शोभना शर्मा। गुरुकुल में नाबालिग शिष्या से यौन शोषण के मामले में दोषी पाए गए आसाराम को 75 दिनों की अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया है। यह जमानत राजस्थान हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने मेडिकल आधार पर दी है। अंतरिम जमानत मिलने के बाद आसाराम इंदौर से जोधपुर पहुंचा, जहां कड़ी सुरक्षा के बीच उसे पाल गांव स्थित आश्रम ले जाया गया।
मेडिकल आधार पर मिली जमानत
राजस्थान हाईकोर्ट ने 14 फरवरी को आसाराम को 75 दिनों की अंतरिम जमानत दी थी। इस दौरान उसे केवल चिकित्सा के उद्देश्य से बाहर आने की अनुमति दी गई है। सर्वोच्च न्यायालय ने 7 जनवरी को आसाराम को राहत देते हुए अंतरिम जमानत दी थी। 86 वर्षीय आसाराम को चिकित्सकीय आधार पर जोधपुर जेल से रिहा किया गया है, जहां वह उम्रकैद की सजा काट रहा था।
इंदौर में चल रहा था इलाज
जमानत मिलने के बाद आसाराम इंदौर के शासकीय सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सालय में इलाज करा रहा था। वहाँ विभिन्न विभागों के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने उसका मेडिकल चेकअप किया और उसकी दवाइयों में संभावित बदलाव की आवश्यकता की जांच की। इलाज के दौरान वह इंदौर के खंडवा रोड स्थित अपने आश्रम में ठहरा हुआ था।
जोधपुर पहुंचने पर सुरक्षा व्यवस्था
जोधपुर पहुंचने के बाद आसाराम को कड़ी सुरक्षा के बीच पाल गांव स्थित उसके आश्रम ले जाया गया। एयरपोर्ट पर मीडिया से किसी भी तरह की बातचीत करने से उसने मना कर दिया। सुरक्षा के मद्देनजर उसके चारों ओर पुलिस का घेरा बनाया गया था।
कोर्ट की शर्तें और सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो
अंतरिम जमानत के दौरान कोर्ट ने कुछ शर्तें लगाई हैं। आसाराम को न तो अपने भक्तों और अनुयायियों से मिलने की अनुमति है और न ही वह मीडिया में किसी भी प्रकार की बयानबाजी कर सकता है। इसके बावजूद, सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें दावा किया गया कि आसाराम इंदौर में प्रवचन कर रहा है। यह घटना चर्चा का विषय बन गई है और कोर्ट की शर्तों के उल्लंघन के आरोप भी लगाए जा रहे हैं।
आसाराम का आपराधिक इतिहास
आसाराम को नाबालिग शिष्या के यौन शोषण के आरोप में दोषी पाया गया था और अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस मामले में वह कई सालों से जोधपुर जेल में बंद था। उसकी सेहत में गिरावट के कारण मेडिकल आधार पर उसे कुछ दिनों के लिए रिहा किया गया है।
आगे की प्रक्रिया
अंतरिम जमानत के अनुसार, आसाराम को 31 मार्च तक चिकित्सा के लिए रिहा किया गया है। यदि इस अवधि के दौरान उसकी सेहत में सुधार नहीं होता है, तो वह अदालत से और समय की मांग कर सकता है। हालांकि, कोर्ट की शर्तों का पालन करना अनिवार्य है और किसी भी उल्लंघन की स्थिति में उसकी जमानत रद्द की जा सकती है।