शोभना शर्मा। अयोध्या के भव्य राम मंदिर का निर्माण तेजी से हो रहा है, और इसके गर्भ गृह की सजावट में जयपुर के कुशल कारीगरों का विशेष योगदान है। जयपुर के प्रसिद्ध पाण्डे मूर्ति भंडार के कलाकार अयोध्या के राम मंदिर के लिए सप्तऋषि मंडल और अन्य अद्भुत मूर्तियों का निर्माण कर रहे हैं। दीपावली के बाद ये मूर्तियाँ अयोध्या भेजी जाएंगी, जहाँ इनका प्रतिष्ठान किया जाएगा।
सप्तऋषि मंडल और इसकी विशेषता
जयपुर में तैयार हो रही मूर्तियों में सबसे प्रमुख सप्तऋषि मंडल है। सप्तऋषि मंडल में ऋषि वशिष्ठ, पुलस्त्य, मरीचि, अत्रि, अंगिरा, पुलह और क्रतु शामिल हैं। इन ऋषियों की मूर्तियों को ब्रह्मांड में जिस प्रकार सप्तऋषि तारा मंडल आकाश में दिखाई देता है, उसी क्रम में मंदिर में स्थापित किया जाएगा। यह प्राचीन भारतीय ज्ञान और कला का एक उत्कृष्ट उदाहरण होगा। सप्तऋषि मंडल की मूर्तियों को जिस रूप में आकाश में देखा जाता है, उसी आकृति में मंदिर में दर्शाया जाएगा।
बालरूपी रामलला की मूर्ति
जयपुर के पाण्डे मूर्ति भंडार के कारीगर सत्यनारायण पाण्डे और उनके बेटे प्रशांत पाण्डे ने मिलकर रामलला की बालरूपी मूर्ति का निर्माण किया है, जो 5 फीट ऊंची है। प्रशांत पाण्डे ने मूर्ति कला में फ्रांस के पेरिस स्थित एनसबा आर्ट कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की है। यह मूर्ति भगवान राम के बालस्वरूप को दर्शाती है और इसे मंदिर के गर्भ गृह में प्रतिष्ठित किया जाएगा।
अन्य महत्वपूर्ण मूर्तियाँ
]सप्तऋषि मंडल के अलावा, जयपुर से लगभग 20 अन्य मूर्तियाँ अयोध्या के राम मंदिर के लिए भेजी जा रही हैं। इनमें से एक मूर्ति माता शबरी की है, जिनके हाथ में बेर की टोकरी दिखाई देगी, और भगवान राम को बेर चखते हुए दर्शाया गया है। एक और मूर्ति में निषादराज को राम, सीता और लक्ष्मण को गंगा पार कराते हुए दिखाया गया है। यह मूर्तियाँ रामायण की कहानियों को जीवंत रूप में प्रस्तुत करती हैं और मंदिर में उनकी प्रमुख भूमिका होगी।
जयपुर के कलाकारों का योगदान
पाण्डे मूर्ति भंडार की ख्याति देश-विदेश तक फैली हुई है। इस भंडार ने पाकिस्तान, लंदन, और अमेरिका के इस्कॉन मंदिरों के लिए भी मूर्तियाँ बनाई हैं। जयपुर के कलाकारों द्वारा बनाए गए 11 इंच के गणपति भी राम मंदिर के मुख्य द्वार, जिसे गणेश पोल कहा जाता है, पर स्थापित किए गए हैं। गर्भ गृह के बाहर जय और विजय की 8-8 फीट ऊँची मूर्तियाँ भी जयपुर के कलाकारों की अद्भुत कारीगरी का परिणाम हैं। इसके अलावा, कोलीगोख पर 33-33 इंच की हनुमान और गणेश जी की मूर्तियाँ भी इसी भंडार के कलाकारों ने बनाई हैं।
अयोध्या मंदिर में सप्तऋषि मंडल की स्थापना
सप्तऋषि मंडल को अयोध्या के राम मंदिर में दिशाओं के अनुसार स्थापित किया जाएगा। इस मंडल का विशेष महत्व है, क्योंकि आकाश में सप्तऋषि तारे एक पतंग की आकृति बनाते हैं, जो डोर के साथ उड़ती हुई प्रतीत होती है। इसी आकाशीय मंडल को ध्यान में रखते हुए मूर्तियों को मंदिर में स्थापित किया जाएगा, जो भारतीय धार्मिक और खगोलीय परंपराओं को एकसाथ जोड़ता है।