मनीषा शर्मा। राजस्थान में विधानसभा की 7 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। पार्टी ने इन उपचुनावों के लिए जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों को साधते हुए विशेष रणनीति तैयार की है। भाजपा की इस रणनीति में हर सीट पर प्रभावी नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है ताकि चुनाव प्रचार पूरी प्रभावी हो सके। इस बार, सूत्रों के अनुसार, पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भी चुनाव प्रचार में उतार सकती है।
वसुंधरा राजे का संभावित प्रचार और उनके समर्थकों की उम्मीदें
विधानसभा चुनाव के बाद से भाजपा के प्रमुख कार्यक्रमों से दूरी बनाए रखने वाली पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को इस उपचुनाव में प्रचार की जिम्मेदारी दी जा सकती है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, वसुंधरा राजे की सभा झुंझुनूं विधानसभा सीट पर आयोजित कराने की योजना बनाई जा रही है, जहां से भाजपा प्रत्याशी राजेन्द्र भांबू को वसुंधरा राजे का करीबी माना जाता है।
जातिगत समीकरणों का संतुलन: किस सीट पर कौन करेगा प्रचार?
इन उपचुनावों में जातिगत समीकरणों का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। किसी भी सीट पर ऐसे नेताओं को भेजने से बचा जा रहा है जिनकी उपस्थिति से जातिगत टकराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। उदाहरण के लिए, राजेन्द्र राठौड़, जो कि शेखावाटी के बड़े नेता माने जाते हैं, उन्हें झुंझुनूं सीट से दूर रखा गया है, ताकि इस सीट पर जाट और राजपूत वोटों के बीच टकराव न हो।
प्रमुख प्रचारक: भजनलाल शर्मा, दीया कुमारी और मदन राठौड़ का हर सीट पर प्रचार
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी और प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ इन उपचुनावों के दौरान सभी सात सीटों पर प्रचार करेंगे। मुख्यमंत्री शर्मा और मदन राठौड़ साथ मिलकर कई जनसभाओं को संबोधित करेंगे। दीया कुमारी पहले ही कई सीटों पर प्रचार कर चुकी हैं और दौसा, सलूंबर, चौरासी में प्रचार के लिए उनके कार्यक्रम प्रस्तावित हैं।
किरोड़ी लाल मीणा का सीमित प्रचार
भाजपा के प्रमुख आदिवासी चेहरे किरोड़ी लाल मीणा इस बार केवल दौसा सीट पर अपने भाई के लिए प्रचार कर रहे हैं। पार्टी ने उन्हें आदिवासी बहुल सीटों जैसे सलूंबर और चौरासी पर प्रचार के लिए नहीं भेजा है। इन सीटों पर मंत्री बाबूलाल खराड़ी और अन्य स्थानीय नेता प्रचार कर रहे हैं।
सतीश पूनिया की दौसा सीट से दूरी
पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया इस उपचुनाव में 5-6 सीटों पर प्रचार करेंगे लेकिन दौसा सीट पर नहीं जाएंगे। इसके पीछे पूनिया और किरोड़ी के बीच पुरानी खींचतान मानी जा रही है।
समाज सम्मेलनों और स्नेह मिलन समारोह का आयोजन
भाजपा जातिगत समीकरणों को साधने के लिए लगातार सामाजिक सम्मेलनों और स्नेह मिलन कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है। इन कार्यक्रमों में स्थानीय बड़े नेता शिरकत कर रहे हैं और अपने समाज के लोगों से भाजपा के पक्ष में मतदान की अपील कर रहे हैं।
राजस्थान के इस उपचुनाव में भाजपा ने जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए एक सटीक रणनीति बनाई है। विधानसभा चुनावों में कई प्रमुख कार्यक्रमों से दूर रहने के बाद, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का प्रचार में संभावित भाग लेना भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।