शोभना शर्मा। चंदन की लकड़ी, जिसे भारत में ‘सुगंधित सोना‘ भी कहा जाता है, सदियों से अपनी अद्वितीय सुगंध और औषधीय गुणों के लिए जानी जाती है। दुर्लभ और महंगी होने के कारण, चंदन की लकड़ी तस्करों के लिए एक आकर्षक लक्ष्य है। राजस्थान में हाल ही में एक ऐसे ही तस्करी के मामले का खुलासा हुआ, जब कोटा पुलिस ने हाईवे चेकिंग के दौरान 125 किलो अवैध चंदन की लकड़ी बरामद की।
यह मामला तब सामने आया जब रानपुर थाना पुलिस ने एक प्राइवेट बस की डिग्गी की तलाशी ली और उसमें तीन बड़े कट्टों में छिपाई गई चंदन की लकड़ी को बरामद किया। इस घटना ने न केवल चंदन तस्करी के एक बड़े नेटवर्क की संभावना को उजागर किया, बल्कि यह भी दिखाया कि किस तरह तस्कर आधुनिक परिवहन साधनों का उपयोग कर अपने अवैध धंधे को अंजाम दे रहे हैं।
कोटा में हाईवे चेकिंग के दौरान हुई बरामदगी
कोटा के रानपुर थाने के थाना अधिकारी मांगेलाल के अनुसार, कोटा-झालावाड़ हाईवे पर जगपुरा चौकी के पास पुलिस की टीम वाहनों की नियमित चेकिंग कर रही थी। इस दौरान आंध्र प्रदेश नंबर की एक प्राइवेट बस को रोका गया। जब बस की डिग्गी की जांच की गई, तो पुलिस को तीन कट्टों में भरकर रखी गई चंदन की लकड़ी मिली।
यह लकड़ी बेहद सावधानीपूर्वक छिपाई गई थी, ताकि किसी को शक न हो। कट्टों का कुल वजन 125 किलो 640 ग्राम था। जब पुलिस ने बस में मौजूद यात्रियों और बस स्टाफ से पूछताछ की, तो जयपुर निवासी एक शख्स, अब्दुल हमीद, ने खुद को इन कट्टों का मालिक बताया।
आरोपी अब्दुल हमीद का दावा और पुलिस जांच
अब्दुल हमीद, जो मूल रूप से उत्तर प्रदेश के कन्नौज का रहने वाला है, ने पुलिस को बताया कि वह जयपुर में हवन सामग्री की दुकान चलाता है। उसने दावा किया कि यह चंदन की लकड़ी हवन सामग्री के लिए है। हालांकि, जब पुलिस ने उससे लकड़ी की खरीद के लिए आवश्यक लाइसेंस मांगा, तो वह संतोषजनक जवाब नहीं दे सका।
पुलिस को शक है कि अब्दुल हमीद केवल एक मोहरा है और इसके पीछे एक बड़ा तस्करी नेटवर्क हो सकता है। आरोपी से पूछताछ जारी है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि लकड़ी कहां से लाई गई थी और इसे कहां ले जाया जा रहा था।
चंदन की लकड़ी की कीमत और तस्करी के कारण
चंदन की लकड़ी की कीमत इसे तस्करों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनाती है। सामान्य चंदन की लकड़ी की कीमत 5,000 से 6,000 रुपये प्रति किलो होती है। वहीं, दुर्लभ और विशेष किस्म की चंदन लकड़ी की कीमत 35,000 रुपये प्रति किलो तक हो सकती है।
भारत में चंदन के पेड़ों की संख्या घट रही है, और कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में यह लकड़ी कानूनी रूप से संरक्षित है। इसके कारण, तस्कर चंदन की लकड़ी की अवैध कटाई और परिवहन करते हैं, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान होता है, बल्कि देश के कानूनों का भी उल्लंघन होता है।
आंध्र प्रदेश की प्राइवेट बस और तस्करी का तरीका
पुलिस जांच में सामने आया कि तस्कर चंदन की लकड़ी को एक प्राइवेट बस के माध्यम से राजस्थान ले जा रहे थे। आंध्र प्रदेश नंबर की इस बस की डिग्गी में कट्टों को छिपाकर रखा गया था। तस्कर अक्सर बड़े परिवहन साधनों का उपयोग करते हैं, क्योंकि यह उन्हें पकड़े जाने के जोखिम को कम करने का अवसर देता है।
तस्करी का यह तरीका दिखाता है कि तस्कर कितने पेशेवर हो गए हैं। वे अक्सर अपनी गतिविधियों को छिपाने के लिए वैध व्यावसायिक साधनों का उपयोग करते हैं।
पुलिस की कार्रवाई और आगे की योजना
रानपुर पुलिस ने चंदन की लकड़ी को जब्त कर लिया है और आरोपी अब्दुल हमीद को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस तस्करी के पीछे कौन-कौन से लोग और संगठन शामिल हैं।
पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया है कि वे इस मामले को गहराई से जांचेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि तस्करी के इस नेटवर्क को जड़ से खत्म किया जाए।
तस्करी के पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव
चंदन के पेड़ों की अवैध कटाई से न केवल पर्यावरण को भारी नुकसान होता है, बल्कि यह स्थानीय वनस्पति और जीव-जंतुओं को भी प्रभावित करता है। इसके अलावा, तस्करी से देश की कानून-व्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
चंदन की लकड़ी की तस्करी के कारण भारत की वैश्विक छवि को भी नुकसान पहुंचता है, क्योंकि यह एक ऐसा देश है जहां इस लकड़ी का पारंपरिक और सांस्कृतिक महत्व है।