शोभना शर्मा। राजस्थान के कोटा शहर के दक्षिण नगर निगम की शुक्रवार को हुई बोर्ड बैठक महज 15 मिनट में समाप्त हो गई, लेकिन इस दौरान जो हंगामा शुरू हुआ वह अब भी चर्चा में है। बैठक में कांग्रेस की मुस्लिम महिला पार्षदों ने नगर निगम प्रशासन के खिलाफ जोरदार विरोध किया। उन्होंने शहर में बंद की गई रामलीलाएं, रामकथाएं और दशहरे में होने वाली कव्वाली फिर से शुरू करवाने की मांग की। पार्षद काले बुर्के में तख्तियां लेकर पहुंचीं और नगर निगम के भेदभावपूर्ण रवैये का आरोप लगाते हुए जमकर बवाल किया।
मेयर को चूड़ियां भेंट करने की कोशिश
कांग्रेस की महिला पार्षदों ने बैठक के दौरान नियमों को ताक पर रखते हुए मेयर राजीव अग्रवाल के पास पहुंचकर उन्हें चूड़ियां भेंट करने की कोशिश की। उनका आरोप था कि नगर निगम विकास कार्यों में भेदभाव कर रहा है और धार्मिक आयोजनों को लेकर पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहा है।
महिला पार्षदों ने तख्तियों पर लिखे नारों के साथ रामलीला और कव्वाली जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बंद करने का विरोध किया और उन्हें जल्द से जल्द शुरू करने की मांग की। जब मेयर ने हंगामे को देखते हुए बैठक समाप्त करने की घोषणा की, तब भी पार्षदों का विरोध जारी रहा।
कांग्रेस पार्षदों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
हंगामे के बाद भाजपा पार्षदों ने मेयर राजीव अग्रवाल से कांग्रेस के पार्षदों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। भाजपा पार्षदों का कहना था कि कांग्रेस के पार्षदों की अनुशासनहीनता ने नगर निगम की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है। मेयर राजीव अग्रवाल ने इस संबंध में कहा कि कोई भेदभाव किसी भी पार्षद के साथ नहीं किया गया है और कांग्रेस पार्षदों ने जानबूझकर हंगामा किया है। उन्होंने आगे कहा, “हमने अनुशासनहीन पार्षदों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। सरकार को इस घटना की रिपोर्ट भेजी जा चुकी है और उचित कार्रवाई होगी। यह कार्रवाई इतिहास में दर्ज होगी।”
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कांग्रेस की ओर से नगर निगम के उप महापौर पवन मीणा ने बैठक में उठे विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने आरोप लगाया कि यह बोर्ड बैठक बिना किसी एजेंडे के बुलाई गई थी, और निगम प्रशासन ने किसी भी प्रकार की तैयारी नहीं की थी। पवन मीणा ने कहा, “हमारे पार्षदों ने कोई अनुशासनहीनता नहीं की है, बल्कि यह बैठक बिना किसी ठोस योजना के बुलाई गई थी।”
उन्होंने आगे कहा कि भाजपा के शासनकाल में रामलीलाओं और रामकथाओं जैसे सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजनों को बंद कर दिया गया है, जबकि भाजपा राम के नाम पर चुनाव में वोट मांगती है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर रामलीलाएं और दशहरे की कव्वाली बंद हो जाएंगी तो आने वाली पीढ़ियां भगवान राम के बारे में कैसे जानेंगी। कांग्रेस ने स्पष्ट किया कि अगर उनके पार्षदों के खिलाफ कोई कार्रवाई होती है, तो वे इसका कानूनी रास्ते से विरोध करेंगे और उनके पास इसके लिए ठोस सबूत हैं।
हंगामे का राजनीतिक असर
यह घटना कोटा में राजनीतिक गरमाहट पैदा कर रही है। कांग्रेस और भाजपा के पार्षदों के बीच का यह विवाद अब राजनीतिक संघर्ष का रूप लेता दिख रहा है। जहां भाजपा कांग्रेस के पार्षदों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रही है, वहीं कांग्रेस इस मुद्दे को धार्मिक भावनाओं और विकास कार्यों से जोड़कर देख रही है।
साथ ही, कांग्रेस इस पूरे मामले को न्यायालय में ले जाने की तैयारी कर रही है। यह मुद्दा सिर्फ स्थानीय राजनीति तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका असर प्रदेश और राष्ट्रीय राजनीति में भी देखा जा सकता है।