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परीक्षा से वंचित छात्र ने शिक्षा अधिकारी कार्यालय पर बना मुर्गा

परीक्षा से वंचित छात्र ने शिक्षा अधिकारी कार्यालय पर बना मुर्गा

शोभना शर्मा।  राजस्थान में 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं चल रही हैं, लेकिन इस साल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षा में गड़बड़ियां लगातार सामने आ रही हैं। ताजा मामला बूंदी जिले का है, जहां एक छात्र को प्रवेश पत्र की गड़बड़ी के कारण परीक्षा से वंचित कर दिया गया। छात्र विशाल सैनी ने न्याय की मांग करते हुए शिक्षा अधिकारी कार्यालय पर मुर्गा बनकर प्रदर्शन किया।

क्या है पूरा मामला?

बूंदी के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के छात्र विशाल सैनी ने सीनियर सेकेंडरी कला वर्ग की अर्धवार्षिक परीक्षा सफलतापूर्वक दी थी। इसके बावजूद बोर्ड वार्षिक परीक्षा से उसे वंचित कर दिया गया। छात्र ने बताया कि परीक्षा शुरू होने से पहले उसे विद्यालय प्रशासन द्वारा किसी दूसरे छात्र विशाल के नाम का प्रवेश पत्र दे दिया गया था। जब घर जाकर उसने उस प्रवेश पत्र को चेक किया, तो पाया कि उसमें माता-पिता का नाम अलग था। अगले दिन उसने प्रवेश पत्र विद्यालय को लौटा दिया।

विद्यालय प्रशासन की लापरवाही

जब विद्यालय प्रशासन ने प्रवेश पत्र की जांच की तो कहा गया कि अनुपस्थिति के कारण उसका प्रवेश पत्र जारी नहीं हुआ है। इसके बाद विद्यालय प्रशासन ने उसे ओपन स्कूल से परीक्षा दिलवाने की बात कही और यह भी कहा कि उसकी फीस भी विद्यालय ही भरेगा। लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर छात्र को ओपन स्कूल से ही परीक्षा दिलवानी थी, तो उसे एक साल तक विद्यालय में क्यों पढ़ाया गया? यह पूरी तरह से सरकारी सिस्टम की लापरवाही और गैर-जिम्मेदाराना रवैया दिखाता है।

छात्र के पिता की आपत्ति

छात्र के पिता देवराज सैनी ने प्रशासन की लापरवाही पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि सरकार को परीक्षा से पहले सभी दस्तावेजों की ठीक से जांच करनी चाहिए और उन्हें क्रॉस-चेक करना चाहिए। अर्धवार्षिक परीक्षा देने के बावजूद उनके बेटे को परीक्षा से वंचित कर दिया गया और बाद में उसे ओपन स्कूल से परीक्षा देने का लालच दिया गया।

शिक्षा विभाग की लापरवाही पर सवाल

राजस्थान बीज निगम के पूर्व निदेशक चर्मेश शर्मा ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा कि यह असहनीय है कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। शिक्षा को संविधान में मौलिक अधिकार माना गया है और किसी भी छात्र को परीक्षा से वंचित करना अन्याय है। शर्मा ने सुझाव दिया कि शिक्षा विभाग को छात्र के लिए विशेष परीक्षा आयोजित करनी चाहिए ताकि उसके छूटे हुए पेपर की भरपाई हो सके।

पहले भी हुआ ऐसा मामला

यह पहली बार नहीं है जब बूंदी में ऐसा मामला सामने आया हो। इससे पहले 10वीं के छात्र कुलदीप सोनी को प्रवेश पत्र होने के बावजूद कम उपस्थिति बताकर परीक्षा से वंचित कर दिया गया था। कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद शिक्षा विभाग ने छात्र को घर से बुलाकर परीक्षा दिलवाई थी।

भविष्य का क्या होगा?

छात्र विशाल सैनी के सोमवार तक तीन पेपर छूट चुके हैं और उसका भविष्य अधर में लटका हुआ है। शिक्षा विभाग की लापरवाही और गैर-जिम्मेदाराना रवैया इस पूरे मामले को और भी गंभीर बना देता है। अब देखना होगा कि शिक्षा विभाग इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या छात्र विशाल सैनी को न्याय मिल पाता है। यह घटना शिक्षा व्यवस्था में सुधार की जरूरत की ओर इशारा करती है।

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