मनीषा शर्मा। राजस्थान की भजनलाल सरकार में पुलिस के कामकाज में बड़ा बदलाव आने वाला है। अब पुलिस की कार्यवाही, एफआईआर और अनुसंधान में उर्दू, फारसी और अरबी के कठिन शब्दों का उपयोग नहीं किया जाएगा। राजस्थान के गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने घोषणा की है कि इन भाषाओं के शब्दों को हटाकर हिंदी और अंग्रेजी के शब्दों का उपयोग किया जाएगा ताकि आम जनता के लिए पुलिस के कामकाज को समझना आसान हो सके।
उर्दू-फारसी के शब्दों पर पाबंदी की तैयारी
राजस्थान सरकार के गृह मंत्री जवाहर सिंह बेढम का कहना है कि उर्दू-फारसी के शब्द अब पुराने जमाने की बात हो चुके हैं और आज की पुलिस फोर्स, खासकर नए भर्ती हुए पुलिसकर्मी, इन शब्दों को समझने में कठिनाई का सामना कर रहे हैं। मंत्री बेढम ने कहा कि पहले के समय में मुगल शासन के दौरान इन भाषाओं का व्यापक उपयोग होता था, लेकिन अब समय बदल चुका है। इसलिए पुलिस रिकॉर्ड, फाइलों, एफआईआर और अन्य कानूनी दस्तावेजों में उर्दू-फारसी के शब्दों की जगह हिंदी या अंग्रेजी के सरल शब्दों का उपयोग किया जाएगा।
पुलिस के कामकाज में आम भाषा का इस्तेमाल
भरतपुर जिले के बयाना के नया गांव कला में एक जनसभा को संबोधित करते हुए गृह मंत्री बेढम ने कहा कि उर्दू-फारसी के कठिन शब्दों के कारण पुलिसकर्मियों और आम जनता दोनों को परेशानी होती है। उन्होंने यह भी कहा कि आजादी के बाद शिक्षा प्रणाली में बदलाव के कारण संस्कृत को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाने लगा और हिंदी का अधिक इस्तेमाल होने लगा। इस कारण से अब उर्दू-फारसी के शब्द पुलिसकर्मियों और आम लोगों के लिए मुश्किल बन गए हैं।
गृह मंत्री बेढम ने कहा, “आजकल के पुलिसकर्मी उर्दू, फारसी और अरबी के शब्दों को समझने में दिक्कत महसूस करते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि पुलिस के कामकाज में आसानी से समझ में आने वाली भाषा का उपयोग हो। उदाहरण के लिए, अब ‘आदम पता’ के स्थान पर ‘पता नहीं’, ‘खाना तलाशी’ के स्थान पर ‘जगह की तलाशी’ और ‘बयान तहरीर’ के स्थान पर ‘लिखित बयान’ जैसे सरल हिंदी शब्दों का उपयोग किया जाएगा।”
प्रधानमंत्री का सरल भाषा पर जोर
गृह मंत्री बेढम ने अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी उल्लेख किया, जिन्होंने सरकारी कामकाज में आसान और सामान्य भाषा के उपयोग पर जोर दिया है। प्रधानमंत्री ने पहले कहा था कि सरकारी दस्तावेज और कार्यवाही की भाषा इतनी सरल होनी चाहिए कि आम आदमी उसे आसानी से समझ सके। उसी दिशा में यह कदम राजस्थान सरकार द्वारा उठाया जा रहा है ताकि पुलिस की कार्यवाही आम आदमी के लिए समझ में आने वाली हो।
DGP से मांगा गया प्रस्ताव
गृह मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने डीजीपी यू.आर. साहू को निर्देश दिया है कि वह इस बदलाव के लिए एक प्रस्ताव तैयार करें। इस प्रस्ताव में पुलिस के रोजमर्रा के कामकाज में इस्तेमाल होने वाले उर्दू-फारसी और अरबी शब्दों को हटाने का तरीका और उनके स्थान पर उपयोग किए जाने वाले हिंदी और अंग्रेजी शब्दों की सूची शामिल होनी चाहिए। मंत्री बेढम ने कहा कि इस परिवर्तन का उद्देश्य पुलिस कार्यवाही को आम जनता के लिए अधिक सुलभ बनाना है।
उर्दू-फारसी शब्दों का ऐतिहासिक महत्व
राजस्थान पुलिस में उर्दू और फारसी के शब्दों का उपयोग कोई नया नहीं है। मुगल शासन के समय से यह शब्द पुलिस, प्रशासन और न्यायिक कार्यों में शामिल थे। उस समय उर्दू और फारसी शासन की आधिकारिक भाषा हुआ करती थीं, और इन्हीं भाषाओं का इस्तेमाल कानूनी दस्तावेजों और न्यायिक प्रक्रिया में होता था। हालांकि, आजादी के बाद हिंदी और अंग्रेजी ने इनकी जगह ले ली, और आज की पीढ़ी के पुलिसकर्मी इन शब्दों को समझने में असमर्थ हो गए हैं।
सरल भाषा से बढ़ेगी जनता की समझ
इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य आम जनता को पुलिस कार्यवाही में अधिक भागीदार बनाना है। गृह मंत्री ने कहा कि आज की जनता खासकर गांवों में, जहां हिंदी अधिक बोली और समझी जाती है, पुलिस की कार्यवाही और रिपोर्टों को बेहतर ढंग से समझ सकेगी। सरल हिंदी और अंग्रेजी शब्दों का उपयोग करने से जनता और पुलिस के बीच संवाद भी बेहतर हो सकेगा।
मंत्री बेढम ने यह भी कहा कि आजकल की नई पीढ़ी की शिक्षा में भी उर्दू और फारसी को कम महत्व दिया जा रहा है, जिसके चलते इन भाषाओं के कठिन शब्द नए पुलिसकर्मियों के लिए एक चुनौती बनते जा रहे हैं।