अब्दुल करीम टुंडा, जिन्हें टुंडा के नाम से जाना जाता है, लश्कर-ए-तैयबा का एक कुख्यात बम विशेषज्ञ था। 1990 के दशक में भारत में हुए कई बम विस्फोटों में उनका हाथ माना जाता है।
कुछ मुख्य बातें:
- जन्म: 1943, पिलखुवा, हापुड़, उत्तर प्रदेश
- पेशा: लकड़ी का काम (कारपेंटर)
- आतंकवादी संगठन: लश्कर-ए-तैयबा
- गिरफ्तारी: 2013
- सजा: 2013 में दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें 10 साल की कैद की सजा सुनाई थी।
अब्दुल करीम टुंडा द्वारा किए गए कुछ प्रमुख बम विस्फोट:
- 1993: दिल्ली में सीरियल बम विस्फोट, जिसमें 250 से अधिक लोग मारे गए थे।
- 1996: दिल्ली में लाजपत नगर बम विस्फोट, जिसमें 13 लोग मारे गए थे।
- 1997: दिल्ली में साउथ एक्स बम विस्फोट, जिसमें 17 लोग मारे गए थे।
- 1998: दिल्ली में कनॉट प्लेस बम विस्फोट, जिसमें 20 लोग मारे गए थे।
- टुंडा को 2013 में भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया गया था।
- अदालत ने उन्हें कई मामलों में दोषी ठहराया और उन्हें 10 साल की कैद की सजा सुनाई।
- टुंडा भारत में हुए सबसे खतरनाक आतंकवादियों में से एक था।
- उसके बम विस्फोटों ने कई लोगों की जान ले ली और कई लोगों को घायल कर दिया।
गन फ़टी और ‘टुंडा’ नाम पड़ गया
अब्दुल करीम उर्फ टुंडा उत्तर प्रदेश में कारपेंटर का काम करता था। इसके बाद कपड़े का कारोबार करने मुंबई चला गया। मुंबई के भिवंडी इलाके में टुंडा के कुछ रिश्तेदार रहते थे। तब वर्ष 1985 में भिवंडी के दंगों में उसके कुछ रिश्तेदार मारे गए थे और जानकारी के मुताबिक इसका बदला लेने के लिए टुंडा ने आतंकवाद की राह पकड़ी और 1980 के आसपास वो आतंकी संगठनों के संपर्क में आया.
आरोपी अब्दुल करीम का नाम टुंडा एक हादसे के बाद पड़ा था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 1985 में टुंडा राजस्थान के टोंक जिले की एक मस्जिद में कुछ युवाओं को पाइप गन चलाकर दिखा रहा था। तभी गन फट गई, जिसमें उसके एक हाथ का पंजा उड़ गया। इसके कारण उसका नाम टुंडा पड़ गया।