राजस्थान में गेहूं फसल की बुवाई का दौर प्रारम्भ हो चुका है। ऐसे में किसानों को बुवाई के लिए प्रमाणित बीज की आवश्यकता रहती है। ऐसे में मांग के अनुपात में लक्ष्य का आवंटन कम होने से काफी किसान इससे वंचित रह सकते है।
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक परेश पण्ड्या ने बताया कि प्रति वर्ष लेम्पस निजी बीज विक्रेता से खरीदना आवश्यक नहीं है, कृषक गत वर्ष उत्पादित बीज को इस वर्ष बुवाई के लिए प्रयोग में ला सकते है एवं इसके उपयोग से उत्पादन में भी कोई कमी नहीं आती है। गेहूं के बीज को तीन वर्ष में एक बार आदान विक्रेता से खरीदने की जरूरत रहती है जो कृषक बीज क्रय करने से वंचित रह गए है वे विचलित नहीं होवें।
विभाग की तरफ से 4 हजार क्विंटल अनुदानित बीज की अतिरिक्त मांग आयुक्तालय को भेजी गई है। आवंटन प्राप्त होने पर संबंधित आपूर्तिकर्ता संस्था एवं लेम्पस के माध्यम से कृषकों को वितरण किया जा सकेगा। साथ ही कृषक डीएपी खाद के वैकल्पिक स्त्रोत के रूप में सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) उर्वरक को काम में लेवें। इसके लिए बैग डीएपी के संस्था पर, बैग एसएसपी एवं बैग यूरिया प्रयोग में लावें। इससे पोषक तत्व अधिक मात्रा में मिलेंगे। साथ ही लागत में भी कमी आएगी।