शोभना शर्मा। जयपुर के सीतापुरा स्थित पूर्णिमा इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में ‘द ढूंढाड़ टॉक्स-2025’ का दो दिवसीय आयोजन शुक्रवार से शुरू हो गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं, मातृ शक्ति और प्रबुद्धजनों को विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक और वैचारिक मुद्दों पर चर्चा के लिए एक मंच प्रदान करना है। इस वर्ष की थीम ‘राष्ट्रहितम मम कर्तव्यम’ रखी गई है, जो राष्ट्र और समाज की भलाई के प्रति हमारी जिम्मेदारियों पर जोर देती है।
विशेष सत्र और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां
कार्यक्रम में आठ संवाद सत्र, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, विद्यार्थियों के लिए प्रतियोगिताएं और प्रमुख प्रकाशनों की 15,000 से अधिक पुस्तकों की प्रदर्शनी जैसी गतिविधियां शामिल हैं। पहले दिन के उद्घाटन सत्र का विषय ‘स्व की ओर भारत’ रहा, जिसे राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह-प्रचार प्रमुख प्रदीप जोशी ने संबोधित किया।
इसके बाद ‘डीप स्टेट, सांस्कृतिक मार्क्सवाद और वोकिज्म’ जैसे विषयों पर विचार-विमर्श हुआ। इस सत्र में आर्गनाइजर मैगजीन के संपादक प्रफुल केतकर ने अपने विचार रखे। तीसरे सत्र में ‘डेटिंग ऐप, फिल्म और युवा’ पर चर्चा हुई, जिसमें दीपिका नारायण भारद्वाज, सूर्यपाल सिंह और अशोक चौधरी ने आज के युवाओं के बदलते व्यवहार और उनके प्रभावों पर चर्चा की।
पहले दिन का समापन सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ हुआ, जिसमें जसराज बैंड और गायक रेपरिया बालम ने अपनी शानदार प्रस्तुतियों से दर्शकों का मन मोह लिया।
दूसरे दिन का कार्यक्रम
शनिवार को दूसरे दिन की शुरुआत ‘आधी आबादी पूरा कर्तव्य’ सत्र से होगी। इसमें लेखिका शेफाली वेद्य, अधिवक्ता चारु प्रज्ञा और सामाजिक कार्यकर्ता रूमा देवी महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक भूमिका पर विचार साझा करेंगी। इसके बाद ‘राजस्थानी संस्कृति: हमारा गौरव’ सत्र आयोजित किया जाएगा, जिसमें लेखक राजवीर सिंह चकलोई और श्याम सिंह राजस्थानी संस्कृति के महत्व पर चर्चा करेंगे।
इसके अलावा ‘स्व रोजगार की ओर बढ़ता युवा’ सत्र में सॉफ्टवेयर विशेषज्ञ पुनीत मित्तल, शशिकांत सिंघी और रूमा देवी युवाओं को आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे। कार्यक्रम का अंतिम सत्र ‘भारत का बदलता वैचारिक परिदृश्य’ होगा। इसमें राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, एयू बैंक के संस्थापक संजय अग्रवाल और जसवंत खत्री अपने विचार साझा करेंगे।
राष्ट्रहित और सांस्कृतिक पहचान पर जोर
‘द ढूंढाड़ टॉक्स-2025’ का उद्देश्य केवल संवाद तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका मकसद देश और समाज के प्रति जिम्मेदारियों को समझना और उन्हें निभाने के लिए प्रेरित करना है। ‘राष्ट्रहितम मम कर्तव्यम’ जैसी थीम इस बात का संकेत देती है कि यह कार्यक्रम न केवल युवाओं को जागरूक करेगा, बल्कि उन्हें अपने सामाजिक और सांस्कृतिक कर्तव्यों के प्रति प्रतिबद्ध भी बनाएगा।