शोभना शर्मा। राजस्थान की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मुलाकात की, जिसने राजनीतिक गलियारों में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाओं को हवा दे दी है। यह मुलाकात बुधवार को सिविल लाइन स्थित वसुंधरा राजे के आवास पर हुई और लगभग 30 मिनट तक चली। इस बैठक के समय को लेकर अटकलें इसलिए तेज हैं क्योंकि राजस्थान का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होने वाला है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, इस मुलाकात के पीछे मंत्रिमंडल विस्तार की योजना हो सकती है।
संभावित फेरबदल और वापसी के संकेत
सूत्रों के अनुसार, भजनलाल सरकार अपने मंत्रिमंडल में कुछ अनुभवी और पुराने नेताओं को शामिल कर सकती है। इनमें कालीचरण सराफ और श्रीचंद कृपलानी का नाम प्रमुख है। ये दोनों नेता वसुंधरा राजे सरकार के दौरान मंत्री पद पर रह चुके हैं और अब नए मंत्रिमंडल में उनकी वापसी संभव मानी जा रही है। इसके अतिरिक्त, कई राजनीतिक नियुक्तियों के जरिए अन्य नेताओं को भी समायोजित किया जा सकता है। यह फेरबदल राजस्थान की राजनीतिक दिशा और भाजपा के आगामी चुनावी समीकरणों के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
बजट सत्र और मंत्रिमंडल विस्तार की टाइमलाइन
हालांकि, यह भी चर्चा है कि मंत्रिमंडल विस्तार बजट सत्र के बाद हो सकता है। बजट सत्र के दौरान विभागीय सवाल-जवाब की प्रक्रिया चलती है। नए मंत्रियों के शपथ ग्रहण के बिना उनके द्वारा जवाब देना संभव नहीं होता। इसलिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा इस प्रक्रिया को बजट सत्र के बाद टाल सकते हैं।
दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकात और राजनीतिक संकेत
वसुंधरा राजे हाल ही में दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिली थीं। इसके बाद अब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का उनसे मुलाकात करना, भाजपा के अंदरूनी राजनीतिक समीकरणों की ओर इशारा करता है। इससे यह संभावना और मजबूत हो रही है कि वसुंधरा राजे गुट के नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। इसके अलावा, कुछ दिन पहले भजनलाल शर्मा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। इस बैठक को भी मंत्रिमंडल विस्तार से जोड़कर देखा जा रहा है।
राजनीतिक समीकरणों पर नजर
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व द्वारा किए जा रहे ये कदम राजस्थान में पार्टी की एकजुटता और चुनावी तैयारियों को मजबूत करने की दिशा में माने जा रहे हैं। वसुंधरा राजे के अनुभव और उनके गुट के नेताओं की भागीदारी से पार्टी को क्षेत्रीय स्तर पर मजबूती मिल सकती है। राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए, यह मंत्रिमंडल विस्तार भाजपा की रणनीति का अहम हिस्सा हो सकता है। अब देखना यह होगा कि इस विस्तार में किन नेताओं को मौका मिलता है और यह बदलाव राज्य की राजनीति को किस दिशा में ले जाता है।