मनीषा शर्मा । राजस्थान में भ्रष्टाचार से जुड़े एक चर्चित मामले, 11 साल पुराने एकल पट्टा प्रकरण, की सुनवाई एक बार फिर से राजस्थान हाईकोर्ट में शुरू हो गई है। यह सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर की जा रही है, जिसमें कहा गया था कि मुख्य न्यायाधीश स्वयं इस मामले की सुनवाई करें और छह महीने के अंदर निर्णय दें। इस प्रकरण में कांग्रेस विधायक शांति धारीवाल और तीन पूर्व अफसरों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं।
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से सुनवाई शुरू
सुप्रीम कोर्ट ने 5 नवंबर 2023 को हाईकोर्ट के दो आदेशों को रद्द करते हुए इस मामले को फिर से सुनवाई के लिए निर्देशित किया था। पहले हाईकोर्ट ने 17 जनवरी 2023 और 15 नवंबर 2022 के आदेशों के माध्यम से संबंधित आरोपियों के खिलाफ चल रही कार्रवाई को रोक दिया था। इन आदेशों के बाद यह मामला लगभग ठप हो गया था। हालांकि, आरटीआई एक्टिविस्ट अशोक पाठक की ओर से दाखिल विशेष अनुमति याचिका (SLP) पर सुप्रीम कोर्ट ने मामले को पुनर्जीवित कर दिया।
मामले का इतिहास और विवाद
यह मामला 29 जून 2011 को जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) द्वारा गणपति कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर शैलेंद्र गर्ग को एकल पट्टा जारी करने से जुड़ा है। इसके खिलाफ 2013 में परिवादी रामशरण सिंह ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में शिकायत की थी। शिकायत के बाद तत्कालीन एसीएस जीएस संधू, डिप्टी सचिव निष्काम दिवाकर, जोन उपायुक्त ओंकारमल सैनी और शैलेंद्र गर्ग समेत छह लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। इसके बाद इन सभी के खिलाफ एसीबी कोर्ट में चालान पेश किया गया था। 2013 में मामले की जांच के दौरान तत्कालीन यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल से भी पूछताछ की गई थी। हालांकि, गहलोत सरकार के कार्यकाल में एसीबी ने तीन क्लोजर रिपोर्ट पेश कर सभी आरोपियों को क्लीन चिट दे दी।
गहलोत सरकार और यू-टर्न
गहलोत सरकार के दौरान एसीबी ने 2019 और 2022 के बीच तीन क्लोजर रिपोर्ट पेश की, जिसमें कहा गया कि इस प्रकरण में कोई अनियमितता नहीं पाई गई। इसके बावजूद, सुप्रीम कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लिया और हाईकोर्ट को सुनवाई के निर्देश दिए। वर्तमान भजनलाल सरकार ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक नया हलफनामा पेश किया, जिसमें कांग्रेस विधायक शांति धारीवाल और तीन पूर्व अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई को उचित ठहराया। सरकार ने यह भी कहा कि पूर्व में पेश किया गया हलफनामा बिना वरिष्ठ अधिकारियों की सलाह के दाखिल हुआ था।
हाईकोर्ट में ताजा सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव की एकलपीठ ने इस मामले की सुनवाई शुरू कर दी है। अदालत ने सभी पक्षों को अतिरिक्त दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया है। साथ ही आरटीआई एक्टिविस्ट अशोक पाठक को इस मामले में इंटरवेनेर बनने के लिए प्रार्थना पत्र पेश करने को कहा गया है।
शांति धारीवाल को राहत और विवाद
इस मामले में शांति धारीवाल के खिलाफ परिवादी ने उन्हें आरोपी बनाने की अपील की थी। हाईकोर्ट ने 15 नवंबर 2022 को उन्हें राहत देते हुए उनके खिलाफ चल रही प्रोटेस्ट पिटिशन को खारिज कर दिया। धारीवाल का कहना है कि एफआईआर से लेकर चालान तक उनका कहीं नाम नहीं है।
एसीबी की क्लोजर रिपोर्ट और कोर्ट का रुख
एसीबी ने तीन बार क्लोजर रिपोर्ट पेश की, जिसमें कहा गया कि इस मामले में किसी भी तरह की अनियमितता नहीं पाई गई। एसीबी कोर्ट ने इन क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया और अग्रिम जांच के आदेश दिए।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और आगे की राह
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि हाईकोर्ट छह महीने के अंदर इस मामले का निपटारा करे। हाईकोर्ट ने जनवरी 2024 के अंतिम सप्ताह में इस मामले को फाइनल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
मामले का महत्व और प्रभाव
यह मामला सिर्फ भ्रष्टाचार से जुड़े आरोपों तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे राजस्थान की प्रशासनिक और राजनीतिक संरचना पर भी बड़ा प्रभाव पड़ेगा। शांति धारीवाल जैसे वरिष्ठ नेताओं और अधिकारियों पर आरोप लगने से यह मामला और भी संवेदनशील हो गया है।