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राजस्थान में ग्राम पंचायत और पंचायत समितियों का पुनर्गठन

राजस्थान में ग्राम पंचायत और पंचायत समितियों का पुनर्गठन

शोभना शर्मा।  राजस्थान में पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन का खाका पूरी तरह तैयार हो चुका है। राज्य सरकार ने नई ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के गठन के साथ-साथ मौजूदा पंचायतों की सीमाओं में बदलाव का निर्णय लिया है। यह प्रक्रिया 20 जनवरी से 15 अप्रैल के बीच पूरी की जाएगी। पुनर्गठन के तहत जनसंख्या और दूरी जैसे मानकों में संशोधन कर उन्हें अधिक व्यावहारिक बनाया गया है, ताकि स्थानीय निवासियों को दैनिक जरूरतों के लिए लंबी दूरी तय न करनी पड़े।

पुनर्गठन की प्रक्रिया और समय-सीमा

ग्राम पंचायत और पंचायत समितियों के पुनर्गठन के लिए सरकार ने एक विस्तृत समय-सीमा तय की है।

  • 20 जनवरी से 18 फरवरी: इस दौरान कलेक्टर नए प्रस्ताव तैयार करेंगे।

  • 20 फरवरी से 21 मार्च: प्रस्तावों पर जनता से आपत्तियां और सुझाव मांगे जाएंगे।

  • 23 मार्च से 1 अप्रैल: प्राप्त आपत्तियों और सुझावों का निपटारा किया जाएगा।

  • 3 अप्रैल से 15 अप्रैल: अंतिम प्रस्ताव पंचायती राज विभाग को भेजे जाएंगे।

जनसंख्या मानक: 2011 जनगणना आधार

राज्य में नई ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के गठन के लिए जनसंख्या का आधार 2011 की जनगणना को बनाया गया है। सामान्य इलाकों में एक ग्राम पंचायत के लिए न्यूनतम जनसंख्या सीमा 3000 और अधिकतम 5500 तय की गई है। रेगिस्तानी जिलों में यह सीमा अधिकतम 4000 रखी गई है। इससे ज्यादा जनसंख्या होने पर नई ग्राम पंचायत का गठन होगा। बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर और बारां जिले के विशेष क्षेत्रों में जनसंख्या मानकों में छूट दी गई है। इन क्षेत्रों में 20 ग्राम पंचायतों पर एक पंचायत समिति बनाई जाएगी।

पंचायत समितियों के पुनर्गठन के विशेष नियम

प्रदेश में 2 लाख से अधिक आबादी और 40 या उससे ज्यादा ग्राम पंचायतों वाली पंचायत समितियों का पुनर्गठन किया जाएगा। अब 25 ग्राम पंचायतों पर एक पंचायत समिति बनाई जाएगी। इसके तहत नजदीकी ग्राम पंचायतों को नई पंचायत समिति में शामिल किया जाएगा। हालांकि, किसी भी ग्राम पंचायत को दो पंचायत समितियों में बांटा नहीं जाएगा।

पुनर्गठन की विशेष शर्तें

पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन के लिए कई शर्तें और गाइडलाइन तय की गई हैं:

  1. एक राजस्व गांव एक ही ग्राम पंचायत में शामिल होगा।

  2. किसी पंचायत का पूरा क्षेत्र एक ही विधानसभा क्षेत्र में होना चाहिए।

  3. नई पंचायत के मुख्यालय को वहीं रखा जाएगा, जहां सरकारी भवन या जमीन उपलब्ध हो।

रेगिस्तानी जिलों के लिए विशेष प्रावधान

रेगिस्तानी जिलों जैसे बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर और जोधपुर में ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों के पुनर्गठन के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। यहां डेढ़ लाख से अधिक आबादी और 40 से ज्यादा ग्राम पंचायतों वाली पंचायत समितियों को पुनर्गठित किया जाएगा। इन जिलों में 20 ग्राम पंचायतों पर एक पंचायत समिति बनाई जाएगी। बारां जिले की किशनगंज और शाहबाद तहसीलों, जहां सहरिया जनजाति के लोग बहुसंख्यक हैं, में भी यही मानक लागू होंगे।

स्थानीय मांगों के आधार पर बदलाव

पुनर्गठन प्रक्रिया में स्थानीय निवासियों की मांगों को भी ध्यान में रखा जाएगा। यदि किसी वार्ड या इलाके के लोग मौजूदा ग्राम पंचायत से अलग होकर दूसरी पंचायत में शामिल होना चाहते हैं, तो ऐसा संभव होगा, बशर्ते उस इलाके की दूरी दूसरी पंचायत के मुख्यालय से 6 किलोमीटर से अधिक न हो।

मुख्यालय के लिए विशेष गाइडलाइन

नई ग्राम पंचायतों के मुख्यालय का चयन करते समय यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वह गांव आसानी से पहुंचने योग्य हो। वहां पंचायत भवन, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र, पटवार भवन, किसान सेवा केंद्र और अन्य सरकारी कार्यालय मौजूद हों। यदि ये सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, तो इन्हें बनाने के लिए जमीन होनी चाहिए।

पुनर्गठन के लिए जिम्मेदारी

पंचायतों के पुनर्गठन के प्रस्ताव कलेक्टर, तहसीलदार और पटवारी के सहयोग से एसडीओ की निगरानी में तैयार किए जाएंगे। जनता की आपत्तियों और सुझावों को ध्यान में रखते हुए 20 फरवरी को नोटिस प्रकाशित किया जाएगा।

जनता को क्या फायदा होगा?

राजस्थान सरकार द्वारा पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण जनता को बेहतर सेवाएं प्रदान करना और उनकी समस्याओं का स्थानीय स्तर पर समाधान सुनिश्चित करना है। नई पंचायतों और समितियों के गठन से लोगों को सरकारी सेवाओं तक पहुंचने में सहूलियत होगी। अब जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, राशन कार्ड और अन्य दस्तावेजों के लिए दूर-दराज के मुख्यालयों तक जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

पुनर्गठन के लाभ

  1. सरकारी सेवाओं में सुधार:  ग्राम पंचायत और पंचायत समिति के मुख्यालय नजदीक होने से सरकारी सेवाएं अधिक सुलभ होंगी।

  2. प्रभावी प्रशासन:  जनसंख्या के आधार पर पुनर्गठन से प्रशासनिक इकाइयां अधिक प्रबंधनीय होंगी।

  3. स्थानांतरण की सुविधा:  ग्रामीणों की मांग पर इलाके को दूसरी पंचायत में स्थानांतरित करने की सुविधा से स्थानीय समस्याओं का समाधान होगा।

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