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रणथम्भौर दुर्ग का जल जौहर: महारानी रंगादेवी का साहस और बलिदान

रणथम्भौर दुर्ग का जल जौहर: महारानी रंगादेवी का साहस और बलिदान

शोभना शर्मा । राजस्थान का इतिहास वीरता और बलिदान की अमर गाथाओं से भरा है । अगर इतिहास के पन्नों को पलटा जाए तो रणथम्भौर दुर्ग का जौहर महारानी रंगादेवी का जौहर अमर है। 1301 ईस्वी में रणथम्भौर दुर्ग में पहला जल जौहर हुआ था। हम्मीर देव की पत्नी रानी रंगादेवी ने रणथम्भौर दुर्ग स्थित पद्मला तालाब में कूदकर जल जौहर किया था। इतिहासकार इसे राजस्थान का पहला और एकमात्र जल जौहर भी मानते हैं। रानी रंगादेवी ने यह जौहर आक्रांता शासक अलाउद्दीन खिलजी द्वारा रणथम्भौर दुर्ग पर किए आक्रमण के दौरान किया था।

अलाउद्दीन खिलजी के गुजरात विजय के बाद वहां से लूटे गए धन को लेकर सेनानायकों में विद्रोह हो गया। विद्रोही सेनानायक राव हम्मीर देव की शरण में आ गए। इन्हें वापस लेने के लिए अलाउद्दीन खिलजी ने रणथम्भौर पर आक्रमण कर दिया। अभेद्य रणथम्भौर दुर्ग को अधीन करने में अलाउद्दीन खिलजी को 11 माह का वक्त लगा। रणथम्भौर विकास समिति के अध्यक्ष और दुर्ग के इतिहासवेता गोकुलचंद गोयल के अनुसार, रणथम्भौर में हम्मीर की सेनाओं की पराजय होते देख रानी रंगादेवी और 12 हजार वीरांगनाओं ने अपने मान-सम्मान की रक्षा के लिए जल जौहर किया।

इतिहासकार उपाध्याय का कहना है कि महाराव हम्मीर की मुख्य रानी रंगादेवी के नेतृत्व में किले की वीरांगनाओं ने यह अपूर्व जौहर किया। इसका उल्लेख कई ऐतिहासिक ग्रंथों में मिलता है, जैसे “हम्मीर ऑफ रणथंभोर” (हरविआस सारस्वत, पृ. 44), “हम्मीररासो” (जोधराकृत, संपादक-श्यामसुंदर दास, पृ. 62), “जिला गजेटियर सवाईमाधोपुर” (पृ. 32), और “सवाईमाधोपुर दिग्दर्शन” (सं. गजानंद डेरोलिया, पृ. 125)।

हम्मीर रासो में लिखा है कि जौहर के समय रणथम्भौर में रानियों ने शीस फूल, दामिनी, आड़, तांटक, हार, बाजूबंद, जोसन पौंची, पायजेब आदि आभूषण धारण किए थे। हम्मीर की पुत्री देवलदेह के उत्सर्ग की गाथा भी मिलती है, हालांकि इसका ऐतिहासिक संदर्भ नहीं मिलता।

यह जौहर राजस्थान का पहला जौहर माना जाता है। इतिहासकार प्रभाशंकर उपाध्याय के अनुसार, जौहर शब्द “यमग्रह” से अपभ्रंश होकर बना है। राजस्थान में तीन प्रमुख जौहरों की गाथा है: चित्तौड़गढ़, रणथम्भौर दुर्ग और जालौर दुर्ग। जालौर के किले में 1584 जमग्रह थे।

रणथम्भौर दुर्ग का यह जल जौहर भारतीय इतिहास में साहस, बलिदान और आत्मसम्मान की अनूठी मिसाल है।

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