राजस्थान में शिक्षक बनने की चाह रखने वाले लाखों युवाओं का इंतजार एक बार फिर बढ़ गया है। रीट (राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा) 2024 की विज्ञप्ति अब तक जारी नहीं हुई है, जबकि शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने 25 नवंबर तक विज्ञप्ति जारी करने और 1 दिसंबर से आवेदन प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की थी। यह देरी न केवल उम्मीदवारों के धैर्य की परीक्षा ले रही है, बल्कि राज्य के शिक्षा विभाग के कामकाज पर भी सवाल उठा रही है।
रीट पात्रता परीक्षा: महत्व और वर्तमान स्थिति
रीट का पूरा नाम राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा है। यह परीक्षा राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए अनिवार्य है। इसे माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर द्वारा आयोजित किया जाता है। रीट पास करने वाले उम्मीदवारों को एक सर्टिफिकेट दिया जाता है, जिसकी वैधता तीन साल तक रहती है। इस सर्टिफिकेट के जरिए उम्मीदवार सरकारी शिक्षक भर्ती परीक्षाओं में आवेदन कर सकते हैं।
2022 में पिछली बार रीट की विज्ञप्ति जारी हुई थी। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इसे हर साल आयोजित करने का निर्णय लिया था। लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी परीक्षा आयोजित नहीं हो सकी। अब वर्तमान सरकार ने रीट परीक्षा आयोजित करने की घोषणा की है, लेकिन लगातार हो रही देरी से 15 लाख से अधिक उम्मीदवार निराश हो रहे हैं।
विज्ञप्ति में देरी: कारण और प्रभाव
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने 9 नवंबर 2024 को रीट पात्रता परीक्षा की विज्ञप्ति जारी करने और आवेदन प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि परीक्षा का आयोजन तय समय पर किया जाएगा। लेकिन कुछ विवादों और अदालती मामलों के चलते विज्ञप्ति समय पर जारी नहीं हो सकी।
मंत्री का दावा है कि सरकार जल्द ही विज्ञप्ति जारी करेगी और परीक्षा का आयोजन तय समय पर किया जाएगा। हालांकि, इस देरी ने उम्मीदवारों के मन में असमंजस और निराशा की स्थिति पैदा कर दी है।
शिक्षा विभाग के विवादित फैसले
रीट पात्रता परीक्षा में देरी के साथ-साथ राजस्थान शिक्षा विभाग के कई फैसले विवादों में घिरे हुए हैं। इन फैसलों ने न केवल प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि शिक्षकों और छात्रों दोनों को प्रभावित किया है।
1. तबादला नीति और विवाद
शिक्षा विभाग ने अपनी 100 दिन की कार्ययोजना में तबादला नीति बनाने की घोषणा की थी। लेकिन अब तक यह नीति लागू नहीं हो सकी। इसके अलावा, तबादले में जातिगत भेदभाव के आरोप भी लगे, जिससे विभाग को अपने आदेश निरस्त करने पड़े।
2. महात्मा गांधी स्कूलों का रिव्यू
शिक्षा मंत्री ने महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूलों के रिव्यू की घोषणा की थी। इसे लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं कि इंग्लिश मीडियम स्कूलों को हिंदी मीडियम में बदल दिया जाएगा। हालांकि, अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
3. मिड-डे मील योजना में बदलाव
शिक्षा मंत्री ने मुख्यमंत्री बाल गोपाल दूध योजना के स्थान पर बच्चों को मोटा अनाज देने का प्रस्ताव रखा। लेकिन विभाग ने दूध पाउडर वितरण के आदेश जारी कर दिए, जिससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई।
4. शिक्षकों की पोस्टिंग में देरी
सरकारी स्कूलों में अधिशेष शिक्षकों की पोस्टिंग लंबे समय से अटकी हुई है। विभाग ने पहले इसका आदेश जारी किया और बाद में इसे वापस ले लिया। इस देरी से 37,000 से अधिक शिक्षक प्रभावित हुए हैं।
5. मोबाइल प्रतिबंध और रद्दीकरण
शिक्षा मंत्री ने स्कूलों में मोबाइल फोन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया था। लेकिन शिक्षकों के विरोध के बाद यह प्रतिबंध हटा दिया गया और डिजिटल शिक्षण के लिए मोबाइल उपयोग की अनुमति दी गई।
6. प्रवेश आयु निर्धारण में बदलाव
प्रथम कक्षा में प्रवेश के लिए आयु सीमा को बार-बार बदला गया। पहले इसे 31 मार्च, फिर 31 जुलाई, और अंत में 1 अक्टूबर कर दिया गया। इससे स्कूल प्रशासन और अभिभावकों में भ्रम की स्थिति पैदा हुई।
रीट परीक्षा के अभ्यर्थियों की समस्याएं
रीट पात्रता परीक्षा के अभ्यर्थी लंबे समय से इस परीक्षा का इंतजार कर रहे हैं। परीक्षा की तैयारियों में जुटे युवाओं को विज्ञप्ति जारी होने में हो रही देरी ने मानसिक दबाव में डाल दिया है।
- समय की बर्बादी: परीक्षा की अनिश्चितता ने अभ्यर्थियों को उनके भविष्य को लेकर चिंतित कर दिया है।
- आर्थिक बोझ: कोचिंग और अन्य तैयारियों पर खर्च कर रहे अभ्यर्थियों के लिए यह देरी आर्थिक समस्याएं बढ़ा रही है।
- मनौवैज्ञानिक प्रभाव: लंबे इंतजार और बार-बार तारीखों में बदलाव से उम्मीदवारों का मनोबल कमजोर हो रहा है।
शिक्षा विभाग की चुनौतियां
राजस्थान शिक्षा विभाग को न केवल रीट परीक्षा की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना होगा, बल्कि अपने विवादित फैसलों और प्रशासनिक समस्याओं को भी सुलझाना होगा।
तबादला नीति लागू करना: शिक्षकों में विश्वास बहाल करने के लिए पारदर्शी तबादला नीति जरूरी है।
परीक्षा समय पर आयोजित करना: रीट जैसी महत्वपूर्ण परीक्षा की समय पर विज्ञप्ति और आयोजन सुनिश्चित करना आवश्यक है।
पॉलिसी सुधार: मिड-डे मील योजना, स्कूल माध्यम और मोबाइल उपयोग जैसे मुद्दों पर स्पष्टता लानी होगी।