शोभना शर्मा । राजस्थान के उदयपुर में 10वीं कक्षा के छात्र देवराज की हत्या ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया है। इस मामले में शिक्षा विभाग द्वारा की गई जांच में स्कूल प्रशासन की गंभीर लापरवाही सामने आई है। इसके बाद विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए स्कूल की प्रिंसिपल इशा धर्मावत को सस्पेंड कर दिया है, जबकि क्लास टीचर राकेश जारोली को एपीओ किया गया है।
देवराज की हत्या के दिन, जब वह गंभीर रूप से घायल हुआ, तब उसके दोस्तों ने उसे प्रिंसिपल की स्कूटी पर अस्पताल पहुंचाया, लेकिन इस दौरान स्कूल स्टाफ का कोई भी सदस्य उसके साथ नहीं था। यह स्कूल प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर करता है। अस्पताल प्रशासन ने भी पुष्टि की है कि देवराज को उसके दोस्त ही अस्पताल लाए थे, और स्कूल से कोई भी वहां मौजूद नहीं था।
शिक्षा विभाग के जिला अधिकारी ने इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित की, जिसमें पाया गया कि स्कूल प्रशासन ने देवराज और अन्य छात्रों के बैग की नियमित जांच नहीं की, जिसके चलते यह घटना हुई। देवराज और आरोपी छात्र अयान के बीच हुए झगड़े और हमले की जानकारी क्लास टीचर राकेश जारोली को नहीं थी, जो उनकी बड़ी लापरवाही को दर्शाता है।
इन जांच रिपोर्टों के आधार पर प्रिंसिपल इशा धर्मावत को सस्पेंड कर दिया गया, और उनका निलंबन काल मुख्यालय बीकानेर माध्यमिक शिक्षा निदेशालय में रहेगा। वहीं, क्लास टीचर राकेश जारोली को एपीओ किया गया है, और उन्हें एपीओ काल में भैंसरोडगढ़ के ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में उपस्थित रहने के आदेश दिए गए हैं।
इस हत्याकांड ने स्कूल प्रशासन और शिक्षकों की जिम्मेदारियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जो विद्यार्थियों की सुरक्षा के प्रति उनकी उदासीनता को दर्शाते हैं। शिक्षा विभाग ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो सकें।