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सुर और ताल महोत्सव : शास्त्रीय गायन और ओडीसी नृत्य की सुरीली शाम

सुर और ताल महोत्सव : शास्त्रीय गायन और ओडीसी नृत्य की सुरीली शाम

शोभना शर्मा। राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर और शास्त्रीय कला का अद्भुत संगम, डेल्फिक काउन्सिल ऑफ़ राजस्थान द्वारा जवाहर कला केंद्र में आयोजित तीन दिवसीय “सुर और ताल महोत्सव” की दूसरी संध्या, सौरव वशिष्ठ के शास्त्रीय गायन और ओडीसी नृत्य की मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति के नाम रही। इस महोत्सव का आयोजन पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र और उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के सहयोग से किया गया था, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से कला प्रेमी जुटे थे।

फोटोग्राफी के सत्र की शुरुआत

महोत्सव का दूसरा दिन भी विशेष और ज्ञानवर्धक रहा। सुबह के सत्र में, प्रसिद्ध फोटोग्राफर शिरीष कराले ने फोटोग्राफी की बारीकियों को साझा किया। इस कार्यशाला में स्टूडेंट्स को प्रोडक्ट फोटोग्राफी, लाइट्स का सही उपयोग और पोर्ट्रेट फोटोग्राफी जैसी तकनीकों के बारे में सिखाया गया। छात्रों ने फोटोग्राफी की तकनीकी जानकारी को बारीकी से समझा और इन सत्रों से कला के प्रति उनके दृष्टिकोण में निखार आया।

शास्त्रीय गायन का जादू शाम को रंगायन सभागार में संगीत का जादू बिखेरा युवा शास्त्रीय गायक सौरव वशिष्ठ ने। पंडित कुंदनमल शर्मा के शिष्य सौरव वशिष्ठ ने राग हंसध्वनि में अपनी प्रस्तुति दी। उन्होंने विलम्बित रचना “विघ्न हरण गज वदन गजानन” और द्रुत रचना “लागी लगन सखी पति सन” को इतने सुरीले अंदाज में प्रस्तुत किया कि सभागार में मौजूद हर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गया। सौरव वशिष्ठ की प्रस्तुति में रागदारी, आलाप और तानों का सुन्दर संयोजन था। उनके साथ तानपुरे पर अजय कुमार, तबले पर मल्हार मुखर्जी और हारमोनियम पर गजेंद्र डांगी ने बखूबी संगत की।

ओडीसी नृत्य की शानदार प्रस्तुति

संगीत के बाद नृत्य की प्रस्तुति ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। ओडीसी के प्रसिद्ध युवा नृतक कृष्नेन्दु शाह और उनके समूह ने नृत्य की अद्भुत प्रस्तुति दी। उनकी नृत्य प्रस्तुति की शुरुआत भगवान गणेश पर आधारित मंगलाचरण से हुई, जिसमें शांति और शक्ति का संदेश था। इसके बाद राग झिझोटी पर आधारित कृष्ण और भक्त के परस्पर प्रेम को दर्शाते हुए नृत्य प्रस्तुति दी गई, जिसमें कृष्नेन्दु शाह के साथ सृष्टि पांडे, शिविका माथुर, केतिकी मुंद्रा, रुद्राक्षी चतुर्वेदी, सिथू और भोलाक्षिका ने अपने सुन्दर नृत्य संयोजन से दर्शकों को रोमांचित किया।

कला और संस्कृति को बढ़ावा

इस महोत्सव के आयोजन के पीछे राजस्थान डेल्फिक काउन्सिल का मुख्य उद्देश्य प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को न केवल संरक्षित करना है, बल्कि युवाओं में इसके प्रति रुचि और भागीदारी को भी बढ़ावा देना है। राजस्थान डेल्फिक काउन्सिल की अध्यक्ष श्रेया गुहा ने बताया कि इस तरह के महोत्सव के जरिये युवाओं को शास्त्रीय संगीत, नृत्य और फोटोग्राफी जैसी कलाओं के लिए एक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंच प्रदान किया जाता है, जहां वे अपनी कला का प्रदर्शन कर सकते हैं। यह महोत्सव नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति और कलाओं से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण कदम है।

प्रमुख अतिथियों की उपस्थिति

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि, वित्त विभाग के शासन सचिव  देवाशीष पृष्टी रहे। राजस्थान राज्य भंडारण निगम के प्रबंध निदेशक संदीप वर्मा, जयपुर जिला कलेक्टर जितेंद्र सोनी, पश्चिमी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक  मोहम्मद फुरकान खान, और डेल्फिक काउन्सिल के सदस्य  शिप्रा शर्मा,  कीर्ति शर्मा,  नवीन त्रिपाठी और  राहुल सूद की उपस्थिति ने महोत्सव की गरिमा को और बढ़ाया।

सुर और ताल महोत्सव में सृजनात्मकता, शास्त्रीय संगीत और नृत्य की अद्भुत झलक देखने को मिली। इस महोत्सव का उद्देश्य न केवल कला का प्रचार करना था, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को कला और संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन में योगदान देने के लिए प्रेरित करना भी था। ऐसे आयोजन देश की सांस्कृतिक पहचान को समृद्ध करते हैं और युवाओं को कला के विभिन्न रूपों के प्रति जागरूक करते हैं। राजस्थान डेल्फिक काउन्सिल भविष्य में भी ऐसे महोत्सवों का आयोजन कर राज्य की सांस्कृतिक और कलात्मक धरोहर को सशक्त करने की दिशा में निरंतर प्रयासरत है।

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