मनीषा शर्मा। राजस्थान की रीट परीक्षा 2021 में डमी कैंडिडेट के माध्यम से परीक्षा पास कराने के मामले ने राज्य में शिक्षा जगत में एक बड़ा घोटाला उजागर किया। इस फर्जीवाड़े में संलिप्त प्रमुख आरोपी मोटाराम विश्नोई, जो तीन वर्षों से फरार चल रहा था, को बालोतरा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी पुलिस के लंबे समय से चल रहे प्रयासों और विशेष टीम द्वारा की गई कार्रवाई का परिणाम है।
तीन साल से फरार मोटाराम विश्नोई गिरफ्तार
बालोतरा पुलिस अधीक्षक कुंदन कवरिया ने जानकारी देते हुए बताया कि रीट परीक्षा 2021 में हुए फर्जीवाड़े का मामला पहले ही उजागर हो चुका था। इस गिरोह में शामिल सुरेश कुमार और रमेश कुमार को भी पहले गिरफ्तार किया गया था। मामले में अब तक कुल 22 लोगों पर आरोप दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 19 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है। मोटाराम विश्नोई को पकड़ने के लिए पुलिस ने एक विशेष टीम का गठन किया था, जो उसकी गतिविधियों पर नजर रख रही थी।
गुजरात में पहचान छुपाकर रह रहा था मुख्य आरोपी
एसपी कुंदन कवरिया के अनुसार, मोटाराम विश्नोई पिछले तीन सालों से फरार था और गुजरात के सिद्धपुर में अपनी पहचान छिपाकर अलग-अलग होटलों में काम कर रहा था। पुलिस को सूचना मिली कि वह दीपावली के मौके पर अपने घर आएगा। सूचना के आधार पर पुलिस ने उसके घर के आसपास निगरानी बढ़ाई और खेत में फसल काटते हुए मोटाराम को धर दबोचा।
फर्जीवाड़े की योजना कैसे बनाई गई?
पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि मोटाराम विश्नोई ने हापुराम के साथ मिलकर इस फर्जीवाड़े की योजना बनाई थी। असल उम्मीदवार की जगह डमी कैंडिडेट परीक्षा में बैठे, इसके लिए उन्होंने मिलकर योजना तैयार की। हापुराम का मिश्रित फोटो और फर्जी दस्तावेज बनाकर परीक्षा के लिए आवेदन किया गया। रमेश ने इस फर्जी आवेदन के लिए दस्तावेजों का उपयोग किया, ताकि परीक्षा में धोखाधड़ी की जा सके।
कैसे पकड़े गए अन्य आरोपी?
रीट परीक्षा फर्जीवाड़े की जांच के दौरान पुलिस ने 22 नामजद आरोपियों के खिलाफ मामले दर्ज किए थे। इनमें से 16 लोगों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका था, जिनमें हापुराम और रमेश कुमार जैसे मुख्य षड्यंत्रकारी शामिल हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए, पुलिस ने फरार आरोपियों की जानकारी देने पर 25-25 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया था।
रीट परीक्षा फर्जीवाड़ा मामला: एक नजर में
रीट परीक्षा 2021 में डमी कैंडिडेट का उपयोग कर असल उम्मीदवारों को सफल कराने का यह मामला उस समय सुर्खियों में आया था, जब इस फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ। राजस्थान पुलिस की विशेष टीमें इस गिरोह का पता लगाने के लिए सक्रिय हो गईं। इस घोटाले से प्रदेश में शिक्षा प्रणाली पर सवाल उठे और कानून-व्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत महसूस की गई। राज्य के शिक्षा विभाग और पुलिस ने इसके बाद सख्त कदम उठाए, जिससे कई आरोपी जेल में हैं और बाकी फरार आरोपियों की तलाश जारी है।
पुलिस की जांच और कार्रवाई
रीट फर्जीवाड़ा मामले में पुलिस की जांच कई स्तरों पर चल रही है। बालोतरा पुलिस ने इस मामले की तह तक जाने के लिए कई टीमें गठित कीं और सभी आरोपियों की गतिविधियों पर पैनी नजर रखी। गिरफ्तारी के बाद, पुलिस ने आरोपी से पूछताछ कर अन्य संभावित लिंक और इस गिरोह के अन्य सदस्यों के बारे में जानकारी इकट्ठा की है।
शिक्षा प्रणाली में सुधार की जरूरत
रीट परीक्षा में डमी कैंडिडेट का उपयोग कर फर्जीवाड़ा करना राजस्थान की शिक्षा प्रणाली में एक गंभीर समस्या का संकेत देता है। यह मामला सामने आने के बाद राज्य सरकार और शिक्षा विभाग को ऐसे मामलों को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। परीक्षा प्रक्रियाओं को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के लिए शिक्षा विभाग को टेक्नोलॉजी के उपयोग को बढ़ावा देने की जरूरत है।
गिरफ्तारियों का सिलसिला जारी
अब तक इस मामले में कुल 19 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है और पुलिस शेष फरार आरोपियों की तलाश में जुटी हुई है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस को मामले से जुड़े अन्य सुराग मिल सकते हैं, जिससे बाकी फरार आरोपी भी जल्दी ही पकड़े जा सकते हैं।
जनता की प्रतिक्रिया और शिक्षा की गुणवत्ता पर असर
इस फर्जीवाड़े के बाद राजस्थान में शिक्षा व्यवस्था पर आम जनता का विश्वास कमजोर हुआ है। इस तरह की घटनाओं के बाद राज्य में योग्य और ईमानदार अभ्यर्थियों के भविष्य पर खतरा मंडराने लगता है। जनता का मानना है कि शिक्षा व्यवस्था को भ्रष्टाचारमुक्त और पारदर्शी बनाने की दिशा में राज्य सरकार को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।