अजमेर की प्रसिद्ध फायसागर झील का नाम बदलकर अब ‘वरुण सागर’ कर दिया गया है। राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने इस ऐतिहासिक निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि यह झील अजमेर के लोगों ने अपने श्रम से बनाई थी, लेकिन गुलामी के दौर में इसका नाम एक अंग्रेज अधिकारी के नाम पर फायसागर रख दिया गया था। अब इसे भारतीय परंपरा और धार्मिक आस्था को ध्यान में रखते हुए वरुण देव के नाम पर ‘वरुण सागर’ कर दिया गया है।
नाम परिवर्तन से सिंधी समुदाय में हर्ष
अजमेर के दिल्ली गेट स्थित झूलेलाल धाम में आयोजित फगुणचंड महोत्सव के दौरान वासुदेव देवनानी ने इस नाम परिवर्तन की घोषणा की। इस अवसर पर सिंधी समुदाय के लोगों ने उनका अभिनंदन किया और इसे अपनी धार्मिक व सांस्कृतिक पहचान के सम्मान के रूप में देखा।
देवनानी ने कहा कि इस झील से सिंधी समुदाय सहित कई अन्य समुदायों की धार्मिक और सामाजिक आस्थाएं जुड़ी हुई हैं। इसलिए वरुण देव, जो जल के देवता माने जाते हैं, उनके नाम पर झील का नामकरण करना उपयुक्त निर्णय है।
गुलामी के प्रतीक को हटाने की पहल
वासुदेव देवनानी ने कहा कि आजाद भारत में गुलामी के नामों का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। उन्होंने बताया कि यह झील स्थानीय नागरिकों द्वारा बनाई गई थी, लेकिन ब्रिटिश शासन के दौरान इसे ‘फायसागर’ नाम दिया गया।
“अब समय आ गया है कि हम अपने ऐतिहासिक स्थलों और जलाशयों को भारतीय परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर के अनुरूप नया स्वरूप दें,” उन्होंने कहा।
उन्होंने आगे बताया कि जल्द ही वरुण सागर झील के चहुंमुखी विकास की योजना तैयार की जाएगी ताकि यह अजमेर के पर्यटन और धार्मिक स्थलों में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर सके।
झूलेलाल कैलेंडर 2025 का विमोचन
इस अवसर पर झूलेलाल कैलेंडर 2025 का भी विमोचन किया गया। समारोह के दौरान पंज महाज्योत प्रज्वलित कर झूलेलाल की आरती की गई, जिसके बाद ढोल-शहनाई की धुन पर छेज और डांडिया कार्यक्रम का आयोजन हुआ। अंत में पंज महाज्योत का विसर्जन बालम्बों साहिब (कुएं) में किया गया।
सिंधी संस्कृति और योगदान की सराहना
देवनानी ने कहा कि सिंधी समुदाय अपनी परंपराओं और संस्कृति को जीवंत बनाए रखने वाला समुदाय है। उन्होंने सिंधी समुदाय के देश और समाज में योगदान की सराहना करते हुए कहा,
“सिंधी समुदाय मेहनती और पुरूषार्थी रहा है। इस समुदाय ने देश की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक उन्नति में अहम योगदान दिया है।”उन्होंने बताया कि झूलेलाल धाम एक आस्था का बड़ा केंद्र है, जहां सिंध से लाई गई ज्योति को प्रज्ज्वलित किया गया है।
नाम परिवर्तन से ऐतिहासिक पहचान को नया स्वरूप
फायसागर का नाम वरुण सागर किए जाने से यह सिर्फ एक नाम परिवर्तन नहीं बल्कि ऐतिहासिक विरासत को सही स्वरूप देने की पहल है। इस निर्णय का सिंधी समुदाय के साथ-साथ अजमेर के स्थानीय लोगों ने भी स्वागत किया है।
अब देखना होगा कि वरुण सागर झील के चहुंमुखी विकास की योजना कितनी जल्दी अमल में लाई जाती है और यह झील अजमेर के धार्मिक और पर्यटन मानचित्र में अपनी नई पहचान कैसे स्थापित करती है।