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रणथंभौर के दुर्लभ शिकारी: सियागोश (कैरेकल) का रहस्य

रणथंभौर के दुर्लभ शिकारी: सियागोश (कैरेकल) का रहस्य

शोभना शर्मा। राजस्थान के प्रसिद्ध रणथंभौर टाइगर रिजर्व को बाघों के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है, लेकिन यह दुर्लभ शिकारी जंगली बिल्लियों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। इस जंगल में कैरेकल, जिसे हिंदी में सियागोश कहा जाता है, पाया जाता है। यह शिकारी जंगली बिल्ली न केवल शिकार की अपनी अद्वितीय क्षमता के लिए जानी जाती है बल्कि यह दुनिया के सबसे दुर्लभ प्राणियों में भी शामिल है।

कैरेकल: एक अनोखी शिकारी जंगली बिल्ली

कैरेकल (Caracal) को तुर्की भाषा के शब्द “कराकुलक” से इसका नाम मिला, जिसका अर्थ “काले कान” है। इसके लंबे, काले कान इसे अन्य जंगली बिल्लियों से अलग बनाते हैं। यह बिल्ली बेहद शर्मीली होती है और अपनी उच्च छलांग लगाने की क्षमता के लिए प्रसिद्ध है।

कैरेकल की शारीरिक विशेषताएं:

  • लंबाई: 31 इंच तक
  • वजन: 8-9 किलोग्राम
  • कान: लंबे और काले, जिन पर विशिष्ट बाल होते हैं
  • त्वचा: सुनहरे-भूरे रंग की, जो इसे शिकारियों से छिपने में मदद करती है

रणथंभौर में कैरेकल की उपस्थिति

रणथंभौर टाइगर रिजर्व और उसके आस-पास के इलाकों जैसे करौली और धौलपुर में कैरेकल की संख्या लगभग 30-35 है। ये शिकारी जंगली बिल्लियां छोटे शिकारों जैसे पक्षी और छोटे स्तनधारियों पर निर्भर रहती हैं।

रणथंभौर में कैरेकल की पुष्टि के लिए 2020 में एक विशेष अभियान चलाया गया। इस अभियान में 215 फोटो ट्रैप कैमरे लगाए गए, जिनकी मदद से वन विभाग ने इनकी संख्या का आकलन किया।

कैरेकल संरक्षण का महत्व और चुनौतियां

रणथंभौर में कैरेकल की उपस्थिति ने वन्यजीव संरक्षण से जुड़े लोगों का ध्यान आकर्षित किया। कैरेकल संरक्षण के लिए वन विभाग ने एक प्रोजेक्ट बनाया था, लेकिन उच्च अधिकारियों से मंजूरी न मिलने के कारण यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया।

संरक्षण की जरूरत क्यों है?

  1. विलुप्ति का खतरा: भारत में यह प्रजाति केवल राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात में पाई जाती है।
  2. पर्यावास का क्षरण: शहरीकरण और मानव हस्तक्षेप के कारण इनका प्राकृतिक आवास सिमटता जा रहा है।
  3. शिकार: अवैध शिकार और अवैध व्यापार भी इनकी संख्या घटाने में भूमिका निभाते हैं।

कैरेकल का वैश्विक महत्व

कैरेकल दुनिया के 60 देशों में पाया जाता है, लेकिन इसकी प्रमुख आबादी अफ्रीका और इजरायल में देखी जाती है। हालांकि, भारत में इसकी उपस्थिति दुर्लभ है।

कैरेकल की विशेषताएं:

  • उच्च छलांग लगाने की क्षमता: यह पक्षियों को उड़ान भरते समय भी पकड़ सकता है।
  • शर्मिला स्वभाव: ये जंगली बिल्ली इंसानों से दूरी बनाए रखना पसंद करती है।
  • निशाचर जीवनशैली: यह रात के समय सक्रिय रहती है।

रणथंभौर के सियागोश: जंगल के छिपे हुए रक्षक

रणथंभौर न केवल बाघों का घर है, बल्कि सियागोश जैसे दुर्लभ जीवों का भी महत्वपूर्ण आश्रयस्थल है। ये जीव जैवविविधता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

संरक्षण के प्रयासों की सिफारिशें:

  1. विशेष संरक्षण योजना: रणथंभौर में सियागोश संरक्षण के लिए एक समर्पित योजना बनानी चाहिए।

  2. जागरूकता अभियान: स्थानीय समुदायों और पर्यटकों को कैरेकल के महत्व और संरक्षण की जरूरत के बारे में शिक्षित किया जाए।

  3. फोटो ट्रैप कैमरों की निगरानी: इनकी गतिविधियों और संख्या की निगरानी के लिए तकनीकी का उपयोग।

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