मनीषा शर्मा। भारतीय सिनेमा के महान फिल्म निर्देशक, पटकथा लेखक, और निर्माता श्याम बेनेगल का 90 वर्ष की आयु में मुंबई में निधन हो गया। उन्होंने 14 दिसंबर को अपना 90वां जन्मदिन मनाया था। बेनेगल का जाना भारतीय सिनेमा के लिए एक युग का अंत है।
बेनेगल को उनके क्रांतिकारी विचारों, सामाजिक मुद्दों पर आधारित फिल्मों और नए कलाकारों को मौका देने के लिए जाना जाता है। उनकी फिल्मों ने भारतीय सिनेमा को न केवल नया दृष्टिकोण दिया, बल्कि उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान भी दिलाई।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
श्याम सुंदर बेनेगल का जन्म 14 दिसंबर 1934 को हैदराबाद के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। वे मशहूर अभिनेता और फिल्ममेकर गुरु दत्त के कजिन थे। उनके पिता को फोटोग्राफी का शौक था, और इसी शौक ने श्याम को भी फोटोग्राफी के लिए प्रेरित किया। शुरुआती पढ़ाई के बाद उन्होंने हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम.ए. की डिग्री प्राप्त की। फोटोग्राफी और विज्ञापन के क्षेत्र में काम करने के बाद उन्होंने फिल्म निर्माण की ओर कदम बढ़ाया।
फिल्म निर्माण का सफर
श्याम बेनेगल ने अपने करियर की शुरुआत एड एजेंसियों में बतौर कॉपीराइटर की। बाद में उन्होंने एड फिल्में बनानी शुरू कीं। उनकी पहली फीचर फिल्म ‘अंकुर’ (1974) ने उन्हें तत्काल प्रसिद्धि दिलाई। यह फिल्म न केवल एक शानदार कहानी थी, बल्कि इसमें सामाजिक मुद्दों को बड़ी संवेदनशीलता के साथ दिखाया गया था।
‘अंकुर’ के बाद उन्होंने ‘मंथन’, ‘भूमिका’, ‘मंडी’, ‘आरोहन’, ‘त्रिकाल’, ‘जुबैदा’, और ‘वेलकम टू सज्जनपुर’ जैसी यादगार फिल्में बनाईं। उनकी फिल्मों में समाज के हाशिए पर खड़े लोगों की कहानियां और सामाजिक मुद्दों की गहराई से झलक मिलती है।
दूरदर्शन के लिए उत्कृष्ट कार्य
बेनेगल ने न केवल फीचर फिल्मों में, बल्कि टेलीविजन की दुनिया में भी अपना अमूल्य योगदान दिया।
- ‘भारत एक खोज’: पंडित नेहरू की किताब डिस्कवरी ऑफ इंडिया पर आधारित इस धारावाहिक ने भारतीय इतिहास को नए नजरिए से पेश किया।
- ‘यात्रा’ और ‘कथा सागर’: इन धारावाहिकों ने भी दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया।
उन्होंने जवाहरलाल नेहरू और सत्यजीत रे पर डॉक्यूमेंट्री भी बनाई।
भारतीय सिनेमा को दिए महान कलाकार
श्याम बेनेगल ने भारतीय सिनेमा को कई बेहतरीन कलाकार दिए, जिनमें नसीरुद्दीन शाह, शबाना आजमी, स्मिता पाटिल, ओम पुरी, अमरीश पुरी, और अनंत नाग प्रमुख हैं। उनके निर्देशन में इन कलाकारों ने न केवल उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, बल्कि भारतीय सिनेमा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
पुरस्कार और सम्मान
श्याम बेनेगल को उनके योगदान के लिए अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार: उन्होंने 8 बार यह प्रतिष्ठित पुरस्कार जीता, जो भारतीय सिनेमा में सबसे अधिक है।
पद्मश्री और पद्म भूषण: 1976 में पद्मश्री और 1991 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड: 2005 में उन्हें भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सम्मान से नवाजा गया।
अन्य सम्मान: उनकी डॉक्यूमेंट्री और फिल्मों को अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में कई पुरस्कार मिले।
श्याम बेनेगल की प्रमुख फिल्में
‘अंकुर’ (1974)
यह फिल्म भारतीय ग्रामीण जीवन और सामाजिक असमानता पर आधारित थी।
‘मंथन’ (1976)
इस फिल्म ने भारत में श्वेत क्रांति को चित्रित किया। इसकी खास बात यह थी कि यह 5 लाख किसानों के सहयोग से बनी थी।
‘जुबैदा’ (2001)
यह फिल्म एक महिला की आजादी और उसके संघर्षों पर आधारित थी।
‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस: द फॉरगॉटन हीरो’ (2005)
इस फिल्म ने सुभाष चंद्र बोस के जीवन को चित्रित किया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अनदेखे पहलुओं को सामने रखा।
फिल्म निर्माण में बेनेगल का दृष्टिकोण
श्याम बेनेगल को उनके यथार्थवादी दृष्टिकोण और समाज के प्रति उनकी गहरी संवेदनशीलता के लिए जाना जाता है। उनकी हर फिल्म सामाजिक मुद्दों पर आधारित होती थी। वे फिल्म निर्माण को सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि समाज को जागरूक करने का जरिया मानते थे।
व्यक्तिगत जीवन और रुचियां
श्याम बेनेगल का जीवन हमेशा सादगी से भरा रहा। वे फोटोग्राफी और लेखन के प्रति भी रुचि रखते थे। उनका मानना था कि कला और सिनेमा का उद्देश्य समाज में बदलाव लाना है।