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RPSC पुनर्गठन: सदस्यों की संख्या बढ़ाने और योग्यता आधारित नियुक्ति

RPSC पुनर्गठन: सदस्यों की संख्या बढ़ाने और योग्यता आधारित नियुक्ति

मनीषा शर्मा।  राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के पुनर्गठन की तैयारी चल रही है। पेपर लीक में दो सदस्यों की संलिप्तता सामने आने के बाद राज्य सरकार इस कदम की ओर बढ़ रही है। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने हरियाणा लोक सेवा आयोग का अध्ययन कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को रिपोर्ट सौंपी है। इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार RPSC में कई महत्वपूर्ण बदलाव करने की योजना बना रही है, जिसमें सदस्यों की संख्या बढ़ाना और नियुक्ति प्रक्रिया में सुधार शामिल है।

वर्तमान में, RPSC में अध्यक्ष सहित 7 सदस्य होते हैं, लेकिन देवनानी की रिपोर्ट में सदस्यों की संख्या को दोगुना यानी 14 करने की सिफारिश की गई है। इसका उद्देश्य पिछली सरकार द्वारा नियुक्त सदस्यों को गोपनीय कार्यों से दूर रखना और नई भर्तियों के लिए अधिक सदस्यों को जिम्मेदारी देना है। सरकार अब राजनीतिक समीकरणों से हटकर योग्यता आधारित नियुक्तियों की ओर ध्यान केंद्रित कर रही है। इस संदर्भ में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की प्रक्रिया का अध्ययन किया जा रहा है ताकि नियुक्ति प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जा सके।

हरियाणा लोक सेवा आयोग से प्रेरणा

हरियाणा लोक सेवा आयोग (HPSC) के अनुभव को ध्यान में रखते हुए, RPSC के पुनर्गठन की सिफारिश की गई है। 2008 में भूपेंद्र हुड्डा सरकार ने हरियाणा लोक सेवा आयोग में सदस्यों की संख्या को 8 से बढ़ाकर 12 कर दिया था, और फिर 2012 में इसे घटाकर 6 कर दिया गया। इसके बाद 2015 में मनोहर लाल खट्टर सरकार ने सदस्यों की संख्या फिर से 8 कर दी थी। इसी प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए, राजस्थान सरकार भी RPSC के सदस्यों की संख्या बढ़ाने की योजना बना रही है।

योग्यता आधारित नियुक्ति की योजना

देवनानी की रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि RPSC में नियुक्तियों का आधार राजनीतिक समीकरण नहीं, बल्कि योग्यता होनी चाहिए। इससे आयोग की कार्यप्रणाली में सुधार होगा और भर्ती परीक्षाओं की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी होगी। RPSC की विश्वसनीयता को पुनः स्थापित करने के लिए यह कदम अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

गोपनीय कार्यों से पुराने सदस्यों को दूर रखा जाएगा

सरकार की रणनीति के अनुसार, आयोग में नई भर्तियों की जिम्मेदारी नए सदस्यों को दी जाएगी, जबकि पुराने सदस्य प्रशासनिक कार्यों में शामिल रहेंगे। इस रणनीति के तहत पिछले सरकार में नियुक्त सदस्यों को गोपनीय कार्यों से दूर रखा जाएगा। वर्तमान में RPSC में कुल 7 सदस्य हैं, जिनमें से एक पद खाली है, जबकि एक सदस्य बाबूलाल कटारा निलंबित हैं।

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया

RPSC के पुनर्गठन की योजना पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आई हैं। पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने पेपर लीक कांड के बाद आयोग को भंग करने की मांग की थी, वहीं भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने चुनाव से पहले वादा किया था कि उनकी सरकार बनने पर RPSC को भंग किया जाएगा। हालांकि, संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल ने कहा है कि संवैधानिक अड़चनों के चलते आयोग को भंग करना संभव नहीं है। कांग्रेस नेता सचिन पायलट और डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने भी आयोग की विश्वसनीयता को बहाल करने और राजनीतिक हस्तक्षेप को कम करने की मांग की है।

वर्तमान सदस्यों का कार्यकाल

फिलहाल RPSC में नियुक्त पांच सदस्य अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल के दौरान नियुक्त हुए थे। कैलाश चंद मीणा, संगीता आर्य, और मंजू शर्मा का कार्यकाल 2026 तक है, जबकि केसरी सिंह राठौड़ और अयूब खान 2029 तक पद पर बने रहेंगे। कैलाश चंद मीणा को हाल ही में कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है।

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