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विष्णु गुप्ता पर फायरिंग का दावा, शिव मंदिर याचिका मामले में बढ़ा विवाद

विष्णु गुप्ता पर फायरिंग का दावा, शिव मंदिर याचिका मामले में बढ़ा विवाद

मनीषा शर्मा, अजमेर। दरगाह में  शिव मंदिर होने का दावा करने वाले हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता पर फायरिंग की घटना का दावा किया गया है। शनिवार सुबह अजमेर से जयपुर लौटते समय उनकी कार पर कथित तौर पर गोली चलाई गई। यह घटना सुबह करीब 6 बजे गगवाना के पास हुई। बताया जा रहा है कि बाइक सवार दो युवकों ने उनकी गाड़ी को निशाना बनाकर फायरिंग की और फिर मौके से फरार हो गए।

हमले को लेकर विष्णु गुप्ता का बयान

विष्णु गुप्ता ने इस हमले को एक सोची-समझी साजिश करार दिया। उन्होंने कहा कि यह हमला उन्हें डराने और उनके द्वारा दायर की गई शिव मंदिर याचिका को रोकने के लिए किया गया है। गुप्ता ने दावा किया कि उन्हें पहले भी धमकी भरे फोन कॉल्स आए थे, लेकिन वे इस तरह के दबाव में झुकने वाले नहीं हैं। उन्होंने बताया कि जैसे ही फायरिंग की आवाज आई, उन्होंने तुरंत ड्राइवर को गाड़ी तेज भगाने को कहा। उन्होंने गाड़ी में पीछे देखा तो दो बाइक सवारों को भागते हुए देखा।

पुलिस का बयान और जांच प्रक्रिया

घटना को लेकर अजमेर ग्रामीण पुलिस जांच में जुट गई है। सीओ रामचंद्र चौधरी ने बताया कि विष्णु गुप्ता जयपुर जा रहे थे, जब यह घटना हुई। पुलिस ने कहा कि प्रथम दृष्टया फायरिंग की घटना की पुष्टि हो रही है, लेकिन अब तक कोई गोली का खोल नहीं मिला है। मौके पर एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लैब) टीम को बुलाया गया है। एसपी वंदिता राणा ने कहा कि पुलिस हर एंगल से मामले की जांच कर रही है। घटना स्थल पर मौजूद सबूतों और गवाहों के बयान लिए जा रहे हैं। हालांकि, बाइक सवारों की पहचान और उनका हुलिया फिलहाल स्पष्ट नहीं हो पाया है।

पहले भी मिली धमकियां

यह पहली बार नहीं है जब विष्णु गुप्ता को इस मामले में धमकियां मिली हैं। करीब तीन महीने पहले उन्होंने अजमेर के क्रिश्चियनगंज थाने में धमकी भरे फोन कॉल की शिकायत दर्ज कराई थी। उस समय गुप्ता को फोन पर उनके कोर्ट केस को वापस लेने की धमकी दी गई थी। कॉलर ने कहा था, “केस वापस ले लो, नहीं तो जान से मार देंगे।” कॉल के दौरान गाली-गलौज भी की गई थी।

दरगाह विवाद और शिव मंदिर का दावा

विष्णु गुप्ता ने अजमेर दरगाह परिसर में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करते हुए सिविल कोर्ट में याचिका दायर की थी। यह याचिका 27 नवंबर 2024 को स्वीकार की गई थी। याचिका में कहा गया था कि दरगाह के निर्माण में मंदिर का मलबा इस्तेमाल किया गया है। साथ ही, परिसर में जैन मंदिर होने की बात भी कही गई। गुप्ता ने अपनी याचिका में रिटायर्ड जज हरबिलास सारदा की 1911 में लिखी किताब “अजमेर: हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव” का हवाला दिया। मामले में सिविल कोर्ट ने अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को नोटिस जारी किया था। इसके बाद अंजुमन कमेटी और दरगाह दीवान सहित अन्य पक्षकारों ने भी अदालत में अपनी याचिका दाखिल की।

याचिका पर सुनवाई और अगली तारीख

24 जनवरी 2025 को इस मामले की सुनवाई हुई। दरगाह कमेटी ने कोर्ट में याचिका खारिज करने की मांग करते हुए इसे सुनवाई योग्य नहीं बताया। कोर्ट ने गुप्ता से जवाब मांगा, जिस पर उन्होंने अपना पक्ष पेश किया। इसके बाद दरगाह कमेटी ने समय मांगा, और अगली सुनवाई के लिए 1 मार्च 2025 की तारीख तय की गई है। यह मामला अब राजनीतिक और सामाजिक विवाद का केंद्र बनता जा रहा है। दरगाह परिसर में मंदिर होने का दावा एक संवेदनशील मुद्दा है, जो हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच विवाद को गहरा सकता है। वहीं, गुप्ता पर हुए कथित हमले ने इस मामले को और भी पेचीदा बना दिया है।

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