शोभना शर्मा। राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर से पक्ष-विपक्ष के बीच तीखी बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा है कि कांग्रेस को राम के नाम से चिढ़ है। उन्होंने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा पर भी तीखा हमला करते हुए उन्हें “झूठ का ढोल” करार दिया। रावत का यह बयान राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच चल रही नदी जोड़ो परियोजना के संदर्भ में आया है, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रहे जल प्रबंधन कार्यों की सराहना की।
कांग्रेस पर हमला
सुरेश सिंह रावत ने कहा कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा एक झूठ का ढोल हैं, जिसे कोई भी बजा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि डोटासरा अपनी भद पिटवा रहे हैं और उन्हें अपने गिरेबां में झांकना चाहिए कि पिछले कार्यकाल में उनकी अतिवादी मानसिकता के कारण कांग्रेस की दुर्दशा हुई है। रावत ने यह भी कहा कि उपचुनाव में जनता ने कांग्रेस को करारी चोट दी है, जो इस बात का प्रमाण है कि लोग उनकी नीतियों से असंतुष्ट हैं।
जल संसाधन मंत्री का बयान
जल संसाधन मंत्री ने आगे कहा कि राम जल सेतु लिंक परियोजना के तहत 17 जिलों को वर्ष 2054 तक शुद्ध पेयजल उपलब्ध होगा। इस परियोजना के अंतर्गत 522 एमसीएम पुनर्चक्रित जल सहित कुल 4.102 मिलियन क्यूबिक मीटर जल उपलब्ध होगा। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से कालीसिंध नदी की 50 प्रतिशत निर्भरता पर जल मिलेगा, जो पूर्वी राजस्थान की पेयजल और सिंचाई समस्या को दूर करने में मदद करेगा।
प्रधानमंत्री का योगदान
सुरेश सिंह रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने 17 दिसंबर 2024 को इस परियोजना के 10 हजार करोड़ रुपये के कार्यों का शिलान्यास किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा दिन-रात राजस्थान के विकास के लिए कार्य कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेसियों को यह हजम नहीं हो रहा है। रावत ने कहा कि होटलों से सरकार चलाने वाले ये लोग कभी जनता की भावना को समझ नहीं सकते।
कांग्रेस की नीतियों पर सवाल
रावत ने यह भी कहा कि पूर्व कांग्रेस सरकार ने ERCP (Eastern Rajasthan Canal Project) को कोई बजट उपलब्ध नहीं कराया था और न ही कोई नए कार्य प्रारंभ किए गए थे। प्रधानमंत्री के प्रयासों से इस परियोजना को मूर्त रूप दिया गया है। उन्होंने बताया कि ERCP परियोजना को भारत सरकार की पीकेसी नदी जोड़ो परियोजना के साथ एकीकृत कर संशोधित किया गया है, जिसे नदी जोड़ो परियोजना का दर्जा दिया गया है।