मनीषा शर्मा। रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में पिछले कुछ समय से बाघों के गायब होने की चिंताजनक खबरें सामने आई हैं। एक हालिया टाइगर मॉनिटरिंग रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि रिजर्व के 11 बाघों का एक साल से अधिक समय से कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है। वहीं, 14 अन्य बाघों की उपस्थिति के भी एक साल से कम की अवधि में कोई पुख्ता प्रमाण नहीं हैं। इस स्थिति पर गंभीरता दिखाते हुए चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन (CWLW) पवन कुमार उपाध्याय ने तुरंत एक तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया है, जो बाघों के लापता होने के कारणों की जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट 2 माह में प्रस्तुत करेगी।
टाइगर मॉनिटरिंग रिपोर्ट ने किया खुलासा
रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के बाघों की संख्या और स्थिति की निगरानी के लिए नियमित रूप से टाइगर मॉनिटरिंग रिपोर्ट तैयार की जाती है। इस रिपोर्ट के अनुसार 14 अक्टूबर 2024 को सामने आए आंकड़ों में यह पाया गया कि 11 बाघ पिछले एक साल से अधिक समय से लापता हैं, जबकि अन्य 14 बाघों के भी प्रमाण हाल के महीनों में प्राप्त नहीं हुए हैं। इस तथ्य के सामने आने पर वन विभाग में हड़कंप मच गया और CWLW पवन कुमार उपाध्याय ने तत्काल इस मामले की जांच के लिए एक जांच कमेटी का गठन किया।
जांच कमेटी का गठन और उद्देश्य
CWLW पवन कुमार उपाध्याय ने इस मामले की गहराई से जांच करने के लिए तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी में अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (APCCF) अध्यक्ष होंगे, साथ ही CF टी मोहनराज और मानस सिंह DFO को सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है। यह कमेटी लापता बाघों की जांच के लिए रिजर्व में की गई व्यवस्थाओं और CCF रणथम्भौर द्वारा उठाए गए कदमों की समीक्षा करेगी। इसके अलावा, कमेटी रणथम्भौर टाइगर रिजर्व की सुरक्षा और व्यवस्था में किसी भी खामी को ढूंढने और उसे सुधारने के सुझाव भी अपनी रिपोर्ट में देगी।
कमेटी के पास यह अधिकार भी है कि यदि किसी अधिकारी या कर्मचारी की लापरवाही इस मामले में पाई जाती है, तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए अनुशंसा कर सकती है। इस मामले में रिजर्व के प्रबंधन की खामियों की जाँच की जाएगी और जरूरत पड़ने पर कमेटी विशेषज्ञों की सलाह भी ले सकती है।
रणथम्भौर टाइगर रिजर्व की स्थिति पर सवाल
रणथम्भौर टाइगर रिजर्व भारत का प्रमुख वन्यजीव अभयारण्य है, जो बाघों के संरक्षण के लिए विश्वभर में जाना जाता है। यहां के बाघों की संख्या में कमी और लापता होने के मामलों ने न केवल वन विभाग को चिंतित किया है, बल्कि यह पर्यावरणविदों और वन्यजीव संरक्षण से जुड़े संगठनों के लिए भी एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। यह कमेटी अब इस बात की भी जांच करेगी कि रणथम्भौर में बाघों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए गए हैं और क्या उनमें कोई कमी रह गई है।
बाघों की लापता होने की संभावित वजहें
बाघों के लापता होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इनमें सबसे प्रमुख कारण है अवैध शिकार। इसके अलावा, बाघों का आपस में संघर्ष, प्राकृतिक मृत्यु, या रिजर्व से बाहर निकलकर अन्य क्षेत्रों में जाना भी लापता होने का कारण हो सकता है। रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में इन सभी पहलुओं की गहराई से जांच की जाएगी ताकि बाघों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
जांच का महत्व और आगे की कार्रवाई
यह जांच कमेटी रणथम्भौर के बाघों के गायब होने की घटनाओं को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी और उसमें अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगी। इस रिपोर्ट में बाघों की सुरक्षा के लिए नए और प्रभावी कदमों को अपनाने के सुझाव भी दिए जा सकते हैं। साथ ही, रिजर्व में किसी भी तरह की प्रशासनिक या व्यवस्थागत खामियों की भी पड़ताल की जाएगी ताकि भविष्य में इस तरह की स्थिति से बचा जा सके।
वन विभाग की प्रतिक्रिया
इस मामले में वन विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। अगर किसी अधिकारी या कर्मचारी की लापरवाही पाई जाती है तो उस पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इस प्रकार की जांच से उम्मीद की जा रही है कि रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा और उनके संरक्षण के लिए बेहतर उपाय किए जा सकेंगे।