मनीषा शर्मा। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश की 23 हजार खदानों के संचालन को जारी रखने के लिए राज्यस्तरीय पर्यावरणीय मंजूरी की समय सीमा को 31 मार्च 2025 तक बढ़ाने का निर्णय किया है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने राज्य सरकार की ओर से दायर अपील को स्वीकार करते हुए दिया। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि प्रदेश की इन खदानों को 31 मार्च 2025 तक राज्य पर्यावरणीय प्राधिकरण (एसईआईएए) से मंजूरी लेनी होगी, जिसके लिए आवेदन की समय सीमा आदेश की तारीख से तीन सप्ताह के भीतर रखी गई है।
एनजीटी का निर्देश और खदानों पर संकट
इससे पहले, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने राज्य में चल रही खदानों को जिला स्तर पर मिली पर्यावरणीय मंजूरी के बजाय राज्यस्तरीय पर्यावरणीय मंजूरी लेने का निर्देश दिया था और इसके लिए 7 नवंबर तक की समय सीमा निर्धारित की थी। इस आदेश के बाद, बिना मंजूरी के खदानें बंद होने की स्थिति में आ गई थीं, जिससे खनन उद्योग पर संकट आ गया। राज्य सरकार ने इसे चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसके बाद 8 नवंबर को सरकार को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत प्राप्त हुई।
राज्य सरकार की दलीलें और आवश्यक समय की मांग
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत अपनी अपील में कहा कि यदि खदानें बंद होती हैं, तो इसका राज्य की आर्थिक स्थिति, निर्माण कार्यों और बेरोजगारी पर गहरा असर पड़ेगा। खदानों में कार्यरत लगभग 15 लाख श्रमिकों की नौकरियों पर संकट मंडराने लगेगा। राज्य सरकार ने अपनी अपील में खदानों के पुनः मूल्यांकन के लिए अतिरिक्त एक वर्ष का समय मांगा था। सरकार का कहना था कि राज्य पर्यावरणीय प्राधिकरण (एसईआईएए) में ढांचागत सीमाएं और स्टाफ की कमी के कारण वह खदानों के आवेदनों का मूल्यांकन समय पर नहीं कर सका है। मौजूदा समय सीमा में केवल कुछ ही खदानों के आवेदन का मूल्यांकन हो पाया है, जिसके कारण समय सीमा में विस्तार जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की इस अपील को मानते हुए खदानों के आवेदन प्रक्रिया पूरी करने के लिए समय सीमा को 31 मार्च 2025 तक बढ़ाने का आदेश दिया। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि सभी खदानें एसईआईएए में पर्यावरण मंजूरी के लिए तीन सप्ताह के भीतर आवेदन करें।