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शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम: कम नींद की दुर्लभ स्थिति

शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम: कम नींद की दुर्लभ स्थिति

मनीषा शर्मा, अजमेर। आजकल की व्यस्त जीवनशैली और तनाव के बीच नींद एक अहम पहलू है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो एक स्वस्थ व्यक्ति को रोजाना 8 से 9 घंटे की नींद लेना आवश्यक होता है। लेकिन जब बात शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम (Short Sleeper Syndrome) की आती है, तो यह सामान्य नींद के पैटर्न से बिल्कुल अलग है। यह एक दुर्लभ स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को बहुत कम नींद की आवश्यकता होती है और फिर भी वह पूरी तरह स्वस्थ रहता है।

शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम क्या है?

शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम (SSS) या शॉर्ट स्लीप सिंड्रोम एक विशेष स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को आमतौर पर 4 से 6 घंटे या उससे भी कम नींद की जरूरत होती है। इसके बावजूद, शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम से पीड़ित लोग पूरी तरह स्वस्थ और ऊर्जावान रहते हैं। यह स्थिति बहुत ही दुर्लभ होती है और इसे एक प्रकार की प्राकृतिक नींद की स्थिति माना जाता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति प्राकृतिक रूप से कुछ लोगों में होती है और इसके लिए किसी बाहरी कारक की जरूरत नहीं होती।

शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम के लक्षण

शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम के मुख्य लक्षणों में शामिल हैं:

  1. कम नींद की जरूरत: शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति को आमतौर पर 4 से 6 घंटे या उससे कम नींद की आवश्यकता होती है।

  2. ऊर्जावान महसूस करना: कम नींद के बावजूद, यह व्यक्ति पूरी तरह से ऊर्जावान और स्वस्थ महसूस करता है।

  3. फिक्स्ड नींद का पैटर्न: शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति की नींद नियमित और निश्चित होती है। वे सोने का समय बदलने की कोशिश नहीं करते हैं।

  4. कोई मानसिक थकावट नहीं: कम नींद के बावजूद व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ रहता है और उसके कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ता है।

शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम का कारण

शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम के कारणों पर कई शोध किए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कारण सामने नहीं आया है। कुछ रिसर्च के अनुसार, यह स्थिति आनुवांशिक हो सकती है। जिन लोगों में यह स्थिति पाई जाती है, उनके जीन में विशेष प्रकार का म्यूटेशन (DEC2 जीन या ADRB1 जीन) देखा गया है।

इस जीन में होने वाले परिवर्तन के कारण ही शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम वाले लोग कम नींद में भी तरोताजा रहते हैं। हालांकि, यह स्थिति किशोरावस्था के दौरान अधिक दिखाई देती है, लेकिन कुछ मामलों में उम्र बढ़ने के साथ भी इसकी शुरुआत हो सकती है।

कम नींद के लिए ट्रेनिंग कितनी खतरनाक?

कम नींद के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम या स्लीप ट्रेनिंग को लेकर विशेषज्ञों का मत है कि यह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। नई दिल्ली के PSRI हॉस्पिटल की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. नीतू जैन के मुताबिक, “कम नींद लेने की कोशिश करना या इसके लिए ट्रेनिंग देना, दोनों ही खतरनाक हो सकते हैं।” अगर हम कम नींद लेने का प्रयास करेंगे तो इसका असर हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है।

कई बार इससे क्रॉनिक स्लीप डिप्रिवेशन की स्थिति पैदा हो सकती है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जैसे कमजोर इम्यून सिस्टम, पाचन संबंधी विकार, और हृदय रोग की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।

शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम कितना सामान्य है?

शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम बहुत ही दुर्लभ स्थिति है। साइंस जर्नल न्यूरॉन में प्रकाशित 2019 की एक स्टडी के अनुसार, यह कंडीशन करीब एक लाख लोगों में से केवल 2-4 लोगों को प्रभावित करती है। इसका मतलब यह है कि यह बहुत ही कम लोगों में पाई जाती है, और हो सकता है कि हमें अपनी पूरी जिंदगी में कभी किसी शॉर्ट स्लीपर से मिलना ही न हो।

शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम का इलाज

डॉक्टरों के अनुसार, शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम कोई स्लीप डिसऑर्डर या बीमारी नहीं है, इसलिए इसका कोई विशेष इलाज नहीं है। इसे इलाज की जरूरत भी नहीं होती, क्योंकि यह उन कुछ दुर्लभ लोगों में पाया जाता है, जो कम नींद में भी पूरी तरह से स्वस्थ रहते हैं।

हालांकि, अगर किसी को कम नींद से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं तो डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी हो सकता है। ऐसी स्थिति में स्लीप हाइजीन को फॉलो करना एक बेहतरीन उपाय हो सकता है।

अच्छी नींद के लिए जरूरी है स्लीप हाइजीन

अच्छी और गुणवत्तापूर्ण नींद के लिए स्लीप हाइजीन बेहद जरूरी है। यहां कुछ महत्वपूर्ण टिप्स दिए गए हैं, जिनका पालन करके आप अपनी नींद में सुधार ला सकते हैं:

  1. सोने का समय निश्चित करें: रोजाना एक ही समय पर सोने और जागने की आदत डालें।

  2. स्लीप रूटीन बनाएं: सोने से पहले कुछ आरामदायक गतिविधियों को करें जैसे कि किताब पढ़ना या हल्की स्ट्रेचिंग करना।

  3. स्क्रीन टाइम कम करें: सोने से पहले मोबाइल, टीवी और लैपटॉप से दूर रहें। इससे नींद में सुधार होता है।

  4. आरामदायक वातावरण बनाएँ: बेडरूम में शांत और अंधेरा वातावरण बनाएँ, जिससे नींद बेहतर हो सके।

  5. कैफीन से बचें: सोने से कुछ घंटों पहले कैफीनयुक्त पेय पदार्थों का सेवन न करें।

शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम के साथ जीना

हालांकि शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम एक बहुत ही दुर्लभ स्थिति है, फिर भी अगर किसी व्यक्ति को कम नींद आती है और वह स्वस्थ रहता है तो इसका मतलब है कि उसे इसकी आदत हो सकती है। हालांकि, अधिकतर लोगों के लिए पर्याप्त नींद लेना स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होता है।शॉर्ट स्लीपर सिंड्रोम एक दुर्लभ और विशेष स्थिति है, जिसमें व्यक्ति कम नींद लेकर भी ऊर्जावान रहता है। हालांकि, हर किसी को पर्याप्त नींद की आवश्यकता होती है, और नींद के साथ किसी भी तरह का समझौता स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए, यदि आप कम नींद का सामना कर रहे हैं या स्लीप ट्रेनिंग के बारे में सोच रहे हैं, तो पहले स्लीप हाइजीन अपनाएं और डॉक्टर से सलाह लें।

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