शोभना शर्मा । सीपीआई (एम) के महासचिव और देश के वरिष्ठ वामपंथी नेता सीताराम येचुरी के निधन से भारतीय राजनीति में शोक की लहर दौड़ गई है। गुरुवार को उनके निधन की खबर सुनते ही देशभर के प्रमुख राजनेताओं ने संवेदनाएं व्यक्त कीं। देश के राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री तक सभी ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का शोक संदेश
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा, “सीताराम येचुरी के निधन के बारे में जानकर दुख हुआ। पहले एक छात्र नेता और फिर राष्ट्रीय राजनीति में सांसद के रूप में उनकी एक विशिष्ट और प्रभावशाली पहचान थी। एक प्रतिबद्ध विचारक होते हुए भी उन्होंने पार्टी लाइनों से ऊपर उठकर मित्र बनाए।” उन्होंने उनके परिवार के प्रति भी अपनी हार्दिक संवेदनाएं प्रकट कीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संवेदनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक्स पर लिखा, “सीताराम येचुरी के निधन से दुःख हुआ। वह वामपंथ के अग्रणी प्रकाश थे और राजनीतिक स्पेक्ट्रम से जुड़ने की अपनी क्षमता के लिए जाने जाते थे। उन्होंने एक प्रभावी सांसद के रूप में भी अपनी पहचान बनाई।” प्रधानमंत्री ने उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की।
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की श्रद्धांजलि
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी सीताराम येचुरी के निधन पर शोक जताते हुए लिखा, “वह देश की गहरी समझ रखने वाले और भारत के विचार के रक्षक थे। सीताराम येचुरी जी एक मित्र थे। मैं हमारे बीच होने वाली लंबी चर्चाओं को याद करूंगा।” कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी कहा, “सीताराम येचुरी का निधन हम सभी के लिए एक गहरी क्षति है।” उन्होंने उनके समर्पण और देश के प्रति सेवा की सराहना की।
अन्य नेताओं की प्रतिक्रियाएं
कई अन्य प्रमुख नेताओं ने भी सीताराम येचुरी के निधन पर अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कहा, “वह भारतीय राजनीति की सबसे सम्मानित आवाज़ों में से एक थे।” कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने लिखा, “उनके ज्ञान और दृढ़ विश्वास ने सार्वजनिक जीवन को समृद्ध किया।” तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कहा, “उनका निधन वामपंथी विचारधारा के लिए अपूरणीय क्षति है।”
सार्वजनिक जीवन में योगदान
सीताराम येचुरी ने अपने करियर की शुरुआत छात्र राजनीति से की थी। वह जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष रहे और बाद में राष्ट्रीय राजनीति में एक प्रमुख चेहरा बने। संसद में उनके प्रभावशाली हस्तक्षेप और वामपंथी एकता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक विशेष स्थान दिलाया। उन्होंने वर्षों तक वामपंथी विचारधारा और जनता के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।
उनके निधन पर राजनीतिक गलियारों में शोक व्यक्त किया जा रहा है। विभिन्न विचारधाराओं से जुड़े नेताओं ने पार्टी लाइनों से ऊपर उठकर उनके योगदान को सराहा और उन्हें एक सम्मानित व्यक्ति के रूप में याद किया। उनकी बुद्धिमत्ता और सामाजिक मुद्दों पर उनकी पकड़ के लिए उन्हें सदैव याद किया जाएगा।
सीताराम येचुरी के निधन से भारतीय राजनीति में एक खालीपन आ गया है, जिसे भर पाना मुश्किल है। उनके परिवार, दोस्तों और अनुयायियों के प्रति देशभर के नेताओं ने अपनी संवेदनाएं प्रकट की हैं। उनका जीवन और कार्य हमें प्रेरित करता रहेगा।