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राजस्थान में जिलों को निरस्त करने पर भाजपा-कांग्रेस के बीच बढ़ी तनातनी

राजस्थान में जिलों को निरस्त करने पर भाजपा-कांग्रेस के बीच बढ़ी तनातनी

शोभना शर्मा।  राजस्थान में भाजपा सरकार द्वारा 17 नए जिलों में से 9 जिलों को निरस्त करने के फैसले ने राज्य की राजनीति को गरमा दिया है। यह कदम प्रशासनिक पुनर्गठन के रूप में पेश किया गया, लेकिन विपक्षी दल कांग्रेस इसे जनविरोधी और राजनीतिक प्रतिशोध का निर्णय बता रही है। इस मुद्दे पर दोनों दलों के नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं।

गहलोत सरकार के जिलों की घोषणा पर भाजपा का तंज

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी सरकार ने अल्पमत की स्थिति में विधायकों को खुश करने के लिए जल्दबाजी में नए जिलों की घोषणा कर दी। राठौड़ के अनुसार, गहलोत ने बिना किसी ठोस योजना के जिलों की घोषणा कर दी थी। उन्होंने दावा किया कि गहलोत सरकार ने न तो आर्थिक प्रबंधन किया और न ही जिलों के लिए संसाधन जुटाए।

गहलोत के फैसले पर समिति को अंधेरे में रखने का आरोप

मदन राठौड़ ने कहा कि गहलोत ने पूर्व प्रशासनिक अधिकारी रामलुभाया की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया, लेकिन समिति को विश्वास में लिए बिना जिलों की घोषणा कर दी। राठौड़ ने यह भी कहा कि भाजपा सरकार ने सभी जिलों की समीक्षा के लिए ललित के. पंवार की अध्यक्षता में एक समिति बनाई और जनता की मांगों, भौगोलिक परिस्थितियों, सांस्कृतिक और जनसंख्या के आधार पर जिलों और संभागों की संख्या घटाकर 41 और 7 कर दी।

गहलोत का पलटवार: “भाजपा का निर्णय अलोकतांत्रिक”

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा सरकार के फैसले को “राजनीतिक प्रतिशोध” और “अदूरदर्शी” बताया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने प्रशासनिक सुधार के लिए जिलों का गठन किया था। गहलोत ने यह भी कहा कि राजस्थान जैसे बड़े राज्य में प्रशासनिक इकाइयों का विस्तार जरूरी था। गहलोत ने बताया कि उनकी सरकार ने जिलों का गठन जनता की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया था। उन्होंने कहा कि नए जिलों से प्रशासनिक पहुंच बेहतर होती है, जिससे जनता को सुविधाओं और योजनाओं का लाभ जल्दी मिल सकता है।

भाजपा के निर्णय पर उठाए गए सवाल

गहलोत ने भाजपा सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिन जिलों को रद्द किया गया है, वे भौगोलिक और जनसंख्या के दृष्टिकोण से जरूरी थे। उन्होंने कहा कि भाजपा का यह तर्क कि छोटे जिलों की कोई मांग नहीं थी, पूरी तरह गलत है। गहलोत ने उदाहरण दिया कि राजस्थान के पड़ोसी राज्यों जैसे गुजरात, हरियाणा और पंजाब में छोटे जिलों ने प्रशासनिक दक्षता में सुधार किया है।

भाजपा की सफाई

भाजपा सरकार ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि नए जिलों के गठन से प्रशासनिक खर्चों में बढ़ोतरी होती और उनका संचालन मुश्किल होता। सरकार ने कहा कि नए जिलों के लिए पर्याप्त बजट और संसाधन उपलब्ध कराना वर्तमान परिस्थितियों में संभव नहीं था।

कांग्रेस का आरोप: “राजनीतिक बदले की कार्रवाई”

कांग्रेस का कहना है कि भाजपा सरकार ने गहलोत सरकार द्वारा किए गए फैसलों को पलटने के लिए यह कदम उठाया है। कांग्रेस नेताओं ने इसे राजस्थान के विकास को रोकने की साजिश बताया।

जनता के बीच असमंजस

इस मुद्दे पर जनता की राय भी बंटी हुई है। नए जिलों के गठन का समर्थन करने वाले लोगों का मानना है कि इससे प्रशासनिक सुविधाएं बेहतर होंगी। वहीं, विरोध करने वाले लोग इसे अनावश्यक मानते हैं और इसे सरकार के संसाधनों पर बोझ बताते हैं।

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