है। राजकुमार रोत की अमित शाह से मुलाकात को लेकर आदिवासी क्षेत्र के लोग खासा उत्साहित हैं। वहीं, राजनीतिक विशेषज्ञ इस मुलाकात को आदिवासी वोट बैंक पर प्रभाव डालने के प्रयास के रूप में देख रहे हैं।
सोशल मीडिया पर साझा की तस्वीर
सांसद राजकुमार रोत ने अमित शाह से मुलाकात की तस्वीर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा की। इस तस्वीर के साथ उन्होंने लिखा, “आदिवासी समाज से जुड़े मुद्दों और भील प्रदेश की मांग को लेकर माननीय गृहमंत्री अमित शाह जी से चर्चा की। आशा है कि केंद्र सरकार इन मुद्दों पर त्वरित और सकारात्मक कदम उठाएगी।”
भील प्रदेश: ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य
भील प्रदेश का मुद्दा राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के आदिवासी समुदायों से जुड़ा हुआ है। इस क्षेत्र में रहने वाले भील आदिवासी समुदाय की लंबे समय से मांग रही है कि उन्हें एक अलग राज्य के रूप में मान्यता दी जाए। भील प्रदेश के गठन की मांग इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आदिवासी समुदाय की सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक उन्नति के लिए जरूरी माना जाता है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
सांसद राजकुमार रोत की इस मुलाकात पर विभिन्न राजनीतिक दलों और नेताओं की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कांग्रेस के कुछ नेताओं ने इसे आगामी चुनावों से पहले आदिवासी समुदाय को लुभाने की कोशिश बताया है। वहीं, भाजपा नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार आदिवासी समुदाय के अधिकारों और मांगों को गंभीरता से ले रही है।
आदिवासी क्षेत्र में नई उम्मीदें
सांसद राजकुमार रोत और अमित शाह की मुलाकात ने आदिवासी क्षेत्र में नई उम्मीदें जगाई हैं। चाहे वह 2020 के दंगों के मामले हों, आदिवासी रेजीमेंट का गठन हो या भील प्रदेश का मुद्दा, इस मुलाकात से आदिवासी समुदाय को यह विश्वास हुआ है कि उनकी समस्याओं को शीर्ष स्तर पर सुना जा रहा है।