मनीषा शर्मा। राजस्थान के टोंक जिले के समरावता गांव में हुए थप्पड़कांड विवाद ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। घटना के बाद दर्ज मुकदमों और ग्रामीणों की मांगों को लेकर सोमवार को किरोड़ीलाल मीणा ने जयपुर में गृह राज्यमंत्री जवाहर सिंह बेढ़म से मुलाकात की। मीणा के साथ ग्रामीणों का एक प्रतिनिधिमंडल भी शामिल था।
ग्रामीणों पर भड़के किरोड़ीलाल मीणा
वार्ता के बाद जारी बयान में हिंसा की जांच संभागीय आयुक्त स्तर पर कराने पर सहमति बनी थी। लेकिन मौके पर मौजूद कुछ ग्रामीणों ने इस पर आपत्ति जताई। उनका कहना था कि वे न्यायिक जांच चाहते हैं, क्योंकि निष्पक्षता केवल न्यायिक स्तर पर ही सुनिश्चित हो सकती है।
यह सुनते ही किरोड़ीलाल मीणा अपनी गाड़ी से उतरकर ग्रामीणों के पास पहुंचे और नाराजगी जताई। उन्होंने कहा,
“तुम लोग बदल-बदल कर बयान क्यों दे रहे हो? मीडिया के सामने सहमति जताने के बाद अब असहमति क्यों जता रहे हो? इससे गलत संदेश जाता है।”
बोले- मुख्यमंत्री के पास अब नहीं जाऊंगा
किरोड़ी ने साफ कहा कि अब वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास नहीं जाएंगे। उन्होंने ग्रामीणों से कहा,
“गहलोत, डोटासरा और पायलट के पास जाओ। अगर वे कलेक्टर-एसपी को गिरफ्तार करा सकते हैं तो उनसे बात करो।”
मीणा ने ग्रामीणों को अपने बयान पर स्थिति स्पष्ट करने को भी कहा।
क्या है थप्पड़कांड का मामला?
घटना 13 नवंबर को टोंक जिले के देवली-उनियारा विधानसभा क्षेत्र के समरावता गांव की है। उपचुनाव के दौरान मतदान का बहिष्कार करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ग्रामीणों के साथ धरने पर बैठे थे। उन्होंने अधिकारियों पर जबरन मतदान कराने का आरोप लगाते हुए SDM अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया।
मतदान के बाद बवाल
मतदान खत्म होते ही पोलिंग पार्टियों ने क्षेत्र से निकलने की कोशिश की। लेकिन इस दौरान हंगामा हो गया। ग्रामीणों ने पुलिस और प्रशासन की गाड़ियों में तोड़फोड़ कर दी। रात करीब 9:30 बजे नरेश मीणा को हिरासत में ले लिया गया।
हिरासत की खबर सुनते ही सैकड़ों ग्रामीण मौके पर पहुंचे और पुलिस पर पथराव व आगजनी कर दी। इस दौरान 50 से ज्यादा लोग घायल हुए, जिनमें 10 पुलिसकर्मी भी शामिल थे। हालात काबू करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।
मीणा समर्थकों का आक्रोश
14 नवंबर को नरेश मीणा ने समरावता गांव पहुंचकर पुलिस पर मारपीट का आरोप लगाया। दोपहर 12 बजे उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद से ही ग्रामीणों और प्रशासन के बीच तनाव जारी है।
ग्रामीणों की मांग और विवाद
घटना के बाद ग्रामीणों ने हिंसा की न्यायिक जांच की मांग की है। हालांकि, गृह राज्यमंत्री जवाहर सिंह बेढ़म और किरोड़ीलाल मीणा ने संयुक्त बयान में संभागीय आयुक्त स्तर पर जांच पर सहमति जताई थी। ग्रामीणों के बदलते रुख ने विवाद को और बढ़ा दिया।
न्यायिक जांच पर जोर
ग्रामीणों का कहना है कि मामले की निष्पक्षता केवल न्यायिक जांच से सुनिश्चित हो सकती है। वे SDM, कलेक्टर और अन्य अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
राजनीतिक दांव-पेच
यह मामला राजस्थान की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन गया है।
- किरोड़ीलाल मीणा, जो ग्रामीणों के समर्थन में थे, अब उनके बयान बदलने से नाराज हैं।
- विपक्षी दल इस मुद्दे को सरकार के खिलाफ हथियार बना रहे हैं।
- वहीं, राज्य सरकार मामले को शांत करने के लिए संभागीय स्तर पर जांच की योजना बना रही है।
थप्पड़कांड का असर:
- ग्रामीण असंतोष: ग्रामीणों के विरोध ने प्रशासन को घेर लिया है।
- राजनीतिक विवाद: यह मामला कांग्रेस और भाजपा के बीच राजनीतिक बयानबाजी का केंद्र बन गया है।
- प्रशासनिक कार्यवाही: हिंसा और आगजनी में शामिल लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए हैं।