मनीषा शर्मा। जयपुर एयरपोर्ट पर एक 20 वर्षीय युवक, जो दुबई से लौटकर आया, में मंकी पॉक्स के लक्षण पाए गए हैं। लक्षणों में हल्का बुखार और शरीर पर लाल चकत्ते शामिल हैं। एयरपोर्ट पर मौजूद मेडिकल स्टाफ ने उसे राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज (आरयूएचएस) के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया। मरीज नागौर जिले का निवासी है और उसकी स्थिति फिलहाल सामान्य बताई गई है।
संदिग्ध मंकी पॉक्स केस की पुष्टि के लिए सैंपल जांच
चिकित्सा अधिकारियों ने मरीज को मंकी पॉक्स का संदिग्ध केस मानते हुए उसके सैंपल को सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज की लैब में भेजा है। रिपोर्ट आने पर ही मरीज के आगे के इलाज का निर्णय लिया जाएगा।
आरयूएचएस के अधीक्षक, डॉ. अजीत सिंह ने बताया कि “हॉस्पिटल में मंकी पॉक्स के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। एक पूरा फ्लोर इसी बीमारी के मरीजों के लिए रिजर्व किया गया है।” चिकित्सा विभाग ने भी प्रदेशभर में मंकी पॉक्स को लेकर गाइडलाइन जारी की हुई है, जिसमें संभावित मामलों की पहचान और उनके इलाज का प्रोटोकॉल तय किया गया है।
मंकी पॉक्स के लक्षण और सुरक्षा उपाय
मंकी पॉक्स के लक्षणों में बुखार, मांसपेशियों में दर्द, थकान, और त्वचा पर चकत्ते शामिल हैं। इस वायरस के संक्रमण का मुख्य स्रोत संक्रमित व्यक्ति या पशु के संपर्क में आना है। इसलिए, जिन लोगों ने हाल ही में किसी प्रभावित देश की यात्रा की हो, उन्हें विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को तुरंत आइसोलेट किया जाना चाहिए और उसकी जांच की जानी चाहिए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी मंकी पॉक्स को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है, जिससे इसका प्रसार रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कदम उठाए जा रहे हैं। राजस्थान के चिकित्सा विभाग ने सभी चिकित्सा संस्थानों में मंकी पॉक्स के संभावित मामलों की जांच और आइसोलेशन के लिए तैयारियां कर रखी हैं।
जयपुर में चिकित्सा अलर्ट और गाइडलाइन जारी
राजस्थान में चिकित्सा विभाग द्वारा मंकी पॉक्स के लक्षणों पर नज़र रखने के निर्देश दिए गए हैं। एयरपोर्ट पर हर यात्री की थर्मल स्कैनिंग और लक्षणों का अवलोकन किया जा रहा है। चिकित्सा अधिकारियों ने आग्रह किया है कि किसी भी संदिग्ध केस की जानकारी तुरंत संबंधित संस्थान को दी जाए।
मंकी पॉक्स का इलाज और रोकथाम
वर्तमान में, मंकी पॉक्स के लिए कोई विशेष उपचार उपलब्ध नहीं है, लेकिन रोग की गंभीरता को देखते हुए चिकित्सीय देखरेख और लक्षणों का उपचार किया जा रहा है। संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए रोगियों को आइसोलेट करना और लक्षण दिखने पर तुरंत मेडिकल सहायता लेना जरूरी है।