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टोंक में फर्जी डीजीपी का नाटक, असली पुलिस ने पकड़ा

टोंक में फर्जी डीजीपी का नाटक, असली पुलिस ने पकड़ा

शोभना शर्मा,अजमेर।  देश में फर्जीवाड़े के मामले बढ़ते जा रहे हैं, और अब ठग लोगों को भ्रमित करने के लिए फर्जी पुलिस अधिकारी बनने से भी नहीं हिचकिचा रहे हैं। ऐसा ही एक हैरान कर देने वाला मामला राजस्थान के टोंक जिले में सामने आया है, जहां एक टैक्सी चालक ने खुद को पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) बताते हुए ठगी की। इस आरोपी ने अपनी स्कॉर्पियो गाड़ी पर लाल और नीली बत्ती के साथ डीजीपी की नेम प्लेट लगाई थी और खुलेआम लोगों पर रोब झाड़ रहा था।

फर्जी डीजीपी बना लोकेश मीणा

यह घटना टोंक जिले के बरौनी थाना क्षेत्र के जामडोली गांव की है। आरोपी लोकेश मीणा, जो पेशे से एक टैक्सी ड्राइवर है, ने अपनी स्कॉर्पियो गाड़ी पर डीजीपी की नेम प्लेट लगाई और लाल-नीली बत्ती का इस्तेमाल कर खुद को जयपुर में तैनात पुलिस अधिकारी बताना शुरू कर दिया। वह स्थानीय लोगों को हर तरह के काम करवाने का झांसा देकर उनसे पैसे वसूल रहा था।

पुलिस ने रंगे हाथों पकड़ा

मंगलवार रात नोहट्टा मोड़ पर जब लोकेश मीणा डीजीपी की वर्दी में लोगों के बीच अपने अधिकारी होने का रुआब दिखा रहा था, तभी किसी ने इसकी सूचना असली पुलिस को दे दी। निवाई और बरौनी थाना पुलिस मौके पर पहुंची और लोकेश से पूछताछ की। पहले तो उसने खुद को जयपुर में तैनात डीजीपी बताया, लेकिन जब पुलिस ने उसे उसके वरिष्ठ अधिकारियों से बात कराने के लिए कहा, तो वह टूट गया और सारी सच्चाई उगल दी।

कैसे आया फर्जीवाड़े का आइडिया

लोकेश मीणा ने पुलिस को बताया कि वह मूल रूप से टोंक जिले के जामडोली गांव का रहने वाला है। असल में वह जयपुर में टैक्सी चलाता है। इसी दौरान उसे फर्जी पुलिस अधिकारी बनने और ठगी करने का विचार आया। उसने अपनी स्कॉर्पियो गाड़ी पर डीजीपी की नेम प्लेट और लाल-नीली बत्ती लगाई और वर्दी पहनकर लोगों को भ्रमित करना शुरू कर दिया।

ठगी का तरीका और काम करने का तरीका

लोकेश ने पुलिस को बताया कि वह बजरी के वाहनों को छुड़वाने और पुलिस से जुड़े अन्य काम करवाने का झांसा देकर लोगों से पैसे वसूलता था। वर्दी और गाड़ी पर लाल-नीली बत्ती देखकर लोग उस पर विश्वास कर लेते थे।

पुलिस खंगाल रही है रिकॉर्ड

पुलिस ने आरोपी लोकेश मीणा को गिरफ्तार कर लिया है और उसके आपराधिक रिकॉर्ड की जांच की जा रही है। हालांकि, अभी तक उसके खिलाफ कोई पुराना आपराधिक रिकॉर्ड नहीं मिला है। पुलिस अब यह जांच कर रही है कि उसने कितने लोगों को ठगा और कितनी धनराशि वसूली।

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