latest-newsटोंकराजनीतिराजस्थान

थप्पड़ कांड: नरेश मीणा की जमानत फिर खारिज, समर्थकों में बढ़ा आक्रोश

थप्पड़ कांड: नरेश मीणा की जमानत फिर खारिज, समर्थकों में बढ़ा आक्रोश

शोभना शर्मा। राजस्थान के टोंक जिले में हुए ‘थप्पड़ कांड’ के आरोपी नरेश मीणा को दूसरी बार जमानत के लिए असफलता का सामना करना पड़ा है। 13 नवंबर को हुए इस विवाद ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में बड़ी हलचल पैदा कर दी थी। उपचुनाव के दौरान निर्दलीय प्रत्याशी और कांग्रेसी बागी नेता नरेश मीणा ने क्षेत्रीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) अमित चौधरी को थप्पड़ मारा था। घटना के बाद से मीणा टोंक जेल में बंद हैं।

जमानत याचिका फिर खारिज: क्या है कोर्ट का निर्णय?

नरेश मीणा की जमानत अर्जी पहली बार उनियारा कोर्ट में खारिज हुई थी। इसके बाद, उनके वकीलों ने एसीजेएम कोर्ट (अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट) में जमानत याचिका दाखिल की। सुनवाई के बाद, एसीजेएम सुरभी सिंह ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया। यह घटना समर्थकों और उनके राजनीतिक गुटों के लिए दूसरा बड़ा झटका साबित हुई है।

महापंचायत की तैयारी: रिहाई की मांग को लेकर आंदोलन की चेतावनी

नरेश मीणा की जेल में बंदी और जमानत याचिका खारिज होने के बाद उनके समर्थकों ने आंदोलन की रूपरेखा तैयार करनी शुरू कर दी है। सवाई माधोपुर में आयोजित सर्व समाज की बैठक में कांग्रेस नेता प्रहलाद गुंजल ने कहा कि यदि 17 दिसंबर तक रिहाई नहीं हुई, तो बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा। टोंक सरपंच संघ के अध्यक्ष मुकेश मीणा ने भी स्पष्ट किया कि आंदोलन की योजना तैयार हो चुकी है। उन्होंने कहा, “हमारी मांगें नहीं मानी गईं, तो महापंचायत आयोजित की जाएगी। उसके बाद बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।”

थप्पड़ कांड: कैसे शुरू हुआ विवाद?

13 नवंबर को टोंक जिले के देवली-उनियारा उपचुनाव के दौरान मतदान केंद्र पर स्थिति तनावपूर्ण हो गई थी। इस दौरान निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा और क्षेत्रीय मजिस्ट्रेट अमित चौधरी के बीच विवाद हो गया। कहा जाता है कि बहस इतनी बढ़ गई कि मीणा ने एसडीएम को थप्पड़ जड़ दिया। घटना के बाद पुलिस ने मीणा को गिरफ्तार किया और टोंक जेल भेज दिया। यह मामला सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि राजनीतिक विवाद का विषय भी बन गया।

समर्थकों का गुस्सा और बढ़ते तनाव

एक महीने से ज्यादा का समय बीतने के बाद भी रिहाई न होने पर मीणा समर्थकों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। उनकी मांग है कि नरेश मीणा को जल्द रिहा किया जाए। सवाई माधोपुर और टोंक में हुए विभिन्न बैठकों में आंदोलन की तैयारी पर चर्चा की जा रही है। महापंचायत के जरिए प्रशासन पर दबाव बनाने और बड़े आंदोलन की शुरुआत की संभावना जताई जा रही है।

राजनीतिक मायने और चुनावी असर

यह मामला केवल कानूनी विवाद नहीं, बल्कि राजस्थान की राजनीति में भी अहम भूमिका निभा रहा है। कांग्रेस के बागी नेता के रूप में पहचान रखने वाले नरेश मीणा ने उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। घटना ने कांग्रेस और उनके समर्थकों के बीच गहरी दरार पैदा कर दी है। आरोपियों और राजनीतिक संगठनों के इस मामले में शामिल होने से यह मुद्दा अब राज्यव्यापी बहस का हिस्सा बन गया है।

post bottom ad

Discover more from MTTV INDIA

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading