मनीषा शर्मा। भाजपा के वरिष्ठ नेता और नगर निगम के पूर्व सभापति सुरेन्द्र सिंह शेखावत ने मंगलवार को एक प्रेस वार्ता के दौरान वेटलैंड में निर्माण कार्य को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में अपनी दायर याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला दिया। शेखावत ने कहा कि यदि वेटलैंड में निर्माण नहीं किया गया होता तो करोड़ों का नुकसान नहीं होता। उनके अनुसार, यह नुकसान आम जनता की कड़ी मेहनत की कमाई से हुआ है और इसका जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि वो अधिकारी हैं, जिन्होंने मनमानी करते हुए यह निर्माण कार्य शुरू किया था।
शेखावत ने यह भी कहा कि NGT ने 21 दिसंबर 2022 को जो निर्णय दिया था, उसमें यह स्पष्ट निर्देश दिया था कि वेटलैंड में किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं किया जाए। हालांकि, इसके बावजूद, स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अधिकारियों ने अपनी मनमर्जी से वेटलैंड पर निर्माण जारी रखा, और अब इसका परिणाम करोड़ों के नुकसान के रूप में सामने आया है।
शेखावत ने आगे कहा कि अधिकारियों ने अदालत में यह दावा किया था कि सेवन वंडर से शहर की खूबसूरती बढ़ेगी, लेकिन अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया और वेटलैंड में हुए निर्माण को ध्वस्त करने का आदेश दिया। उन्होंने इस निर्माण कार्य को निश्चित रूप से गलत और अवैध बताया और आरोप लगाया कि अधिकारियों ने जानबूझकर नियमों की अनदेखी की।
अब, अदालत के आदेश पर, सोमवार से वेटलैंड में हुए निर्माण कार्य को ध्वस्त किया जा रहा है, जिसमें लव कुश उद्यान के पीछे बना फूड कोर्ट भी शामिल है। सेवन वंडर में अधिकारियों ने एक प्रतिमा को शिफ्ट करके बचने का प्रयास किया, लेकिन शेखावत ने कहा कि सेवन वंडर को पूरी तरह ध्वस्त किया जाना चाहिए, क्योंकि यह गुलामी का प्रतीक है।
इसके साथ ही शेखावत ने स्मार्ट सिटी लिमिटेड के फंड का दुरुपयोग करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि इस दुरुपयोग के कारण सागर झील का दायरा छोटा कर दिया गया है, और इसका परिणाम यह हो रहा है कि हर साल बरसात के दौरान शहर में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है। उन्होंने कहा कि लिंक रोड और आनासागर झील के आसपास के इलाके बरसात में पूरी तरह से डूब जाते हैं, और यह सब स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अधिकारियों की गलती के कारण हो रहा है।
शेखावत ने यह भी आरोप लगाया कि अधिकारियों ने आजाद पार्क में बिना नक्शा पास किए कॉम्प्लेक्स का निर्माण कर लिया, जबकि सामान्य नागरिक को अपने मकान या दुकान का नक्शा पास कराना पड़ता है। उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी लिमिटेड में किसी भी बिल्डिंग का नक्शा पास नहीं कराया गया, और अधिकारियों ने अपनी मनमर्जी से निर्माण कार्य किया। शेखावत ने इसके लिए सख्त कार्रवाई की मांग की और कहा कि जिन अधिकारियों ने वेटलैंड में निर्माण किया है, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
शेखावत ने अंत में यह भी कहा कि प्रदेश के मुख्य सचिव सुधांशु पंत को 17 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के सामने इस मामले की रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है, और वे उम्मीद करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद इस मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी।