शोभना शर्मा। भारत ने अपनी वायु रक्षा प्रणाली को और मजबूत करते हुए एक और महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने हाल ही में जैसलमेर स्थित पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (वीएसएचओआरएडीएस) मिसाइल का सफल परीक्षण किया। इस मिसाइल परीक्षण के साथ, भारतीय सेना की हवाई सुरक्षा की क्षमता में काफी वृद्धि हुई है, जिससे दुश्मन के विमान, हेलिकॉप्टर और ड्रोन अब आसानी से बच नहीं पाएंगे।
वीएसएचओआरएडीएस मिसाइल की तकनीकी विशेषताएँ
वीएसएचओआरएडीएस मिसाइल को चौथी पीढ़ी की उन्नत तकनीक से विकसित किया गया है, जो इसे अत्यधिक सक्षम और घातक बनाती है। यह मिसाइल बहुत ही कम दूरी के हवाई खतरों को बेअसर करने के लिए डिज़ाइन की गई है। इसका वजन 20.5 किलोग्राम होता है और इसकी लंबाई लगभग 6.7 फीट है। मिसाइल का व्यास 3.5 इंच है और यह 2 किलोग्राम वजन तक का हथियार ले जा सकती है। इस मिसाइल की रेंज 250 मीटर से लेकर 6 किलोमीटर तक है, जिससे यह अत्यंत लचीला बन जाता है। इसके अलावा, यह अधिकतम 11,500 फीट की ऊंचाई तक मार कर सकती है और इसकी गति मैक 1.5 यानी लगभग 1800 किमी प्रति घंटे की है।
यह मिसाइल दुश्मन के यानों, विमानों, हेलिकॉप्टरों और ड्रोन को निशाना बनाने के लिए तैयार की गई है। डीआरडीओ ने पहले भी इस मिसाइल की टेस्टिंग की थी, जिसमें इसके सभी परीक्षण सफल रहे थे। वीएसएचओआरएडीएस के हालिया परीक्षणों ने साबित कर दिया कि यह प्रणाली भारतीय सेना के लिए हवाई खतरों के खिलाफ एक अत्यधिक सटीक और प्रभावी समाधान है।
मिसाइल के सफल उड़ान परीक्षण
डीआरडीओ ने पोकरण फील्ड रेंज में वीएसएचओआरएडीएस मिसाइल के तीन सफल उड़ान परीक्षण किए हैं। इन परीक्षणों में उच्च गति वाले मानव रहित हवाई लक्ष्यों के खिलाफ यह मिसाइल पूरी तरह सफल रही। मिसाइल ने विभिन्न प्रकार के हवाई लक्ष्यों को ट्रैक किया और उन्हें नष्ट कर दिया, जिसमें दुश्मन के विमान के पास आने और फिर से पीछे हटने की नकल भी शामिल थी। इस परीक्षण से यह साबित हुआ कि यह मिसाइल सभी प्रकार के हवाई खतरों से निपटने में सक्षम है।
रक्षा मंत्रालय ने अपने एक ट्वीट में बताया कि डीआरडीओ ने चौथी पीढ़ी की इस तकनीकी रूप से उन्नत बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली के तीन सफल परीक्षण किए हैं। यह मिसाइल विशेष रूप से उन लक्ष्यों के खिलाफ कारगर है, जो सीमित ऊंचाई पर उड़ान भरते हैं। यह प्रणाली विशेष रूप से छोटे और कम ऊंचाई पर उड़ने वाले हवाई उपकरणों के खतरों को बेअसर करने के लिए तैयार की गई है।
वीएसएचओआरएडीएस की तुलना रूस के एस-400 से
वीएसएचओआरएडीएस मिसाइल प्रणाली को कई मामलों में रूस के प्रसिद्ध एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम से तुलना की जा रही है। हालांकि एस-400 की रेंज काफी ज्यादा है, लेकिन वीएसएचओआरएडीएस को कम दूरी पर भी अत्यधिक सटीकता और तीव्रता के साथ दुश्मन के हवाई उपकरणों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह सिस्टम दुश्मन के विमानों और ड्रोन को बिना किसी देरी के पहचान कर नष्ट करने की क्षमता रखता है।
इस अत्याधुनिक वायु रक्षा प्रणाली को रिसर्च सेंटर इमारत (आरसीआई) द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है। इसमें भारतीय उद्योग भागीदारों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह सिस्टम एक ग्राउंड-बेस्ड मैन पोर्टेबल लॉन्चर से संचालित होता है, जो इसे कहीं भी ले जाने और उपयोग करने में सक्षम बनाता है। इसमें दोहरी थ्रस्ट सॉलिड मोटर का उपयोग किया गया है, जिससे यह प्रणाली बहुत ही तेज और सटीक हो जाती है।
हवाई खतरों के खिलाफ सेना को मिलेगा नया हथियार
भारतीय सेना के लिए यह मिसाइल प्रणाली हवाई खतरों के खिलाफ एक अत्यधिक प्रभावी समाधान है। आधुनिक युद्ध में हवाई खतरों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, इस प्रकार की अत्याधुनिक मिसाइल प्रणाली की आवश्यकता अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। वीएसएचओआरएडीएस मिसाइल प्रणाली दुश्मन के विमान, हेलिकॉप्टर और ड्रोन को बहुत कम ऊंचाई पर भी निशाना बना सकती है, जिससे दुश्मन के हवाई उपकरणों को बचने का कोई मौका नहीं मिलता। इस मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद, यह उम्मीद की जा रही है कि इसे भारतीय सेना के विभिन्न मोर्चों पर तैनात किया जाएगा। इससे सेना को न सिर्फ हवाई खतरों से निपटने में मदद मिलेगी, बल्कि इसकी संचालन क्षमता में भी इजाफा होगा।
रक्षा मंत्री और डीआरडीओ की प्रतिक्रिया
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफल परीक्षण पर डीआरडीओ और भारतीय सेना को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह आधुनिक तकनीक से लैस मिसाइल भारतीय सेना को और अधिक सशक्त बनाएगी। इसके साथ ही रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव एवं डीआरडीओ के अध्यक्ष ने भी इस मिसाइल के डिजाइन और विकास में शामिल पूरी टीम को बधाई दी।
रक्षा मंत्रालय ने भी इस अवसर पर एक बयान जारी कर कहा कि वीएसएचओआरएडीएस मिसाइल प्रणाली भारतीय वायु रक्षा को और मजबूत बनाएगी और सेना को हवाई खतरों से निपटने के लिए एक अत्याधुनिक हथियार प्रदान करेगी। यह मिसाइल प्रणाली भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी और इसकी तैनाती से दुश्मन के हवाई खतरों से निपटने की क्षमता में व्यापक सुधार होगा।