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विद्या संबल योजना: अस्थायी शिक्षकों के कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने से शिक्षा पर संकट

विद्या संबल योजना: अस्थायी शिक्षकों के कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने से शिक्षा पर संकट

शोभना शर्मा ।  राजस्थान की विद्या संबल योजना के तहत नियुक्त अस्थायी शिक्षकों का कॉन्ट्रैक्ट जनवरी के पहले सप्ताह में समाप्त हो रहा है। इससे राज्य के कॉलेजों में चल रही शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा संकट आ सकता है। वर्तमान में पहले और तीसरे सेमेस्टर की पढ़ाई जारी है। यदि समय पर शिक्षकों का कॉन्ट्रैक्ट न बढ़ाया गया तो छात्रों की पढ़ाई बाधित हो सकती है।

विद्या संबल योजना: कांग्रेस से बीजेपी तक का सफर

विद्या संबल योजना को कांग्रेस सरकार ने शुरू किया था, लेकिन बीजेपी सरकार ने इसके प्रावधानों में बड़े बदलाव किए। नए प्रावधानों के अनुसार, शिक्षकों को सेमेस्टर आधारित प्रणाली में काम करना होगा। इसके तहत एक वर्ष में दो बार आवेदन मांगे जाएंगे। इस प्रक्रिया में देरी होने से कॉलेजों में पढ़ाई प्रभावित हो सकती है।

50 कक्षाओं के आधार पर भुगतान

अस्थायी शिक्षकों को 50 कक्षाओं के हिसाब से भुगतान किया जाएगा। हालांकि, समय पर भुगतान न होने से शिक्षकों को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही, इन्हें कॉलेजों में पढ़ाने का अनुभव प्रमाण पत्र भी नहीं दिया जा रहा है, जिससे उनका भविष्य अधर में है।

अस्थायी शिक्षकों की मांग

विद्या संबल योजना के तहत कार्यरत शिक्षकों ने कॉन्ट्रैक्ट की अवधि बढ़ाने की मांग की है। सहायक आचार्य डॉ. रामसिंह सामोता ने कहा कि जुलाई 2025 तक कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाने का आदेश जारी किया जाना चाहिए। इससे विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित नहीं होगी और लगभग 2,000 नेट/पीएचडी डिग्री धारक बेरोजगार होने से बच सकेंगे।

आंदोलन की चेतावनी

यदि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती है तो अस्थायी शिक्षकों ने शीतकालीन अवकाश के दौरान मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने की चेतावनी दी है। राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री बनय सिंह ने कहा कि एक ओर सरकार नई शिक्षा नीति को लागू करने पर जोर दे रही है, वहीं दूसरी ओर शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ाई चौपट हो रही है।

शिक्षा व्यवस्था पर प्रभाव

कॉलेजों में अस्थायी शिक्षकों की कमी से पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित होगी। पहले और तीसरे सेमेस्टर की पढ़ाई रुक सकती है। यह स्थिति न केवल छात्रों के शैक्षिक भविष्य को प्रभावित करेगी, बल्कि राज्य के शिक्षा स्तर को भी गिरा सकती है।

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