शोभना शर्मा। प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 का दूसरा अमृत स्नान पर्व मौनी अमावस्या के अवसर पर संपन्न हो गया। इस वर्ष अमृत स्नान की परंपरा कुछ बदली-बदली नजर आई। सोमवार-मंगलवार की रात हुई दुर्भाग्यपूर्ण भगदड़ की घटना के बाद, अखाड़ों और संत समाज ने अत्यंत संवेदनशीलता का परिचय दिया।
इस बार अमृत स्नान के दौरान अखाड़ों की पारंपरिक भव्यता और विशाल शोभायात्रा का दृश्य नहीं दिखा। संतों और नागा संन्यासियों ने पहले श्रद्धालुओं को संगम में पुण्य स्नान करने का अवसर दिया और फिर स्वयं सांकेतिक रूप से स्नान कर परंपरा का निर्वहन किया।
प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार, शाम 6 बजे तक करोड़ों श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई। इस ऐतिहासिक दिन पर, भारत के तीन प्रमुख पीठों के शंकराचार्यों ने भी त्रिवेणी संगम में पुण्य स्नान किया और श्रद्धालुओं से संयम बनाए रखने की अपील की।
अखाड़ों की ऐतिहासिक प्रतिज्ञा टूटी, पहले श्रद्धालुओं को दिया गया स्नान का अवसर
महाकुंभ के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब अखाड़ों के संतों, नागा संन्यासियों और अन्य धार्मिक गुरुओं ने अमृत स्नान की अपनी ऐतिहासिक प्रतिज्ञा को स्थगित किया। सामान्य रूप से, अखाड़ों के संन्यासी और नागा साधु ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करते हैं और उसके बाद ही श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा सकते हैं।
लेकिन इस बार, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी जी ने घोषणा की कि इस विशेष परिस्थिति में अखाड़े पहले श्रद्धालुओं को स्नान करने देंगे। उन्होंने कहा:
“हमने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि हालात को देखते हुए पहले श्रद्धालुओं को अमृत स्नान का अवसर दिया जाए। इसके बाद, स्थिति सामान्य होने पर अखाड़े केवल सांकेतिक स्नान करेंगे और परंपरा का निर्वहन करेंगे।”
इस घोषणा के बाद सभी 13 अखाड़ों ने संगम में पहुंचकर केवल औपचारिक स्नान किया। इस बार अखाड़ों की शाही पेशवाई, गाजे-बाजे और घोड़े-हाथियों के भव्य दृश्य नहीं दिखे, लेकिन संत समाज ने आध्यात्मिक शांति और संयम का उदाहरण प्रस्तुत किया।
शंकराचार्यों ने त्रिवेणी संगम में लगाई पुण्य की डुबकी
इस अमृत स्नान पर्व पर तीन प्रमुख पीठों के शंकराचार्य भी त्रिवेणी संगम पहुंचे और पूरे विधि-विधान से स्नान किया।
- श्रृंगेरी शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी विधु शेखर भारती
- द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती
- ज्योतिष पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती
तीनों शंकराचार्य मोटरबोट के माध्यम से त्रिवेणी संगम पहुंचे और वहां धार्मिक मंत्रोच्चार के साथ पुण्य स्नान किया। उन्होंने देशवासियों को आशीर्वाद दिया और श्रद्धालुओं से संयम और धैर्य बनाए रखने की अपील की।
शंकराचार्यों ने कहा कि महाकुंभ न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह संयम, सहिष्णुता और सेवा भाव का भी संदेश देता है। उन्होंने संत समाज और श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे प्रशासन के नियमों का पालन करें और महाकुंभ को सफल बनाएं।
श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब, प्रशासन ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की
मौनी अमावस्या के इस विशेष अमृत स्नान पर्व पर देशभर से लाखों श्रद्धालु संगम पहुंचे। प्रशासन द्वारा सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे।
- अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया।
- ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों से निगरानी रखी गई।
- स्नान घाटों पर स्वास्थ्य कैंप और मेडिकल टीमें मौजूद रहीं।
अधिकारियों के अनुसार, अमृत स्नान के लिए विशेष बैरिकेडिंग और रूट डायवर्जन किए गए थे ताकि अधिक भीड़ इकट्ठा न हो। इस बार प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए स्नान घाटों पर अतिरिक्त स्पेस की व्यवस्था की थी।
महाकुंभ 2025: संयम, आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम
महाकुंभ 2025 का दूसरा अमृत स्नान भले ही इस बार सादगीपूर्ण रहा, लेकिन इसने संयम, आस्था और परंपरा के प्रति अखाड़ों और संत समाज की प्रतिबद्धता को दर्शाया।
श्रद्धालुओं को प्राथमिकता देना एक सकारात्मक पहल थी, जिससे महाकुंभ की गरिमा और अधिक बढ़ गई।
शंकराचार्यों और अखाड़ों के संतों ने संयम का उदाहरण पेश किया और भक्तों से धैर्य बनाए रखने का अनुरोध किया।
प्रशासन की चुस्त सुरक्षा व्यवस्था ने स्नान पर्व को सुचारू रूप से संपन्न कराया।