शोभना शर्मा। अजमेर जिले में शीतलहर और पाले का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। सब्जियों की बुवाई वाले क्षेत्रों में टमाटर और मिर्च जैसी नगदी फसलों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। कृषि विभाग के अनुसार, जिले में टमाटर और मिर्ची की फसल में अब तक 5 से 10 प्रतिशत तक खराबा हो चुका है।
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक शंकरलाल मीणा ने बताया कि पुष्कर और उसके आसपास के क्षेत्रों में पाले और शीतलहर का प्रभाव सबसे अधिक है। श्रीनगर, गनाहेड़ा, देवनगर, भांवता और पीसांगन जैसे क्षेत्रों में कुल 120 हेक्टेयर भूमि पर टमाटर की फसल की बुवाई की गई थी, जो अब प्रभावित हो रही है।
शीतलहर और पाले का फसलों पर प्रभाव
पाले के प्रभाव से फसलों की पत्तियां और फूल झुलस जाते हैं, जिससे उनकी वृद्धि रुक जाती है। अधपके फल सिकुड़ जाते हैं, और फलियों व बालियों में दाने नहीं बन पाते। यह स्थिति किसानों के लिए बड़े आर्थिक नुकसान का कारण बन रही है।
शीतलहर और पाले से टमाटर और मिर्च के अलावा गेहूं, सरसों, चना, आलू और मटर जैसी फसलें भी प्रभावित हो रही हैं। पौधों की पत्तियां और फूल गिरने से उनकी उत्पादकता कम हो रही है।
किसानों के लिए कृषि विभाग की सलाह
कृषि विभाग ने किसानों को शीतलहर और पाले से फसलों को बचाने के लिए कुछ विशेष उपाय अपनाने की सलाह दी है:
फसलों को ढकना: पौधों और नगदी फसलों को टाट, पॉलीथीन या भूसे से ढकें, ताकि भूमि का तापमान कम न हो।
टाटियां लगाना: उत्तर-पश्चिम दिशा से आने वाली ठंडी हवा को रोकने के लिए वायुरोधी टाटियां लगाएं।
हल्की सिंचाई: पाला पड़ने की संभावना होने पर फसलों में हल्की सिंचाई करें। यह जमीन में नमी बनाए रखता है, जिससे तापमान अचानक कम नहीं होता।
गंधक का छिड़काव: फसलों पर 0.2 प्रतिशत घुलनशील गंधक (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें। यह उपाय फसलों को दो सप्ताह तक पाले से बचा सकता है।
थायो यूरिया का प्रयोग:
पाले से बचाव के लिए थायो यूरिया (500 पीपीएम) का घोल बनाकर छिड़काव करें।
किसानों के लिए चुनौती
शीतलहर और पाले के कारण किसानों को अपनी फसलों को सुरक्षित रखने के लिए अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है। टमाटर और मिर्च जैसी नगदी फसलों में नुकसान होने से किसानों की आमदनी पर भी असर पड़ रहा है।
अजमेर के किसान पाले से हो रहे नुकसान को लेकर चिंतित हैं, लेकिन कृषि विभाग की ओर से दी गई एडवायजरी और उपायों के माध्यम से फसलों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
फसलों की सुरक्षा
शीतलहर और पाले का प्रभाव केवल फसलों की उत्पादकता पर ही नहीं, बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति पर भी गहरा असर डालता है। कृषि विभाग द्वारा सुझाए गए उपायों को अपनाकर किसान नुकसान को कम कर सकते हैं।
कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि वे समय-समय पर फसलों की निगरानी करें और पाला पड़ने की संभावना के दौरान सतर्क रहें। यह सतर्कता न केवल फसलों को बचाने में मदद करेगी, बल्कि किसानों को आर्थिक संकट से भी उबारेगी।