शोभना शर्मा। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे शांति धारीवाल की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ने वाली हैं। एकल पट्टा प्रकरण, जिसमें हाल ही में एसीबी ने सुप्रीम कोर्ट की एसएलपी का जवाब देते हुए धारीवाल को क्लीन चिट दी थी, फिर से जांच के घेरे में आ गया है। भजनलाल सरकार ने इस मामले की दोबारा जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी की अध्यक्षता हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस आरएस राठौड़ करेंगे, और गृह विभाग के एसीएस और यूडीएच विभाग के प्रमुख शासन सचिव इस कमेटी के सदस्य होंगे। यह कमेटी पूरे मामले की समीक्षा करेगी और सुप्रीम कोर्ट में जवाब पेश करने के लिए विधिक प्रक्रिया पर भी विचार करेगी।
इससे पहले, एसीबी के एडिशनल एसपी सुरेंद्र सिंह ने बिना सरकारी अनुमति के सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी का जवाब पेश किया था, जिसमें शांति धारीवाल को क्लीन चिट दी गई थी। इस पर सरकार ने कड़ा कदम उठाते हुए सुरेंद्र सिंह को एपीओ कर दिया और एसीबी के एडीजी को भी हटा दिया। यह मामला तब और गंभीर हो गया जब पता चला कि इतनी बड़ी कार्रवाई बिना सरकारी संज्ञान के की गई थी।
एकल पट्टा प्रकरण में कई आईएएस और आरएएस अधिकारी जेल जा चुके हैं, जिनमें पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव जीएस संधू, आरएएस अधिकारी निष्काम दिवाकर और ओंकार मल सैनी शामिल हैं। ये अधिकारी कई महीनों तक जेल में रहे और इस प्रकरण में शांति धारीवाल से भी कई बार पूछताछ की गई थी। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने इस केस को वापस ले लिया था, जिसे मई 2023 में हाईकोर्ट ने सही ठहराया था। इसके विरुद्ध एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी।
एकल पट्टा प्रकरण पहली बार 2013 में सामने आया जब वसुंधरा राजे प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं। परिवादी रामशरण सिंह ने एसीबी में शिकायत दर्ज कराई थी कि 2011 में जेडीए द्वारा गणपति कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया एकल पट्टा नियम विरुद्ध था, जिससे राज्य सरकार को भारी वित्तीय नुकसान हुआ था। 2014 में एसीबी ने एफआईआर दर्ज की और जांच शुरू की, जिसमें कई अधिकारियों और गणपति कंस्ट्रक्शन कंपनी के प्रोपराइटर शैलेंद्र गर्ग के खिलाफ जांच शुरू हुई थी।
इस खबर से स्पष्ट है कि एकल पट्टा प्रकरण में शांति धारीवाल की मुश्किलें बढ़ गई हैं और राज्य सरकार इस मामले की गहन