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उप राष्ट्रपति धनखड़ ने जनजातीय गौरव महोत्सव में किया संबोधन

उप राष्ट्रपति धनखड़ ने जनजातीय गौरव महोत्सव में किया संबोधन

मनीषा शर्मा। उदयपुर में आयोजित भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में हुए जनजाति गौरव महोत्सव के दौरान उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सांस्कृतिक, सामाजिक और राष्ट्रीय एकता पर जोर दिया। उन्होंने जनजातीय समाज की भूमिका को भारत की ताकत और गौरव बताया।

आस्था को बदलने के प्रयासों पर चेतावनी

धनखड़ ने कहा कि देश में एक षड्यंत्रकारी प्रयास हो रहा है। चिकनी-चुपड़ी बातें कर, हितैषी बनकर और प्रलोभन देकर हमारी आस्था और सांस्कृतिक जड़ों को हिलाने की कोशिश की जा रही है।

“हमारी सांस्कृतिक धरोहर हमारी नींव है। जब नींव हिल जाएगी तो कोई भी इमारत सुरक्षित नहीं रहेगी।”

उन्होंने इस तरह के षड्यंत्रों पर अंकुश लगाने की आवश्यकता पर बल दिया और जनजातीय समुदाय को इसके प्रति सचेत रहने की अपील की।

जनजातीय समाज की ताकत और योगदान

जनजातीय समाज के योगदान की सराहना करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि वे प्रकृति के सच्चे रक्षक हैं। उनके शब्दों में:

“भगवान बिरसा मुंडा ने ‘जल, जंगल, जमीन’ का मंत्र दिया। ये सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि जीवन शैली हैं। जनजातीय समाज हमें सिखाता है कि पर्यावरण, स्वदेशी, और कुटुंब का क्या महत्व है।”

पर्यावरण संरक्षण और विश्व को संदेश

धनखड़ ने जलवायु परिवर्तन पर जनजातीय समाज की समझ को सराहा और कहा कि अगर दुनिया ने इनसे सीखा होता तो आज हम विनाश के कगार पर न होते। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पृथ्वी को बचाने के लिए हमें उनकी जीवन शैली अपनानी होगी।

भारत की अर्थव्यवस्था में जनजातीय समाज का योगदान

धनखड़ ने भारत की प्रगति की चर्चा करते हुए कहा कि देश अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और जर्मनी और जापान को पीछे छोड़ने की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने जनजातीय समुदाय से शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया।

“देश का विकास तभी संभव है, जब इसमें जनजातीय वर्ग का योगदान होगा।”

महिला सशक्तिकरण और शिक्षा पर जोर

धनखड़ ने महिलाओं के सशक्तिकरण और उनके बढ़ते प्रतिनिधित्व को देश की प्रगति का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं का एक-तिहाई प्रतिनिधित्व एक बड़ी उपलब्धि है।

“महिलाओं की उपस्थिति यह दिखाती है कि उनके पास क्या ताकत है, उनकी सोच और नीति निर्माण का तरीका कैसे अलग है।”

शिक्षा और सामाजिक जिम्मेदारी पर संदेश

उप राष्ट्रपति ने अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए कहा कि पढ़ाई के दौरान उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन आज शिक्षा का ढांचा मजबूत हो चुका है। उन्होंने युवाओं से शिक्षा पर ध्यान देने और परिवार व समाज की एकता बनाए रखने का आह्वान किया।

“राष्ट्र, परिवार और समाज की एकता हर नागरिक की जिम्मेदारी है।”

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