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राजस्थान में 450 स्कूलों पर ताले,केजरीवाल ने भाजपा पर साधा निशाना

राजस्थान में 450 स्कूलों पर ताले,केजरीवाल ने भाजपा पर साधा निशाना

शोभना शर्मा।   राजस्थान में भजनलाल शर्मा सरकार के हालिया फैसले से 450 से अधिक सरकारी स्कूलों को बंद या मर्ज कर दिया गया है। यह निर्णय राज्य की शिक्षा व्यवस्था और राजनीति दोनों में एक बड़ा विवाद खड़ा कर चुका है। स्कूलों को बंद करने के इस फैसले पर आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर तीखा हमला करते हुए चेतावनी दी है कि अगर भाजपा दिल्ली में सत्ता में आई तो दिल्ली के सरकारी स्कूलों का भी यही हाल होगा।

राजस्थान सरकार का निर्णय और तर्क

राजस्थान सरकार ने 10 दिनों के भीतर जयपुर, आमेर, पाली, हनुमानगढ़, उदयपुर, जोधपुर, बीकानेर और ब्यावर सहित कई जिलों में 450 से अधिक सरकारी स्कूलों को बंद या मर्ज कर दिया। सरकार का कहना है कि कई स्कूलों में छात्रों की संख्या अत्यधिक कम थी। राजस्थान के मंत्री मदन दिलावर ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा “कई स्कूलों में शून्य बच्चे थे, कहीं 5, कहीं 10 या 25। ऐसे में हमने छात्रों के हित में यह फैसला लिया। इन स्कूलों को मर्ज करने से शिक्षकों की संख्या में भी इजाफा हुआ।” हालांकि, इस फैसले ने छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के बीच गहरा असंतोष पैदा किया है। जोधपुर में इस फैसले के खिलाफ छात्राओं ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया और पुलिस गाड़ियों पर चढ़कर विरोध जताया।

अरविंद केजरीवाल का बयान

अरविंद केजरीवाल ने राजस्थान के इस फैसले पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा  “बहुत मेहनत से दिल्ली के स्कूलों को ठीक किया है। ये लोग आ गए तो दिल्ली के सरकारी स्कूल बंद कर देंगे और स्कूलों की ज़मीनें अपने दोस्तों को दे देंगे। ग़लत बटन मत दबा देना, नहीं तो आपके बच्चों का भविष्य ख़राब हो जाएगा।” दिल्ली में 5 फरवरी को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होने वाले हैं। इस बयान के जरिए केजरीवाल ने मतदाताओं को भाजपा के खिलाफ आगाह किया है।

राजस्थान में विरोध प्रदर्शन

राजस्थान के कई जिलों में स्कूल बंदी और मर्ज नीति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। जोधपुर में छात्राओं ने पुलिस की गाड़ियों पर चढ़कर सड़क जाम किया। अजमेर और बीकानेर जैसे क्षेत्रों में भी अभिभावकों ने सरकार के इस कदम को लेकर नाराजगी जताई है। इस फैसले का सबसे ज्यादा प्रभाव उन स्कूलों पर पड़ा है, जो हिंदी माध्यम के प्राइमरी और मिडिल स्तर के थे। अब सरकार ने इंग्लिश मीडियम स्कूलों की भी समीक्षा शुरू कर दी है।

राजनीतिक जुड़ाव और चुनावी रणनीति

राजस्थान के इस फैसले की गूंज दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी सुनाई दे रही है। भाजपा ने राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा और पूर्व विधायक अल्का गुर्जर को दिल्ली में प्रचार के लिए अपने स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल किया है। वहीं, आम आदमी पार्टी ने इसे अपने अभियान का हिस्सा बनाते हुए भाजपा पर शिक्षा विरोधी होने का आरोप लगाया है। केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में सरकारी स्कूलों के पुनर्विकास को अपनी उपलब्धि के तौर पर पेश किया है और भाजपा के फैसले को छात्रों के भविष्य के लिए खतरा बताया है।

शिक्षा व्यवस्था और राजनीति के बीच फंसे छात्र

राजस्थान में सरकारी स्कूलों को बंद करने का फैसला शिक्षा व्यवस्था में सुधार के नाम पर लिया गया, लेकिन इसके विरोध ने इसे राजनीतिक मुद्दा बना दिया है।
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब और ग्रामीण बच्चों के लिए यह कदम एक बड़ी चुनौती बन गया है। दूसरी ओर, भाजपा और आप के बीच तीखी बयानबाजी इस मुद्दे को और अधिक जटिल बना रही है।

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