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वॉयस चेंजिंग ऐप्स और वॉयस क्लोनिंग: साइबर क्राइम का नया हथियार

वॉयस चेंजिंग ऐप्स और वॉयस क्लोनिंग: साइबर क्राइम का नया हथियार

शोभना शर्मा।  मध्यप्रदेश के सीधी जिले में 7 आदिवासी छात्राओं के साथ हुई रेप की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस दिल दहला देने वाले अपराध में एक चौंकाने वाली बात सामने आई है कि आरोपी वॉयस चेंजिंग और वॉयस क्लोनिंग तकनीकों का इस्तेमाल कर छात्राओं को अपने जाल में फंसाते थे। इस घटना ने टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग और इसके खतरनाक परिणामों को उजागर किया है।

वॉयस चेंजिंग ऐप्स और वॉयस क्लोनिंग क्या हैं?

वॉयस चेंजिंग ऐप्स और वॉयस क्लोनिंग दो अलग-अलग तकनीकें हैं जो आजकल साइबर क्रिमिनल्स के लिए सबसे शक्तिशाली हथियार बन चुकी हैं। वॉयस चेंजिंग ऐप्स का इस्तेमाल करके किसी की आवाज की पिच और टोन को बदलकर उसे किसी और की आवाज में बदल दिया जाता है। दूसरी ओर, वॉयस क्लोनिंग AI तकनीक का उपयोग करके किसी की भी आवाज को हू-ब-हू कॉपी करने का काम करती है। इसमें केवल कुछ सेकंड का ऑडियो सैंपल ही काफी होता है, जिसके बाद नकली आवाज बनाना बेहद आसान हो जाता है।

साइबर क्रिमिनल्स का नया हथियार

इन तकनीकों का इस्तेमाल करके साइबर क्रिमिनल्स लोगों को धोखाधड़ी का शिकार बना रहे हैं। वे वॉयस चेंजिंग ऐप्स और वॉयस क्लोनिंग के जरिए महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और यहां तक कि टीनएजर्स को भी अपने जाल में फंसा लेते हैं। अक्सर यह देखा गया है कि क्रिमिनल्स रात में फेक कॉल करके इमरजेंसी का हवाला देकर पैसे की मांग करते हैं। ऐसे मामलों में लोग आवाज को पहचानने में असमर्थ रहते हैं और तुरंत ही धोखाधड़ी का शिकार हो जाते हैं।

नकली वॉयस कॉल को पहचानें

AI वॉयस क्लोनिंग से बचने का सबसे आसान तरीका है कॉलर के बातचीत के अंदाज और उच्चारण पर ध्यान देना। क्योंकि AI से किसी की आवाज तो कॉपी की जा सकती है, लेकिन उसके बात करने का तरीका और स्टाइल नहीं। अगर कोई कॉलर नए नंबर से कॉल करके आपसे पैसे मांगता है या निजी जानकारी चाहता है, तो सावधान रहें। इस तरह की फेक कॉल्स को पहचानना मुश्किल हो सकता है, लेकिन सतर्कता से आप बच सकते हैं।

सुरक्षित कैसे रहें?

  • किसी अनजान कॉल पर निजी जानकारी साझा न करें।
  • अगर कोई अनजान नंबर से आपको डराने-धमकाने का प्रयास करता है, तो तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत करें।
  • फेक कॉल की पहचान करने के लिए ट्रूकॉलर जैसे ऐप्स का इस्तेमाल करें, जो AI कॉल स्कैनर फीचर से लैस हैं।
  • किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी होने पर तुरंत www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज कराएं या 1930 पर कॉल करें।

वॉयस चेंजिंग ऐप्स और वॉयस क्लोनिंग ने साइबर क्राइम के दायरे को बढ़ा दिया है। इन तकनीकों का दुरुपयोग रोकने के लिए हमें खुद को सतर्क और जागरूक रखना होगा। टेक्नोलॉजी के इस युग में अपनी सुरक्षा के लिए सावधानी और सतर्कता बेहद जरूरी है।

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