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राजस्थान में मतदाता सूचियों के संशोधन में आईटी टूल्स का उपयोग

राजस्थान में मतदाता सूचियों के संशोधन  में आईटी टूल्स का उपयोग

शोभना शर्मा। राजस्थान में मतदाता सूचियों का संशोधन और मतदान केंद्रों के पुनर्गठन की प्रक्रिया वर्तमान में चल रही है। यह कदम राज्य में लोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया को अधिक समावेशी और पारदर्शी बनाने के लिए उठाया जा रहा है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) नवीन महाजन ने शुक्रवार को जयपुर में आयोजित ‘राजस्थान बिजनेस समिट: ​​डिकोडिंग अपरच्यूनिटीज फॉर नेक्स्ट डेकेड’ में इस बात की जानकारी दी।

 महाजन ने ‘ई-गवर्नन्स: सर्विस डिलीवरी टू द लास्ट माइल’ सत्र में यह स्पष्ट किया कि मतदाता सूची में नाम शामिल करने से लेकर मतदान और मतगणना तक की सभी प्रक्रियाओं में सूचना तकनीक (आईटी) का व्यापक उपयोग हो रहा है। भविष्य में मतदान केंद्रों के पुनर्गठन और उनके क्षेत्र निर्धारण के कार्य में गूगल मैप और गूगल अर्थ जैसे आईटी टूल्स का उपयोग किया जाएगा, जिससे प्रक्रिया अधिक सटीक और प्रभावी होगी।

उन्होंने आगे बताया कि नए मतदान केंद्रों का गठन विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में हाईराइज इमारतों, आवासीय कॉलोनियों और कच्ची बस्तियों में किया जाएगा। इसके लिए आईटी टूल्स का उपयोग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में यह प्रक्रिया समान रूप से लागू की जाएगी ताकि सभी नागरिकों को मतदान का अधिकार आसानी से मिल सके।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने यह भी बताया कि मतदाता सूची में नाम जोड़ने या संशोधन करने की प्रक्रिया में भी आईटी का उपयोग शुरू हो चुका है। इसके लिए निर्वाचन आयोग ने वोटर हेल्पलाइन एप (वीएचए) और वोटर सर्विस पोर्टल सहित अन्य आईटी प्लेटफार्मों का प्रावधान किया है। इन प्लेटफार्मों के माध्यम से मतदाता अपनी स्थिति जान सकते हैं और अंतिम रूप से प्रकाशित सूचियों तक आसानी से पहुंच सकते हैं।

चुनाव के दौरान, आदर्श आचार संहिता की पालना सुनिश्चित करने के लिए भी आईटी टूल्स का उपयोग होता है। नागरिकों की भागीदारी बढ़ाने के लिए ‘सी-विजिल’ एप का उपयोग किया जाता है, जो आम नागरिकों को चुनावी उल्लंघन की रिपोर्ट करने में सक्षम बनाता है। इसके अलावा, मतदान के दौरान लाइव वेबकास्टिंग की सुविधा भी प्रदान की जाती है, जिससे चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित होती है।

महाजन ने बताया कि डेटा विश्लेषण के माध्यम से कम मतदान प्रतिशत वाले क्षेत्रों की पहचान की जाती है और इन क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए प्रयास किए जाते हैं। साथ ही, शिक्षण संस्थानों में पढ़ रहे नए मतदाताओं को इलेक्टोरल लिटरेसी क्लब की गतिविधियों के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है, ताकि उनकी लोकतंत्र में भागीदारी बढ़े।

इस सेमिनार में राज्य सरकार के आयोजना सचिव  नवीन जैन ने भी आईटी के उपयोग से प्रशासनिक व्यवस्था में नवाचारों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि कैसे आईटी टूल्स प्रशासनिक कार्यों में तेजी और पारदर्शिता लाने में मदद करते हैं।

नवीनतम आईटी टूल्स के उपयोग से निर्वाचन प्रक्रिया अधिक सक्षम और सुलभ होती जा रही है। इससे न केवल मतदान प्रक्रिया में सुधार होगा, बल्कि यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि अधिक से अधिक लोग लोकतंत्र में अपनी भागीदारी निभा सकें।

इस प्रकार, राजस्थान में मतदाता सूचियों के संशोधन और मतदान केंद्रों के पुनर्गठन में आईटी टूल्स का उपयोग एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है, जो राज्य की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाएगा।

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