शोभना शर्मा। उदयपुर में शनिवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और राज्य सरकार के साझे से आयोजित चिंतन शिविर का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम में महिला सशक्तिकरण और बाल विकास को प्राथमिकता देते हुए कई महत्वपूर्ण बातें कही गईं। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर न केवल अपने विचार साझा किए, बल्कि राज्य सरकार की योजनाओं और उनके प्रभाव का भी मूल्यांकन किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “कोई आपके काम को देखे या न देखे, ठाकुरजी सब देख रहे हैं।” यह संदेश उन सरकारी कर्मचारियों और योजनाओं से जुड़े अधिकारियों को प्रेरित करने के लिए था, जो समाज के कमजोर वर्गों के लिए काम कर रहे हैं।
महिला सशक्तिकरण और बाल विकास पर मुख्यमंत्री का विज़न
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि महिला सशक्तिकरण और बाल विकास उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से हैं। उन्होंने कहा कि यह न केवल समावेशी विकास को सुनिश्चित करता है, बल्कि समाज में स्थायी बदलाव लाने का भी एक मजबूत आधार है।
उन्होंने बताया कि महिलाएं और बच्चे समाज की नींव हैं। अगर इन्हें सशक्त बनाया जाए, तो आने वाले समय में इसका व्यापक प्रभाव देखने को मिलेगा। आंगनबाड़ी केंद्रों को महिलाओं और बच्चों के लिए अहम भूमिका निभाने वाला बताया और इसे बच्चों के लिए मां के बाद दूसरा गुरु कहा।
‘ठाकुरजी सब देख रहे हैं’: क्या था संदर्भ?
मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में भगवान के प्रति आस्था का उदाहरण देकर सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “अगर ठाकुरजी आपकी पूजा को देख सकते हैं, तो आपके द्वारा किए गए अच्छे कामों को क्यों नहीं देखेंगे?”
इससे उनका संदेश स्पष्ट था कि सरकारी कर्मचारी अपने कामों को पूरी ईमानदारी और निष्ठा से करें, भले ही किसी का ध्यान न जाए। ठाकुरजी, यानी भगवान, सब देख रहे हैं। यह बयान उन लोगों के लिए था जो अपने कामों को कम महत्व देते हैं या यह सोचते हैं कि उनके प्रयासों का किसी पर कोई असर नहीं पड़ रहा।
साल 2014 से पहले और अब की स्थिति
मुख्यमंत्री ने देश में बदलाव का जिक्र करते हुए कहा कि 2014 से पहले की स्थिति में सरकारी धन का उपयोग सही तरीके से नहीं हो पाता था। उन्होंने कहा कि पहले 1 रुपये में से केवल 15 पैसे जरूरतमंदों तक पहुंचते थे। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने इस व्यवस्था को सुधारा। अब 100 रुपये में से पूरे 100 रुपये जरूरतमंदों तक पहुंचते हैं। मुख्यमंत्री ने इसे एक बड़ी उपलब्धि बताया और कहा कि यह जनता की जिम्मेदारी है कि वह इस बदलाव का मूल्यांकन करे।
चिंतन शिविर के उद्देश्य और लाभ
चिंतन शिविर का मुख्य उद्देश्य महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को और अधिक प्रभावी बनाना था। इस कार्यक्रम में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि यह शिविर विचारों को ठोस कार्य योजनाओं में बदलने का एक मंच है। उन्होंने यह भी कहा कि देश की 68 प्रतिशत आबादी महिलाएं और बच्चे हैं। इनकी सुरक्षा और सशक्तिकरण पर ध्यान दिए बिना देश का विकास संभव नहीं है। मुख्यमंत्री ने चिंतन शिविर में भाग लेने वाले अधिकारियों और विशेषज्ञों से कहा कि वे व्यावहारिक योजनाएं बनाएं, ताकि इनका सीधा लाभ समाज के निचले स्तर तक पहुंचे।
डिप्टी सीएम दिया कुमारी का योगदान
राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी ने कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने राज्य सरकार और केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं का उल्लेख करते हुए उनके प्रभाव पर चर्चा की। दिया कुमारी ने उदयपुर को पर्यटन का केंद्र बताते हुए कार्यक्रम में आए मेहमानों को इसके पर्यटन स्थलों का दौरा करने का निमंत्रण दिया। उन्होंने कहा कि राजस्थान न केवल अपनी सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है, बल्कि महिला और बाल विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
राजस्थान सरकार की योजनाओं का ज़िक्र
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री और अन्य वक्ताओं ने राज्य सरकार की कई योजनाओं का ज़िक्र किया। इनमें महिलाओं और बच्चों के लिए चलाई जा रही स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण संबंधी योजनाएं शामिल थीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि समाज के कमजोर वर्ग भी मुख्यधारा में शामिल हो सकें।
स्थानीय मुद्दों पर भी ध्यान
मुख्यमंत्री ने अपने उदयपुर दौरे के दौरान स्थानीय मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य न केवल राज्य स्तर पर, बल्कि स्थानीय स्तर पर भी महिलाओं और बच्चों के जीवन को बेहतर बनाना है।