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शेखावत ने शिल्पग्राम महोत्सव में किया संबोधन: भारतीय संस्कृति को सराहा

शेखावत ने शिल्पग्राम महोत्सव में किया संबोधन: भारतीय संस्कृति को सराहा

शोभना शर्मा। उदयपुर में चल रहे शिल्पग्राम महोत्सव का रविवार को एक खास दिन रहा, जब केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मुक्ताकाशी मंच से उपस्थित कला प्रेमियों और दर्शकों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने भारतीय संस्कृति की अद्वितीयता और उसकी बढ़ती वैश्विक पहचान पर चर्चा की।

शेखावत ने कहा कि पिछले दस वर्षों में भारतीय संस्कृति ने अपनी पहचान को विश्व स्तर पर स्थापित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत न केवल एक आर्थिक और सामरिक शक्ति के रूप में उभरा है, बल्कि सांस्कृतिक क्षेत्र में भी उसकी ताकत बढ़ी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में “कल्चरल इकोनॉमी” को भी पहचान मिल रही है और यह जल्द ही औपचारिक अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देने वाली है।

राजस्थान की बहुआयामी संस्कृति की सराहना

अपने संबोधन में शेखावत ने राजस्थान की बहुआयामी संस्कृति और इसके गौरवशाली इतिहास का जिक्र किया। उन्होंने पन्नाधाय के बलिदान, हाड़ी रानी के शीशदान और रानी पद्मिनी के जौहर को याद करते हुए मेवाड़ के वीरता और शौर्य की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि राजस्थान की रेगिस्तानी भूमि में सूखे और अभावों के बावजूद लोगों ने अपनी सांस्कृतिक धरोहर को सहेज कर रखा है।

शेखावत ने आदिवासी संस्कृति के अनूठे सम्मिश्रण पर भी चर्चा की और इसे राजस्थान की विविधता का प्रतीक बताया। उन्होंने शिल्पग्राम महोत्सव को भारतीय संस्कृति के प्रसार का एक प्रमुख मंच बताया, जहां लोग विभिन्न राज्यों की कला, संस्कृति और खान-पान को करीब से समझ सकते हैं।

लोक नृत्यों और गायन का अद्भुत प्रदर्शन

शिल्पग्राम महोत्सव के मुक्ताकाशी मंच पर रविवार शाम को लोक नृत्यों और गायन की शानदार प्रस्तुतियां हुईं। राजस्थानी चरी नृत्य ने दर्शकों का मन मोह लिया। इस नृत्य में जलती हुई चरी (मटकी) को सिर पर संतुलित रखते हुए कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया, जिसने सभी को रोमांचित कर दिया।

गुजरात के “तलवार रास” ने दर्शकों को रोमांच से भर दिया। इस लोक नृत्य में आजादी के दीवानों के युद्ध कौशल को प्रदर्शित किया गया। महादेव और भस्मासुर की पौराणिक कथा पर आधारित गवरी नृत्य नाटिका ने अपनी अनूठी प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मुक्ताकाशी मंच तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

कच्छ के लोक गायन ने भक्ति रस से वातावरण को सराबोर कर दिया, वहीं गुजरात के आदिवासी नृत्य राठवा की कोरियोग्राफी ने सभी का दिल जीत लिया। इस नृत्य में आदिवासी जीवनशैली और उनकी संस्कृति की झलक देखने को मिली।

शिल्पग्राम महोत्सव की विशेषताएं

केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने शिल्पग्राम महोत्सव की प्रशंसा करते हुए इसे भारत की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करने वाला एक अनोखा आयोजन बताया। उन्होंने कहा कि यह महोत्सव न केवल दर्शकों को विभिन्न राज्यों की कला और संस्कृति को जानने का मौका देता है, बल्कि हस्तशिल्पियों के लिए भी एक बड़ा मंच प्रदान करता है।

यहां देशभर के हस्तशिल्पियों को अपने उत्पादों को प्रदर्शित और बेचने का अवसर मिलता है। महोत्सव में हस्तशिल्प, कपड़े, गहने, मिट्टी के बर्तन और अन्य पारंपरिक सामानों की दुकानें आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।

भारतीय संस्कृति का वैश्विक प्रभाव

शेखावत ने भारतीय संस्कृति की वैश्विक लोकप्रियता पर बात करते हुए कहा कि यह भारत की सांस्कृतिक शक्ति और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व का परिणाम है। उन्होंने बताया कि आज पूरी दुनिया में भारतीय योग, आयुर्वेद, नृत्य, संगीत और खान-पान को सराहा जा रहा है। भारतीय त्यौहारों और परंपराओं को भी विश्व स्तर पर अपनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि कल्चरल इकोनॉमी का महत्व तेजी से बढ़ रहा है। यह न केवल देश की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने का काम कर रही है, बल्कि युवाओं को रोजगार और नए अवसर भी प्रदान कर रही है।

उपस्थित गणमान्य व्यक्ति

कार्यक्रम में शेखावत के साथ सांसद मन्नालाल रावत, भारत सरकार की संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव अमिता प्रसाद और पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक फुरकान खान भी उपस्थित थे। उनकी उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी खास बना दिया।

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