मनीषा शर्मा। राजस्थान हाई कोर्ट को नए साल में तीन नए जज मिल गए हैं, जो कि न्यायिक प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने लगभग एक महीने पहले राजस्थान के तीन न्यायिक अधिकारियों के नामों की सिफारिश की थी, जिसके बाद राष्ट्रपति ने इन तीनों के नियुक्ति वारंट जारी कर दिए हैं।
नए जजों में जोधपुर मैट्रो के जिला जज चंद्रशेखर शर्मा, रजिस्ट्रार जनरल प्रमिल कुमार माथुर और जयपुर मैट्रो के सैकंड जिला जज चंद्रप्रकाश श्रीमाली शामिल हैं। ये सभी 1992 बैच के न्यायिक अधिकारी हैं और इनकी नियुक्ति से राजस्थान हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या 34 हो जाएगी।
हालांकि, यह संख्या अभी भी स्वीकृत पदों से कम है। राजस्थान हाई कोर्ट में कुल 50 जजों की स्वीकृत संख्या है, लेकिन वर्तमान में केवल 31 जज ही नियुक्त हैं। नए जजों की शपथ लेने के बाद भी, हाई कोर्ट में 16 जजों की कमी बनी रहेगी।
इस साल, राजस्थान हाई कोर्ट में पांच न्यायाधीश रिटायर होने वाले हैं। इनमें से एक दिन पहले जस्टिस पंकज भंडारी रिटायर हुए हैं, जबकि शुक्रवार को जस्टिस मदन गोपाल व्यास रिटायर होंगे। इसके अलावा, मई में जस्टिस बीरेंद्र कुमार, सितंबर में जस्टिस नरेंद्र ढढा और नवंबर में जस्टिस मनोज कुमार गर्ग भी रिटायर हो जाएंगे। इन रिटायरमेंट के बाद, हाई कोर्ट में जजों की संख्या घटकर 30 रह जाएगी। यह स्थिति न्यायिक प्रणाली पर दबाव डाल सकती है, क्योंकि कम जजों के कारण मामलों की सुनवाई में देरी हो सकती है।
हालांकि, नए साल में वकील कोटे से राजस्थान हाई कोर्ट को कुछ नए जज और मिल सकते हैं, जिससे स्थिति में सुधार हो सकता है। यह उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही और न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाएगी, ताकि न्यायिक प्रणाली को सुचारू रूप से चलाया जा सके। राजस्थान हाई कोर्ट में जजों की कमी एक गंभीर मुद्दा है, जो न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। इस कमी को दूर करने के लिए आवश्यक है कि सरकार और न्यायिक प्रणाली के अन्य अंग मिलकर काम करें।
इस प्रकार, राजस्थान हाई कोर्ट में नए जजों की नियुक्ति एक सकारात्मक कदम है, लेकिन इसके साथ ही जजों की संख्या में कमी को भी ध्यान में रखना आवश्यक है। न्यायिक प्रणाली की प्रभावशीलता को बनाए रखने के लिए, यह जरूरी है कि जल्द से जल्द और न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाए। इस प्रकार, राजस्थान हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि और रिटायरमेंट की प्रक्रिया पर ध्यान देना आवश्यक है, ताकि न्यायिक प्रणाली को सुचारू रूप से चलाया जा सके और लोगों को समय पर न्याय मिल सके।