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सोनी जी की नसियां: अजमेर का प्राचीन और प्रसिद्ध जैन मंदिर

सोनी जी की नसियां: अजमेर का प्राचीन और प्रसिद्ध जैन मंदिर

शोभना शर्मा । राजस्थान के अजमेर शहर में स्थित सोनी जी की नसियां एक प्रमुख जैन मंदिर है, जिसे राजस्थान के बेहतरीन जैन मंदिरों में से एक माना जाता है। पृथ्वीराज मार्ग पर स्थित यह मंदिर अजमेर में आने वाले पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। इस मंदिर का आधिकारिक नाम ‘सिद्धकूट चैत्यालय’ है, लेकिन इसे लाल पत्थरों से बने होने के कारण ‘लाल मंदिर’ के रूप में भी जाना जाता है। यह मंदिर जैन धर्म के पहले तीर्थंकर भगवान आदिनाथ को समर्पित है।

सोनी जी की नसियां का इतिहास और निर्माण

इस मंदिर की नींव 10 अक्टूबर 1864 को राय बहादुर सेठ मूलचंद और नेमीचंद सोनी ने रखी थी। इसे 26 मई 1865 को गर्भगृह में भगवान आदिनाथ की मूर्ति की स्थापना के साथ आम जनता के लिए खोल दिया गया था। मंदिर के निर्माण के लिए करौली से लाल पत्थर लाए गए थे, और इसके मुख्य प्रवेश द्वार को ‘गोपुरम’ कहा जाता है। यह मंदिर एक दो मंजिला संरचना है, जो दो मुख्य भागों में विभाजित है।

मंदिर का एक हिस्सा पूजा स्थल के रूप में कार्य करता है, जहां भगवान आदिनाथ की मूर्ति स्थापित है। दूसरे हिस्से में संग्रहालय और एक विशाल हॉल है, जिसमें भगवान आदिनाथ के जीवन के पांच चरणों (पंच कल्याणक) को दर्शाया गया है। इस मंदिर की अद्वितीय वास्तुकला और डिज़ाइन समृद्ध जैन परंपरा और कला का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।

स्वर्ण नगरी: मंदिर का मुख्य आकर्षण

सोनी जी की नसियां का मुख्य आकर्षण इसका स्वर्ण नगरी कक्ष है, जिसे ‘सोनें का शहर’ भी कहा जाता है। यह कक्ष जैन धर्म के अनुसार ब्रह्माण्ड की विभिन्न संरचनाओं और आकृतियों का दृश्य प्रस्तुत करता है। इस कक्ष में सोने की लकड़ी की बनी विभिन्न आकृतियाँ हैं, जो जैन धर्म की धार्मिक कथाओं और आदर्शों का प्रतिनिधित्व करती हैं।

स्वर्ण नगरी के निर्माण के बाद, 1895 में इस मंदिर को ‘सोनी मंदिर’ के नाम से जाना जाने लगा। इस स्वर्ण संरचना और मंदिर के समृद्ध इतिहास के कारण, यह जैन समाज के साथ-साथ सभी धार्मिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बन गया है।

मंदिर की अनूठी वास्तुकला

मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय है, जिसमें बेल्जियम के स्टेन ग्लास, मिनरल कलर पेंटिंग्स, और चांदी की गेंदों से सजी हुई छत प्रमुख हैं। परिसर के मध्य में एक 82 फीट ऊँचा स्तंभ खड़ा है, जिसे ‘मानस्तंभ’ कहा जाता है। सफेद संगमरमर से बने इस स्तंभ पर जैन तीर्थंकरों के चित्र उत्कीर्ण हैं, जो इस स्तंभ की भव्यता को और बढ़ाते हैं।

इस मंदिर का निर्माण सेठ सर भागचंद सोनी ने करवाया था, जो उस समय के प्रमुख जैन व्यापारियों में से एक थे। उनके द्वारा बनाए गए इस मंदिर का महत्व आज भी बरकरार है, और यह मंदिर जैन धर्म और भारतीय वास्तुकला का एक उत्तम उदाहरण है।

मंदिर की यात्रा का समय

सोनी जी की नसियां मंदिर प्रतिदिन सुबह 8:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है। अगर आप अजमेर की यात्रा पर हैं, तो इस अद्भुत जैन मंदिर का दौरा करना अवश्य करें और इसकी अद्वितीयता का अनुभव करें।

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