शोभना शर्मा। बीकानेर संभाग का प्रमुख सरकारी अस्पताल पीबीएम (प्रिंस बिहारी सिंह मेमोरियल) इन दिनों मौसमी बीमारियों के प्रकोप से पूरी तरह से चरमरा गया है। अस्पताल प्रशासन की लापरवाही ने मरीजों को ऐसी स्थिति में डाल दिया है कि उन्हें ज़मीन पर लिटाकर इलाज किया जा रहा है। अस्पताल में डेंगू, मलेरिया, वायरल बुखार और अन्य मौसमी बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इनकी देखभाल के लिए उचित व्यवस्था नहीं की गई है।
अस्पताल में बदइंतजामी: मरीज जमीन पर और इलाज राम भरोसे
बीकानेर शहर में मौसमी बीमारियों का प्रकोप इस कदर बढ़ गया है कि पीबीएम अस्पताल में हर दिन लगभग 50 मरीज मौसमी बीमारियों से पीड़ित होकर भर्ती हो रहे हैं। लेकिन अस्पताल प्रशासन की तैयारी इतनी कमजोर है कि मरीजों को बेड की सुविधा तक नहीं मिल पा रही है। बेड की कमी के चलते मरीजों को अस्पताल के गलियारों और बरामदों में ज़मीन पर लिटाकर ड्रिप चढ़ाई जा रही है। यह दृश्य न केवल अस्पताल की अव्यवस्था को दर्शाता है, बल्कि प्रशासन की गंभीर लापरवाही को भी उजागर करता है।
मरीजों और उनके परिजनों का कहना है कि अस्पताल में पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। अस्पताल की स्थिति इतनी खराब है कि मरीजों को बिस्तर किराए पर लेना पड़ रहा है। ऐसे समय में जब मरीजों को उचित देखभाल और चिकित्सा सुविधाओं की आवश्यकता है, उन्हें इन बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है।
मौसमी बीमारियों का बढ़ता प्रकोप: प्रशासन की तैयारी नाकाफी
बीकानेर में हर साल बरसात के बाद डेंगू, मलेरिया और वायरल बुखार जैसी बीमारियों का उछाल देखा जाता है। इसके बावजूद, अस्पताल प्रशासन और सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। मरीजों के परिजनों का आरोप है कि प्रशासन ने पहले से कोई तैयारी नहीं की, जिससे आज यह हालात पैदा हुए हैं। मरीजों को घंटों लाइन में खड़े रहकर इंतजार करना पड़ता है, जबकि उनकी स्थिति गंभीर होती जा रही है।
अस्पताल में संसाधनों की कमी: डॉक्टरों और उपकरणों की कमी
पीबीएम अस्पताल में डॉक्टरों और आवश्यक उपकरणों की भी भारी कमी है। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों की संख्या पर्याप्त नहीं है, और जो डॉक्टर मौजूद हैं, वे भी मरीजों की संख्या के अनुपात में बहुत कम हैं। इसके अलावा, जीवनरक्षक उपकरण और अन्य बुनियादी चिकित्सा उपकरण भी पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं हैं।
परिजनों ने आरोप लगाया कि हर साल इस मौसम में मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ता है, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर कोई योजना नहीं बनाई जाती। अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में दवाइयां और अन्य चिकित्सा उपकरण नहीं हैं, जिससे मरीजों की हालत और भी खराब हो रही है।
अव्यवस्था और लापरवाही: मरीजों की हालत बिगड़ रही है
अस्पताल प्रशासन की ओर से किए गए बड़े-बड़े दावे पूरी तरह से विफल हो गए हैं। सरकार और स्वास्थ्य विभाग के दावों के बावजूद अस्पताल की मौजूदा स्थिति इस बात का सबूत है कि मौसमी बीमारियों से निपटने के लिए प्रशासनिक तैयारी न के बराबर है। अस्पताल की तस्वीरें और वहां मौजूद मरीजों की स्थिति यह दर्शाती हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी की योजनाएं कागजों तक ही सीमित हैं।
मरीजों के परिजनों का यह भी कहना है कि अस्पताल में मौजूदा स्थिति को सुधारने के लिए अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो हालात और भी बिगड़ सकते हैं। मरीजों को तत्काल राहत देने के लिए सरकार और स्वास्थ्य विभाग को प्रभावी योजनाएं बनानी होंगी और संसाधनों को प्राथमिकता देनी होगी।
स्थानीय लोगों का आक्रोश: अस्पताल प्रशासन पर सवाल
अस्पताल में मौजूदा दुर्दशा को देखते हुए स्थानीय लोग और मरीजों के परिजन भी काफी नाराज हैं। उनका कहना है कि जब हर साल इस समय मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ता है, तो प्रशासन ने पहले से ही तैयारी क्यों नहीं की? अस्पताल प्रशासन की इस लापरवाही के कारण न केवल मरीजों की हालत और खराब हो रही है, बल्कि उनकी जान भी खतरे में पड़ रही है।
सरकार और स्वास्थ्य विभाग के दावे: धरातल पर स्थिति अलग
बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में मौजूदा स्थिति स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति को उजागर करती है। सरकार और स्वास्थ्य विभाग की ओर से हर साल बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के दावे किए जाते हैं, लेकिन जब बात धरातल पर काम करने की होती है, तो प्रशासनिक लापरवाही और संसाधनों की कमी के कारण स्वास्थ्य सेवाएं ध्वस्त हो जाती हैं।