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श्रद्धा के केंद्रों का सच कोर्ट पर छोड़ें: वासुदेव देवनानी

श्रद्धा के केंद्रों का सच कोर्ट पर छोड़ें: वासुदेव देवनानी

शोभना शर्मा, अजमेर। अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को हिंदू मंदिर बताने का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। यह मामला राजस्थान के सियासी गलियारों में गहराता जा रहा है। कोर्ट में याचिका स्वीकार होने के बाद अजमेर दरगाह का यह मुद्दा राष्ट्रीय बहस का विषय बन चुका है। विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक नेताओं के बयान सामने आ रहे हैं। शनिवार को, राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने इस विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी। अजमेर के निवासी और लंबे समय से जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले देवनानी का यह बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि वह वर्तमान में एक संवैधानिक पद पर हैं।

वासुदेव देवनानी का बयान

वासुदेव देवनानी ने कहा, “अजमेर दरगाह विवाद कोर्ट में है, और यह कोर्ट पर छोड़ देना चाहिए कि वह सर्वे के जरिए सच्चाई का पता लगाए। पहले भी ऐसे कई विवाद कोर्ट द्वारा हल किए गए हैं। हमें राजनीति से बचना चाहिए और कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए।”

उन्होंने आगे कहा, “यह सच है कि 1100-1200 वर्षों में हमारे कई श्रद्धा के केंद्र ढहाए गए या उनमें बदलाव किया गया। लेकिन इस मामले में कोर्ट के निर्णय का इंतजार करना चाहिए और किसी भी प्रकार की राजनीति नहीं करनी चाहिए।”

राजनीति से दूर रहने की अपील

देवनानी ने इस मुद्दे पर राजनीति करने वालों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, “देश गुलाम था, उस समय कई श्रद्धा के केंद्रों को नष्ट किया गया। लेकिन इस विषय में गहराई से जाने की बजाय कोर्ट के आदेश का पालन करना चाहिए। यह सबकी जिम्मेदारी है कि कोर्ट के फैसले का सम्मान करें।”

असामाजिक ताकतों का विरोध जरूरी

देवनानी ने यह भी कहा कि असामाजिक तत्व देश का माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “भारत का नेतृत्व मजबूत है और हमें नक्सलवाद और आतंकवाद जैसी ताकतों का विरोध करना चाहिए। हिंसा और असामाजिक गतिविधियों का कोई समर्थन नहीं होना चाहिए।”

इतिहास पर ध्यान देने की अपील

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि यह विवाद ऐतिहासिक मुद्दों को लेकर है, और यह कोर्ट पर छोड़ देना चाहिए कि वह सच्चाई का निर्धारण करे। “हमें इस बात को स्वीकार करना होगा कि हमारे श्रद्धा के केंद्रों में बदलाव किए गए। लेकिन अब यह समय है कि हम कोर्ट के आदेशों का पालन करें और समाज में शांति बनाए रखें।”

सामाजिक एकता का संदेश

देवनानी ने अंत में देशवासियों से अपील की कि वे समाज में किसी भी प्रकार की हिंसा या असामाजिक गतिविधियों को बढ़ावा न दें। उन्होंने कहा कि यह सभी भारतीयों की जिम्मेदारी है कि वे देश को मजबूत और शांतिपूर्ण बनाएं।

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